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परमाणु ऊर्जा के खिलाफ लाखों जर्मन सड़कों पर

२७ मार्च २०११

शनिवार को जर्मनी में परमाणु ऊर्जा का उत्पादन बंद करने के लिए अब तक के सबसे बड़े प्रदर्शन हुए हैं. बर्लिन, हैम्बर्ग, म्युनिख, कोलोन व अन्य शहरों में लाखों लोगों ने परमाणु ऊर्जा के विरोध में प्रदर्शन किए.

तस्वीर: dapd

आयोजकों के अनुसार कुल मिलाकर ढाई लाख लोगों ने इन प्रदर्शनों में हिस्सा लिया. खासकर आज रविवार को जर्मनी के दो महत्वपूर्ण प्रदेशों बाडेन व्युर्टेमबर्ग और राइनलांड पैलेटिनेट में होने वाले चुनावों के मद्देनजर इन प्रदर्शनों से देश के सत्तारूढ़ मोर्चे में शामिल पार्टियों सीडीयू और एफडीपी पर राजनीतिक दबाव काफी बढ़ गया है. प्रदर्शनकारियों का नारा था - फुकुशिमा का मतलब है : परमाणु बिजलीघर बंद करो.

तस्वीर: AP

पुलिस की सूचनाओं के अनुसार सिर्फ बर्लिन में ही एक लाख से अधिक लोगों ने प्रदर्शन में भाग लिया. संगठकों का कहना है कि उनकी संख्या एक लाख ब20 हजार थी. इसी तरह म्यूनिख में पुलिस के अनुसार 30 हजार व आयोजकों के मुताबिक 40 हजार लोगों ने बारिश के बीच प्रदर्शन में भाग लिया. हैम्बर्ग में 50 हजार व कोलोन में 40 हजार लोगों ने इन परमाणु विरोधी प्रदर्शनों में भाग लिया.

आखिरी बिजलीघर तक

इन प्रदर्शनों का आयोजन आउसगेश्ट्राल्ट नामक संगठन की ओर से किया गया था. इस शब्द का अर्थ है विकिरित. आउसगेशट्राल्ट के प्रवक्ता योखेन स्टे ने कहा कि ये परमाणु ऊर्जा के खिलाफ जर्मनी में अब तक के सबसे बड़े प्रदर्शन थे. साथ ही उन्होंने कहा कि ये प्रदर्शन देश में एक नए मजबूत परमाणु विरोधी आंदोलन की शुरुआत के संकेत हैं, जो तब तक जारी रहेगा, जब तक आखिरी परमाणु बिजलीघर बंद नहीं हो जाता है.

यूनियन दलों व एफडीपी के मोर्चे की सरकार ने परमाणु बिजलीघरों को धीरे-धीरे बंद करने की अवधि को काफी हद तक बढ़ाने का फैसला किया था. जापान की दुर्घटना के बाद इस फैसले को तीन महीने के लिए स्थगित कर दिया गया है. साथ ही, सात पुराने परमाणु बिजलीघरों को बंद कर दिया गया है. लेकिन मत सर्वेक्षणों के अनुसार अधिकतर नागरिकों का मानना है कि सिर्फ आने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर यह फैसला लिया गया है. सरकार की विश्वसनीयता पर काफी आंच आई है, जिसका संकेत शनिवार के विशाल प्रदर्शनों में भी देखने को मिला है.

रिपोर्टः एजेंसियां/उभ

संपादनः वी कुमार

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