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पनामा नहर के 100 साल

१४ अगस्त २०१४

पनामा नहर अपने 100 साल मनाने जा रहा है. ऐसी नहर, जिसके निर्माण में हजारों मजदूरों की जान गई. लेकिन आज यह नहर 100 साल पीछे नहीं, बल्कि आगे की ओर देख रही है.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

इस नहर को आधिकारिक तौर पर 15 अगस्त, 1914 में खोला गया था. इस नहर के लिए जिस तरह की इंजीनियरिंग इस्तेमाल की गई, उससे इसे दुनिया का आठवां अजूबा भी कहा जाता है. पहले फ्रांस ने यहां नहर बनाने की कोशिश की लेकिन 1889 में उसने हाथ खड़े कर दिए. उसके बाद अमेरिका ने इस प्रोजेक्ट को पूरा किया.

इसके निर्माण के दौरान दसियों हजार मजदूरों की मौत हो गई, जिनमें से ज्यादातर को पीत ज्वर और मलेरिया हो गया था. लगभग 80 किलोमीटर लंबी नहर का प्रशासन 31 दिसंबर, 1999 को पनामा को सौंप दिया गया. अब इसी तरह की या इससे भी लंबी नहरें निकारागुआ और ग्वाटेमाला में भी बनाने की योजना है. पनामा नहर का बहुत सा कारोबार मिस्र की स्वेज नहर के पास भी चला गया.

पनामा नहर मामलों के मंत्री रोबर्टो रॉय ने कहा कि नहर में तीसरे लॉक का निर्माण पूरा होने के बाद चौथे सेट के लॉक लगाए जाएंगे. तीसरे और चौथे लॉक तैयार होने के बाद मौजूदा दौर के विशाल जहाज भी पनामा से गुजर सकेंगे. मौजूदा लॉक बेहद बड़े जहाजों के लिए छोटे पड़ रहे हैं.

पनामा का एक लॉकतस्वीर: RODRIGO ARANGUA/AFP/Getty Images

पनामा नहर दुनिया के अकेला ऐसा जलमार्ग है जहां कप्तान अपने जहाज का नियंत्रण पूरी तरह छोड़ देता है. अंटलांटिक और प्रशांत महासागर को जोड़ने वाली इस नहर में जहाज को पनामा विशेषज्ञ कप्तान लेकर जाते हैं. समुद्र से नहर के मुहाने में पहुंचने के बाद लॉकों की मदद से जहाज को 85 फुट उठाया जाता है. फिर जहाज गाटून झील से होता हुआ आगे बढ़ता है. दूसरे छोर पर लॉकों की मदद से जहाज को फिर 85 फुट नीचे समुद्र के स्तर पर लाया जाता है.

ये काम तीन लॉकों के जरिए होता है. लॉक सीढ़ी का काम करते हैं. जहाज को दाखिल होने के बाद पहले लॉक को बंद कर दिया जाता है. फिर लॉक में पानी भरा जाता है. पानी की मदद से जहाज ऊपर उठता है और दोनों तरफ लगे कई शक्तिशाली रेलवे इंजन उसे धीरे धीरे अगले लॉक तक ले जाते हैं. वहां भी यही प्रक्रिया फिर से की जाती है. इस तरह तीन चरणों में उठा जहाज गाटून झील से जुड़ी नहर में दाखिल होता है. वापस समुद्र में आने के लिए एक एक कर तीन लॉकों का पानी धीरे धीरे छोड़ा जाता है.

पनामा नहर अगर न हो तो पूर्वी अमेरिका से पश्चिमी अमेरिका या यूरोप से पश्चिमी अमेरिका जाने के लिए जहाजों को 12,679 किलोमीटर का चक्कर काटना पड़ेगा. इसमें कम से कम दो हफ्ते लगेंगे. पनामा के जरिए यह काम 10 से 13 घंटे में हो जाता है. हर दिन इस नहर से 42 जहाज गुजरते हैं. लेकिन मौजूदा दौर के कई जहाज 400 मीटर लंबे और 50 मीटर चौड़े हैं. पनामा के मुहाने उनके लिए छोटे पड़ते हैं.

एजेए/ओएसजे (डीपीए)

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