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परमाणु शक्ति को और बढ़ाएगा उत्तर कोरिया

ऋतिका पाण्डेय (रॉयटर्स)९ मई २०१६

उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयांग में करीब चार दशक बाद सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी की पहली कांग्रेस हुई. वर्कर्स पार्टी के प्रमुख किम जोंग उन ने आत्मरक्षा वाले और परमाणु हथियार बनाने की बात कही.

Nordkorea Pyongyang Kim Jong Un
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo

उत्तर कोरिया की केसीएनए समाचार एजेंसी के अनुसार राजधानी प्योंगयांग में 36 सालों बाद हो रही कांग्रेस के दौरान संयुक्त राष्ट्र के संकल्प का उल्लंघन करते हुए सत्ताधारी वर्कर्स पार्टी ने नए परमाणु हथियार विकसित करने का प्रस्ताव पास किया. परमाणु कार्यक्रम पर तमाम अंतरराष्ट्रीय दबावों के बावजूद उत्तर कोरिया उसे रोकने को तैयार नहीं है. उत्तर कोरिया ने खुद को "एक जिम्मेदार परमाणु हथियार संपन्न राज्य" बताते हुए उसके प्रथम इस्तेमाल से इनकार किया है.

पार्टी कांग्रेस के दौरान रहस्य में रहने वाले देश ने विदेशी पत्रकारों को वीजा जारी किया. विदेशी मीडिया के कम से कम 128 सदस्य इस मौके पर प्योंगयांग पहुंचे. हालांकि इस दौरान बीबीसी पत्रकारों पर प्रशासन के खिलाफ 'गलत बातें बोलने' का आरोप लगाकर हिरासत में लेकर पूछताछ की गई. इन पत्रकारों को लिखित माफीनामा देना पड़ा और भविष्य में कभी देश में प्रवेश की अनुमति ना मिलने की सजा के साथ देश से बाहर निकाल दिया गया.

अपने पिता की आकस्मिक मृत्यु के बाद 2011 में युवा नेता किम जोंग उन ने सत्ता संभाली. कांग्रेस के चौथे दिन उन्हें पार्टी अध्यक्ष की नई उपाधि दी गई. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पहले पार्टी सचिव के पद पर कार्यरत किम जोंग उन अपनी इस पदोन्नति का इस्तेमाल कर कांग्रेस में अपनी शक्ति को और बढ़ाएंगे. पश्चिमी विशेषज्ञों का अंदाजा है कि उत्तर कोरिया के पास इस समय करीब 40 किलोग्राम प्लुटोनियम का भंडार है, जो 8 से 12 परमाणु हथियार बनाने के लिए काफी होगा.

दक्षिण कोरिया के साथ उत्तर कोरिया के संबंध 1950-53 के गृहयुद्ध के थमने से लेकर आज तक वैसे ही हैं. इस सप्ताहांत किम ने दक्षिण कोरिया के साथ बातचीत के जरिए समाधान निकालने की बात की. उन्होंने कहा कि तनाव कम करने के लिए बातचीत की जरूरत है. दक्षिण कोरिया ने इसे व्यर्थ बताते हुए नकार दिया. दक्षिण कोरिया की एकीकरण मंत्रालय के प्रवक्ता चियोंग जून ही ने उत्तर कोरिया के प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "हमने बातचीत का विचार त्यागा नहीं है...लेकिन पहले उत्तर कोरिया परमाणु मुक्त बनने को लेकर निष्ठा तो दिखाए, तभी असली बातचीत संभव है."

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