पदक के लिए साइना की भिड़ंत
३ अगस्त २०१२हैदराबाद की नेहवाल ने क्वार्टर फाइनल का मुकाबला बहुत आसानी से तो नहीं जीता लेकिन दो बार की ऑल इंग्लैंड चैंपियन को हराने में उन्हें बहुत ज्यादा दुश्वारी भी नहीं हुई. उन्होंने डेनमार्क की टीना बोन को 40 मिनट से भी कम समय में सीधे सेटों में 21-15, 22-20 से पराजित कर दिया. इस तरह वह बैडमिंटन के सेमीफाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय बन गईं.
लेकिन अगला मुकाबला बेहद जटिल है. कुछ ही घंटों के आराम के बाद सानिया को चीन की वांग इहान से भिड़ना है, जो इस वक्त दुनिया की पहली नंबर की महिला खिलाड़ी हैं. वह वर्ल्ड चैंपियन भी हैं. 24 साल की वांग के नाम उबेर कप और वर्ल्ड कप भी है. दो दिन पहले जान बूझ कर हारने की वजह से चीन की दो खिलाड़ियों को ओलंपिक के युगल मुकाबले से निकाला गया है. इसके बाद वांग पर अपने देश के लिए बेहतर प्रदर्शन करने का खासा दबाव होगा.
सानिया का प्रदर्शन
दूसरी तरफ दुनिया की पांचवीं नंबर की बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल तजुर्बे से ज्यादा जोश और फूर्ति से काम लेने की कोशिश करेंगी. लंदन ओलंपिक में उन्होंने अब तक के अपने सारे मैच सीधे सेटों में जीते हैं और इस बात का मनोवैज्ञानिक फायदा उन्हें जरूर मिल सकता है. 22 साल की साइना कभी दुनिया की दूसरी नंबर की खिलाड़ी बन चुकी थीं लेकिन इसके बाद उनकी रैंकिंग थोड़ी नीचे हुई है. उनके नाम वर्ल्ड चैंपियनशिप और कॉमनवेल्थ के गोल्ड मेडल हैं, जबकि एशियाड 2010 में उन्होंने कांस्य पदक जीता है.
क्वार्टर फाइनल के मैच में लंदन के वेम्बली स्टेडियम में हजारों की तादाद में भारतीय दर्शक जमा हुए और जब वो स्टेडियम से बाहर निकले तो उनके चेहरे पर मुस्कुराहट, चैन और सम्मान साफ झलक रहा था.
सपना सच हुआ
उधर, सानिया भी बेहद उत्साहित थीं, "मैं बहुत खुश हूं. ओलंपिक के सेमीफाइनल में खेलना मेरा सपना था. पिछली बार बीजिंग ओलंपिक में मैं क्वार्टर फाइनल में 11-13 से आगे चल रही थी. उसके बाद भी हार गई. मैं उसे अभी भी नहीं भूल पाई हूं. अब मेरा सपना सच हुआ है. यह अविश्वसनीय है."
भारत के सबसे बड़े खेल पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न से सम्मानित हो चुकीं साइना ने कहा कि बीजिंग का प्रदर्शन हमेशा उनके दिमाग में रहता है लेकिन लंदन ओलंपिक के क्वार्टर फाइनल का मैच उन्होंने उस बात को भुला कर खेला.
साइना के इस मैच पर थोड़े सवाल भी उठे. उनके पहले ही शॉट पर उन्हें अंक मिलना चाहिए था लेकिन लाइन्समैन ने उस शॉट को आउट करार दिया. अभी वह उबरी भी न थीं कि दूसरी बार भी ऐसा हो गया. इसके बाद वह थोड़ी परेशान हुईं लेकिन बाद में उनके कोच गोपीचंद ने उन्हें शांत किया. साइना का कहना है कि गोपीचंद की सलाह उनके बड़े काम आई और दबाव में आने के बाद भी वह उसी वजह से मैच जीत पाईं.
अजब गजब फैसले
हालांकि दूसरे गेम में थोड़ा उलटा हुआ. जब बेल्जियम की खिलाड़ी को गेम जीतने के लिए सिर्फ एक अंक चाहिए था, तो साइना ने शटल बाहर मार दी. लेकिन लाइन्समैन ने उसे ठीक करार दिया और इस तरह साइना को अंक मिल गया. उसके बाद अगला अंक जीत कर साइना ने जीत दर्ज कर ली.
साइना को अब अगले मुकाबले के लिए सोचना है. उनके सामने दुनिया की पहले नंबर की खिलाड़ी हैं और वांग के साथ पिछली पांच भिड़ंत में साइना एक बार भी जीत हासिल नहीं कर पाई हैं. लेकिन खेल अद्भुत उलटफेर की संभावनाओं से भरे होते हैं और ऐसे रिकॉर्ड टूट भी सकते हैं.
रिपोर्टः नॉरिस प्रीतम, लंदन
संपादनः अनवर जे अशरफ