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"पप्पू" की छवि तोड़ पाएंगे राहुल?

ओंकार सिंह जनौटी
२३ अगस्त २०१८

जबरदस्त भाषण देने की काबिलियत नेताओं को लोकप्रिय बनाती है, राहुल गांधी इस कला के माहिर नहीं हैं. जर्मनी में उनके संबोधन में भी इसका एहसास हुआ. उनका ये दौरा विदेशों में पीएम नरेंद्र मोदी को टक्कर देने की कोशिश जरूर है.

Indien Vereidigung Oppositionsführer Rahul Gandhi
तस्वीर: Reuters/A. Hussain

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी चार दिन के यूरोप दौरे के पहले चरण में बुधवार को जर्मन शहर हैम्बर्ग पहुंचे. हैम्बर्ग में प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने मोदी सरकार को बेरोजगारी और खराब आर्थिक नीतियों के लिए जिम्मेदार ठहराया. इस्लामिक स्टेट के जन्म के समानान्तर उदाहरण देते हुए राहुल ने कहा कि अगर लोगों को विकास से दूर रखा गया तो ऐसे हालात हो सकते हैं, "21वीं सदी में लोगों को बाहर रखना काफी खतरनाक है. 21वीं सदी में अगर आप लोगों को विजन नहीं देंगे तो कोई और उन्हें देगा."

दुनिया में हो रहे बदलावों का हवाला देते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि भारत को भी अपने लोगों की सुरक्षा करनी चाहिए. लेकिन नोटबंदी और जीएसटी जैसे कदमों से लोग आक्रोश में हैं और लिंचिंग जैसी घटनाएं हो रही हैं, "उन्हें (बीजेपी सरकार) लगता है कि आदिवासी समुदाय, गरीब किसान, निचली जाति के लोग और अल्पसंख्यकों को कुलीनों जैसे फायदे नहीं मिलने चाहिए."

प्रवासी भारतीयों को संबोधित करने के दौरान राहुल गांधी ने प्रवासी भारतीयों को वोट देने के अधिकार के मुद्दे को जरा भी नहीं छुआ. असल में बीजेपी जनप्रतिनिधित्व कानून में संशोधन कर प्रवासी भारतीयों को वोट डालने का अधिकार देना चाहती है. लेकिन कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी पार्टियां लोक सभा में इसका विरोध कर रही हैं. अब राहुल गांधी उन्हीं प्रवासियों के बीच पहुंचे हैं, जिन्हें मताधिकार देने से उन्हीं की पार्टी हिचकिचा रही है.

लोक सभा चुनावों की तैयारी शुरूतस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. Solanki

दिसंबर 2017 में कांग्रेस के निर्विरोध अध्यक्ष बने राहुल गांधी आगामी लोकसभा चुनावों की तैयारी में जुटे हैं. 48 साल के राहुल गांधी जानते हैं कि कांग्रेस की राह मुश्किल है. फिलहाल 19 राज्यों में बीजेपी और उसके सहयोगियों की सरकारें हैं. कांग्रेस कर्नाटक, पंजाब, मिजोरम और पुद्दुचेरी तक सिमट चुकी है. ताजा सर्वेक्षणों के मुताबिक भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के सामने कांग्रेस कमजोर दिख रही है.

राहुल गांधी कांग्रेस में युवा चेहरों को आगे बढ़ाने की बात कई बार कर चुके हैं. लेकिन तथ्य यह भी है कि भारतीय युवाओं के बड़े तबके के बीच राहुल की छवि बहुत गंभीर नहीं है. सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में उन्हें "पप्पू" कहा जाने लगा है. प्रमुख विपक्षी पार्टी के सबसे बड़े नेता राहुल बीच बीच में तारीफें जरूर बटोरते हैं, लेकिन फिर वह कुछ ऐसा बोल जाते हैं कि बनती इमेज बिखर जाती है.

अगले राजनीतिक मुकाबले में अब बहुत कम समय बचा है. मौजूदा लोक सभा का कार्यकाल मई 2019 में खत्म होना है. चुनाव उससे पहले होंगे. राहुल गांधी अभी से तैयारियों में जुट गए हैं. विदेश में प्रवासी भारतीयों से मिलना कई माइनों में फायदेमंद हो सकता है. कमजोर कांग्रेस फंड की उम्मीद कर सकती है. सोशल मीडिया और यूट्यूब के जरिए राहुल गांधी के बयान फौरन भारत तक पहुंचेंगे. सब कुछ कांग्रेस की आशा के मुताबिक हुआ तो छवि बदलने की कोशिश करते राहुल गांधी और उनकी पार्टी को जरूर फायदा मिलेगा.

 

 

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