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पकड़ में नहीं आता हेपेटाइटिस सी

२२ जनवरी २०१८

हेपेटाइटिस कई प्रकार के होते हैं. उनमें से कुछ संक्रमण से नहीं होते तो कुछ संक्रमण भी करते हैं. हेपेटाइसिस सी आम तौर पर खून के संपर्क से होता है. इलाज न हो तो लिवर को नुकसान पहुंच सकता है.

DW fit&gesund - Julia Benckert
तस्वीर: DW

जर्मनी की गाबी विंटर ने बीते दिनों में काफी कुछ सहा है. उन्हें हेपेटाइटिस सी है और उनका लिवर पूरी तरह खराब हो चुका है. उनकी किस्मत अच्छी थी कि उन्हें दान में लिवर मिल गया, तो जिंदगी बच गई. लेकिन इसके लिए उन्हें लंबा इंतजार करना पड़ा. वे बताती हैं, "मैं जिंदगी का मजा नहीं ले सकती थी, मैं बस जीने की उम्मीद में एक एक दिन काट रही थी."

तस्वीर: SWR

हेपेटाइटिस का नाम ग्रीक शब्द से आया है जिसका मतलब है लिवर का प्रज्वलन. हेपेटाइटिस के कई प्रकार हैं. इनमें अल्कोहल की ज्यादा मात्रा से होने वाला हेपेटाइटिस तो ज्यादा नहीं फैलता है लेकिन दूसरे हेपेटाइटिस का संक्रमण तेजी से होता है. हेपेटाइटिस ए से लेकर ई तक हर किसी का इलाज अलग तरीके से होता है. अगर शरीर खुद हेपेटाइटिस से नहीं लड़ सकता तो उसके लिए खास दवाइयां लेनी पड़ती हैं.

अगर बीमारी का ज्यादा दिन तक पता नहीं चले तो लिवर पर इसके निशान दिखने लगते हैं. गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट प्रो. बिर्गिट कालिनोव्सकी कहती हैं, "हम वायरस को निकाल सकते हैं लेकिन अगर संक्रमण एक खास अवस्था से आगे चला जाए तो उसे दूर नहीं किया जा सकता." गाबी विंटर के साथ भी यही हुआ. उनमें हेपेटाइटिस सी का संक्रमण हुआ जिसका 35 साल तक पता नहीं चल सका. इस वायरस का जल्दी पता नहीं चलता है.

केवल कुछ ही लोगों को इसकी वजह से पीलिया होता है. जॉन्डिस में त्वचा और आंखें पीली हो जाती हैं. अकसर लोग इसे कोई और बीमारी समझ लेते हैं. गाबी विंटर को पता नहीं था कि उन्हें हेपेटाइटिस है. उन्हें बहुत थकान होती थी और शरीर पस्त रहता था. हर काम में तकलीफ होती थी, उसे करने में बहुत मेहनत करनी पड़ती थी. कभी कभी पेट में दर्द होता. लिवर से जुड़े आंकड़े हेपेटाइटिस का संकेत दे सकते हैं. अगर शक हो तो डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.

तस्वीर: NDR

अल्ट्रासाउंड की मदद से डॉक्टर लिवर की जांच कर सकते हैं. निश्चित तौर पर जानकारी में खून की जांच भी मदद करती है लेकिन अंतिम नतीजा लैब की जांच से ही सामने आता है. हेपेटाइटिस ए और बी के उपचार के लिए वैक्सीन है लेकिन हेपेटाइटिस सी के लिए नहीं. आमतौर पर यह छूत की बीमारी नहीं है. यह एक से दूसरे तक सिर्फ खून के जरिए ही जा सकता है. प्रो. बिर्गिट कालिनोव्सकी कहती हैं, "अविकसित देशों में जहां औद्योगिक देशों की तरह हाइजिन के उतने सख्त नियम नहीं हैं, वहां लोगों को अपना ज्यादा ध्यान रखना चाहिए नहीं तो शेविंग के दौरान लगे मामूली जख्म भी आपको बीमार कर सकते हैं."

अगर टीका नहीं लगा है तो यात्रा के दौरान बड़ी आसानी से लोग हेपेटाइटिस सी की चपेट में आ सकते हैं. भोजन से पहले हाथ धोना जरूरी है और खाने की चीजों के छिल्के हटाने के साथ ही उन्हें उबालना भी जरूरी है. अगर आप इस बीमारी की चपेट में आ ही गए, तो कुछ नई दवाइयां आ गई हैं जो आमतौर पर वायरस से लड़ती हैं. हालांकि गाबी विंटर को लिवर ट्रांसप्लांट कराना पड़ा लेकिन उनकी जिंदगी अब फिर से जीने लायक हो गई है.

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