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'पत्तियों में मिला सोना'

२३ अक्टूबर २०१३

भारत में सपने में दिखे सोने की खोज के लिए हो रही खुदाई में अभी तक एक रत्ती सोना न मिला हो, लेकिन पेड़ों का ऐसा दावा गलत नहीं होता. खास पेड़ों की पत्तियां जमीन के अंदर सोने या दूसरे खनिजों के मौजूद होने का सुराग देती हैं.

तस्वीर: Munir Uz Zaman/AFP/Getty Images

कॉमनवेल्थ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन के वैज्ञानिकों ने लंबे वक्त तक पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के एक खास इलाके का अध्ययन किया. कंगारुओं के लिए मशहूर इस इलाके से 18वीं शताब्दी के अंत में खूब सोना निकाला गया था. वैज्ञानिकों की टीम ने इस इलाके के 500 पेड़ों पर शोध किया.

भू-रसायन विज्ञानी मेल लिनटेर्न कहते हैं कि रिसर्च टीम को उस इलाके के यूकेलिप्टस के पेड़ों की पत्तियों में सोने के कण मिले हैं. लिनटेर्न के मुताबिक, "यूकेलिप्टस एक हाइड्रॉलिक पम्प की तरह काम करता है, इसकी जड़ें जमीन में बहुत ही गहराई तक जाती हैं और ऐसा पानी खींच लेती हैं जिसमें सोना भी है."

पानी के साथ आए स्वर्ण कण शाखाओं के जरिए पत्तियों तक पहुंचते हैं. लिनटेर्न कहते हैं, "शायद सोना पेड़ पौधों के लिए जहरीला होता है, इसी कारण यूकेलिप्टस का पेड़ सोने की वजह से बीमार होने वाली पत्तियों को गिरा देता है."

रिसर्च पेपर कॉमनवेल्थ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन की पत्रिका नेचर कम्युनिकेशन में छपा है. शोध के मुताबिक पत्तियों में मिले सोने के कण इंसान के बाल के व्यास से पांच गुना छोटे हैं. इन्हें सिर्फ एडवांस एक्स रे इमेजिंग के जरिए ही पकड़ा जा सकता है.

लेकिन उम्मीद है कि इस तकनीक के जरिए खनिजों की खोज बेहतर ढंग हो सकेगी. वैज्ञानिकों का कहना है कि पेड़ पौधों के व्यवहार और दबे हुए सोने के बीच संबंध निकालकर खनिज की खोज की नई तकनीक विकसित की जा सकती है. इस तकनीक को बायोस्टैम्पिंग नाम दिया गया है. लिनटेर्न कहते हैं, "वनस्पतिकरण के विश्लेषण से खनिजों का सुराग लगाया जा सकता है, हम जान सकते हैं कि जमीन के भीतर क्या हो रहा है, हो सकता है कि हमें खुदाई की जरूरत ही न पड़े."

वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक मानव सभ्यता के उदय से अब तक धरती से 1,74,000 टन से भी ज्यादा सोना निकाला जा चुका है. अमेरिकी भूगर्भ सर्वे का अनुमान है कि पृथ्वी में अब करीब 51,000 टन सोना बचा है. पृथ्वी से हमें कई बहुमूल्य खनिज मिलते हैं, लेकिन मुश्किल ऐसे भंडारों का पता लगाने में आती है. कई बार अथाह खर्च और अंधाधुंध खुदाई के बाद भी निराशा ही हाथ लगती है. उम्मीद है कि बायोस्टैम्पिंग से ये प्रक्रिया आसान हो सकेगी और संसाधनों की बर्बादी बचायी जा सकेगी.

ओएसजे/एमजे (एएफपी)

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