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'परमाणु नीति पर कई सवाल बाकी हैं'

३० मई २०११

परमाणु ऊर्जा संयंत्र 2022 तक पूरी तरह बंद करने के फैसले की जर्मनी की ग्रीन पार्टी ने आलोचना की है और कहा है कि अब भी कई सवाल अनुत्तरित हैं. जर्मन सरकार ने परमाणु ऊर्जा संयंत्र बंद करने का फैसला लिया है.

Die Vorsitzende von Bündnis 90/Die Grünen, Claudia Roth (r), gratuliert am Montag (23.05.2011) in Berlin der Spitzenkandidatin der Grünen bei den Bremer Bürgerschaftswahlen, Karoline Linnert. Die Grünen liegen nach den Prognosen mit 22,5 Prozent der Stimmen vor der CDU und sind damit zweitstärkste Kraft in Bremen. Foto: Stephanie Pilick dpa/lbn +++(c) dpa - Bildfunk+++
तस्वीर: picture alliance/dpa

परमाणु ऊर्जा नीति के मुद्दे पर प्रांतीय चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करने वाली जर्मनी की ग्रीन पार्टी ने सरकार की योजना की आलोचना की है. पार्टी प्रमुख क्लाउडिया रोथ ने कहा कि 2022 तक पूरी तरह से परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल बंद करने की नीति में कई सवाल अभी भी खुले हुए हैं. "इसमें सबसे बड़ा सवाल है कि परमाणु कचरे को कहां रखा जाएगा या उसका क्या किया जाएगा. इस बारे में मैंने अभी तक कुछ नहीं सुना है."

2022 तक जर्मनी पूरी तरह से परमाणु ऊर्जा का उपयोग बंद कर देगा. सात सबसे पुराने परमाणु ऊर्जा संयंत्र और क्र्युमेल संयंत्र को पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा लेकिन इनमें से एक स्टैंड बाय के तौर पर रखा जाएगा. रोथ का कहना है, "तो इसका मतलब है कि सबसे पुराने निश्चित तौर पर और पूरी तरह से बंद नहीं किए जाएंगे."

सरकार का विरोध जारीतस्वीर: dapd

आगे क्या

हालांकि अभी तक इस बारे में कोई फैसला नहीं किया गया है कि परमाणु ऊर्जा से पैदा होने वाली बिजली की कमी किस तरह पूरी की जाएगी. वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों से ज्यादा बिजली बनाने के बारे में कोई बातचीत नहीं की गई है. पारंपरिक कोयले से बिजली के बारे में क्लाउडिया रोथ का कहना है, "आप परमाणु ऊर्जा के शैतान की जगह कोयले के शैतान का इस्तेमाल नहीं कर सकते. क्योंकि परमाणु ऊर्जा से हटने का एक कारण पर्यावरण सुरक्षा भी है. और इसे आप कोयला बिजली संयंत्र से नहीं पा सकते."

जापान का असर

जापान में परमाणु ऊर्जा संयंत्र में पैदा हुए संकट के बाद से जर्मनी में परमाणु नीति को बदलने के लिए राजनीतिक पटल पर और नागरिकों के विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं. इस संकट का असर यूं हुआ कि हाल ही में जर्मनी के कई राज्यों में हुए प्रांतीय चुनावों में वैकल्पिक ऊर्जा का समर्थन करने वाली ग्रीन पार्टी को भारी बहुमत मिला है.

दुनिया भर में वैकल्पिक ऊर्जा के लिए मशीनों का निर्यात करने वाले जर्मनी में अब भी मुख्य तौर पर काले कोयले और भूरे कोयले से सबसे ज्यादा बिजली बनाई जाती है. उसके बाद परमाणु ऊर्जा का नंबर है और फिर वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की बारी आती है.

रिपोर्टः एजेंसियां/आभा मोंढे

संपादनः एस गौड़

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