पनामा नहर अपने 100 साल मनाने जा रहा है. ऐसी नहर, जिसके निर्माण में हजारों मजदूरों की जान गई. लेकिन आज यह नहर 100 साल पीछे नहीं, बल्कि आगे की ओर देख रही है.
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इस नहर को आधिकारिक तौर पर 15 अगस्त, 1914 में खोला गया था. इस नहर के लिए जिस तरह की इंजीनियरिंग इस्तेमाल की गई, उससे इसे दुनिया का आठवां अजूबा भी कहा जाता है. पहले फ्रांस ने यहां नहर बनाने की कोशिश की लेकिन 1889 में उसने हाथ खड़े कर दिए. उसके बाद अमेरिका ने इस प्रोजेक्ट को पूरा किया.
इसके निर्माण के दौरान दसियों हजार मजदूरों की मौत हो गई, जिनमें से ज्यादातर को पीत ज्वर और मलेरिया हो गया था. लगभग 80 किलोमीटर लंबी नहर का प्रशासन 31 दिसंबर, 1999 को पनामा को सौंप दिया गया. अब इसी तरह की या इससे भी लंबी नहरें निकारागुआ और ग्वाटेमाला में भी बनाने की योजना है. पनामा नहर का बहुत सा कारोबार मिस्र की स्वेज नहर के पास भी चला गया.
पनामा नहर मामलों के मंत्री रोबर्टो रॉय ने कहा कि नहर में तीसरे लॉक का निर्माण पूरा होने के बाद चौथे सेट के लॉक लगाए जाएंगे. तीसरे और चौथे लॉक तैयार होने के बाद मौजूदा दौर के विशाल जहाज भी पनामा से गुजर सकेंगे. मौजूदा लॉक बेहद बड़े जहाजों के लिए छोटे पड़ रहे हैं.
पनामा नहर दुनिया के अकेला ऐसा जलमार्ग है जहां कप्तान अपने जहाज का नियंत्रण पूरी तरह छोड़ देता है. अंटलांटिक और प्रशांत महासागर को जोड़ने वाली इस नहर में जहाज को पनामा विशेषज्ञ कप्तान लेकर जाते हैं. समुद्र से नहर के मुहाने में पहुंचने के बाद लॉकों की मदद से जहाज को 85 फुट उठाया जाता है. फिर जहाज गाटून झील से होता हुआ आगे बढ़ता है. दूसरे छोर पर लॉकों की मदद से जहाज को फिर 85 फुट नीचे समुद्र के स्तर पर लाया जाता है.
ये काम तीन लॉकों के जरिए होता है. लॉक सीढ़ी का काम करते हैं. जहाज को दाखिल होने के बाद पहले लॉक को बंद कर दिया जाता है. फिर लॉक में पानी भरा जाता है. पानी की मदद से जहाज ऊपर उठता है और दोनों तरफ लगे कई शक्तिशाली रेलवे इंजन उसे धीरे धीरे अगले लॉक तक ले जाते हैं. वहां भी यही प्रक्रिया फिर से की जाती है. इस तरह तीन चरणों में उठा जहाज गाटून झील से जुड़ी नहर में दाखिल होता है. वापस समुद्र में आने के लिए एक एक कर तीन लॉकों का पानी धीरे धीरे छोड़ा जाता है.
पनामा नहर अगर न हो तो पूर्वी अमेरिका से पश्चिमी अमेरिका या यूरोप से पश्चिमी अमेरिका जाने के लिए जहाजों को 12,679 किलोमीटर का चक्कर काटना पड़ेगा. इसमें कम से कम दो हफ्ते लगेंगे. पनामा के जरिए यह काम 10 से 13 घंटे में हो जाता है. हर दिन इस नहर से 42 जहाज गुजरते हैं. लेकिन मौजूदा दौर के कई जहाज 400 मीटर लंबे और 50 मीटर चौड़े हैं. पनामा के मुहाने उनके लिए छोटे पड़ते हैं.
एजेए/ओएसजे (डीपीए)
लहरों पर घर
तकनीक का शानदार इस्तेमाल. बनाए पानी पर तरह तरह के मकान.
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लंबी परंपरा
दुनिया के कई हिस्सों में लोग पानी पर रहते हैं. कश्मीर में 25 से 40 मीटर लंबी हाउस बोट होती हैं. ये पर्यटकों के लिए खास बनाई गई थी. इनका आयडिया ब्रिटिश लोगों के साथ आया था.
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बाढ़ से बचाव
नीदरलैंड्स की आर्किटेक्ट कंपनी वॉटरस्टुडियो.एनएल ने किले जैसे आकार में यूरोप के पहले स्विमिंग अपार्टमेंट कॉम्पेल्क्स का नक्शा बनाया है. डेल्फ्ट और द हेग के बीच बनेंगे 60 अपार्टमेंट. बढ़ते जल स्तर से भी हो सकेगा बचाव.
तस्वीर: Koen Olthuis, Waterstudio.NL / ONW/BNG GO
लोगों के लिए नहीं
यह डिजाइन भी वॉटर स्टुडियो का है. लेकिन इंसानों के लिए नहीं, जानवरों के लिए. सी ट्री नाम की इस इमारत की नींव समंदर की सतह में बनाई गई है.
तस्वीर: Koen Olthuis, Waterstudio.NL
तैरती मस्जिद
संयुक्त अरब अमीरात के लिए तैरती हुई मस्जिद का डिजाइन भी हॉलैंड के आर्किटेक्ट्स ने ही बनाया है. अंदर त्रिकोणाकार खंबे हैं जो छत को सहारा तो देते ही हैं और पारदर्शी होने के कारण रौशनी भी भरपूर आती है.
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हाईटैक पर्यटन
बढ़ते जल स्तर का खतरा हिंद महासागर के द्वीपों को भी है, मालदीव को भी. लेकिन अब पर्यटकों के लिए गोल्फकोर्स वाला तैरता हॉलीडे पार्क, ग्रीन स्टार. डिजाइन नीदरलैंड्स का ही.
तस्वीर: Koen Olthuis, Waterstudio.NL
फूल जैसा
मालदीव के लिए वॉटरस्टुडियो.एनएल ने बनाया है फूल जैसा डिजाइन. 185 तैरती हुई लक्जरी विला जिसपर नाव से जाया जा सकेगा. पहले द फाइन लगून घर बिकने को तैयार हैं.
भविष्य के तैरते हुए द्वीप का खाका ही नहीं. कई साल पहले से ही लोग पानी पर रहते हैं. सिर्फ नीदरलैंड्स में ही वॉटरवोनिंग की परंपरा नहीं है. एम्सटरडम में करीब ढाई हजार हाउस बोट हैं.
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पूरा गांव
उत्तरी वियतनाम के हालोंग में तो पूरे गांव ही तैरते हुए हैं. करीब 1600 लोग इन तैरते हुए लकड़ी के घरों में रहते हैं. मछली पालन, मोतियों की खेती और पर्यटकों से इनकी आजीविका है.
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बिकेगा यूरोप
अरब के प्रायद्वीप में पानी पर रहने की शुरुआत हो गई है. दुबई में द वर्ल्ड द्वीप समूह का उद्घाटन हुआ है. 270 द्वीपों में यूरोप बिकने को है. एक घर की कीमत चार करोड़ अमेरिकी डॉलर.
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आलोचना
दुबई में ही पाम द्वीप बनाए गए. पर 2001 से अब तक सिर्फ एक ही पाम तक जाया जा सकता है. प्रोजेक्ट की पानी के खराब सर्कुलेशन के कारण आलोचना हो रही है. पानी के कारण वहां काई जमने लगी है.