पाकिस्तान की टीम जांच के लिए पठानकोट तो पहुंची लेकिन कड़े विरोध के बीच. सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि अब टीम आगे क्या करती है, यह देखना अहम होगा.
विज्ञापन
पंजाब के पठानकोट वायुसैनिक अड्डे पर दो जनवरी को हुए आतंकवादी हमले की जांच के लिए पाकिस्तान का संयुक्त जांच दल जब वहां पहुंचा, तो कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने उनके खिलाफ नारेबाजी की. इस कारण जांचदल को पीछे के दरवाजे से एयरबेस में दाखिला दिलाया गया. पांच लोगों की इस टीम को, जिसमें आईएसआई का एक अधिकारी भी शामिल है, एयरबेस में सीमित पहुंच ही दी गयी है. अधिकारियों ने बताया कि भारतीय टीम के साथ पाकिस्तानी टीम को एयरबेस में उस जगह पर ले जाया गया जहां 80 घंटों तक आतंकियों के साथ सेना की मुठभेड़ हुई. इसमें चार आतंकी और सात सुरक्षाकर्मियों की जान गयी थी.
जिस समय टीम अंदर अपनी जांच कर रही थी, उस समय एयरबेस के बाहर प्रदर्शनकारी काले झंडे लिए और हाथ में तख्तियां लिए सरकार के इस कदम की आलोचना कर रहे थे. पठानकोट में मौजूद आम आदमी पार्टी के कपिल मिश्रा ने इसे शर्मनाक और घिनौना कदम बताते हुए कहा, "जिन लोगों ने हमारे लोगों की जान ली, वही आज यहां आए हैं, यह शर्मनाक है. यह भारत माता की तौहीन है. हम मोदी सरकार को ऐसा नहीं करने देंगे."
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी इस मामले में काफी तीखे स्वर अपनाए हैं. आम आदमी पार्टी के अलावा कांग्रेस और शिव सेना ने भी बीजेपी पर नागरिकों की भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाया है. यह पहली बार है कि पाकिस्तान की कोई टीम भारत में हुए आतंकी हमले की जांच करने यहां पहुंची है.
पठानकोट हमला प्रधानमंत्री मोदी की एकाएक हुई पाकिस्तान यात्रा के कुछ ही दिन बाद हुआ. जहां एक तरफ दोनों देशों के संबंधों में बेहतरी पर चर्चा शुरू हुई ही थी, वहीं पठानकोट हमलों ने एक बार फिर रिश्तों में खटास डाल दी. लेकिन पाकिस्तान ने दावा किया है कि उसने इस सिलसिले में जैश ए मोहम्मद से जुड़े कई आतंकियों को गिरफ्तार किया है और वह भारत के साथ मिल कर इसकी जांच में सहयोग देना चाहता है.
इसके विपरीत विपक्ष का आरोप है कि सरकार पाकिस्तान को ऐसे सुराग दिखा रही है, जिससे देश को भविष्य में और भी खतरा हो सकता है. सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि अब टीम आगे क्या करती है, यह देखना अहम होगा. पाकिस्तानी टीम 17 प्रत्यक्षदर्शी नागरिकों से भी पूछताछ करेगी.
आईबी/एमजे (पीटीआई, एपी)
हथियारों का सबसे बड़ा निर्यातक कौन
स्टॉकहोम इंटरनेशल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) ने अपनी 2016 रिपोर्ट में बताया है कि साल 2011-15 के बीच वैश्विक हथियार व्यापार में 2006-10 के मुकाबले 14 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई. देखिए सबसे बड़े निर्यातक देश कौन हैं.
तस्वीर: Fotolia/Haramis Kalfar
1. अमेरिका
दुनिया के 58 देश हथियारों का निर्यात करते हैं जिनमें सबसे आगे है अमेरिका. यूएसए 96 देशों को हथियार भेजता है, जिनमें सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात उसके सबसे बड़े खरीदार हैं. 2015 के अंत में ही अमेरिका ने एफ-35 विमानों की बिक्री के एक बड़े ठेके पर हस्ताक्षर किए.
तस्वीर: Reuters
2. रूस
दुनिया भर के हथियारों के कुल व्यापार में एक चौथाई हिस्सेदारी रूस की है. भारत, चीन और वियतनाम इसके सबसे बड़े खरीदार हैं. भारत के तो 70 फीसदी हथियार रूस से ही आते हैं. इसके अलावा अपने लड़ाकू विमानों, टैंकों, परमाणु पनडुब्बियों और राइफलों को रूस ने यूक्रेन समेत दुनिया के 50 देशों में भेजा.
पिछले सालों में चीन हथियारों के मामले में ज्यादा आत्मनिर्भर हुआ है और आयात कम कर निर्यात को बढ़ाया है. चीन ने पिछले साल 37 देशों को हथियारों की आपूर्ति की, जिनमें पाकिस्तान (35%), बांग्लादेश (20%) और म्यांमार (16%) इसके सबसे बड़े ग्राहक रहे. 2006-10 और 2011-15 के बीच चीनी हथियारों के निर्यात में 88 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई.
तस्वीर: AP
4. फ्रांस
हालांकि फ्रेंच हथियारों के निर्यात में 2010 के बाद से 9.8% की कमी आई है, फिर भी वह दुनिया में चौथे नंबर का आर्म्स एक्सपोर्टर बना हुआ है. यूरोप में उससे बाद आने वाले जर्मनी से निर्यात कम हुआ है. हाल ही मिले कुछ बड़े ठेकों के कारण फ्रांस के अगले साल भी निर्यातकों के टॉप 5 में शामिल रहने का अनुमान है.
तस्वीर: Reuters/ECPAD
5. जर्मनी
प्रमुख जर्मन हथियारों के निर्यात में वर्ष 2011-15 के बीच 51 फीसदी की कमी आई. इन सालों में जर्मनी ने अपने खास हथियार 57 देशों को भेजे. इन्हें आयात करने वालों में 29 प्रतिशत तो अन्य यूरोपीय देश ही थे. इसके बाद एशिया, अमेरिका, ओशिनिया को 23 प्रतिशत जबकि इतना ही मध्य पूर्व को बेचा गया. अमेरिका, इजरायल और ग्रीस जर्मन हथियारों के सबसे बड़े उपभोक्ता हैं.
तस्वीर: Ralph Orlowski/Getty Images
6. ब्रिटेन
अगर सऊदी अरब (46%), भारत (11%) और इंडोनेशिया (8.7%) जैसे बाजार ना हों तो ब्रिटिश हथियार उद्योग दिवालिया हो जाएगा. साल 2006–10 और 2011–15 के बीच ब्रिटेन से हथियारों का निर्यात करीब 26 प्रतिशत बढ़ा. यूरोप में इसके बाद स्पेन और इटली का स्थान आता है.