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परमाणु सुरक्षा पर अनेकतापूर्ण एकता

१४ अप्रैल २०१०

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के निमंत्रण पर वॉशिंगटन में परमाणु शिखर सम्मेलन नेकनीयति की एक घोषणा के साथ समाप्त हुआ. 47 देशों ने कहा है कि वे अगले चार वर्षों में अपनी परमाणु सामग्रियों की सुरक्षा का इंतज़ाम कर लेंगे.

तस्वीर: AP

वॉशिंगटन में बहुत ही असामान्य अनेकतापूर्ण एकता दिखायी पड़ी. चीन से लेकर आर्मेनिया तक के देशों को एक ही चिंता जोड़ती है कि परमाणु सामग्री कहीं ग़लत हाथों में न पड़ जाये. संसार भर में बम बनाने लायक उच्च शुद्धता वाला 1500 टन यूरेनियम और 600 टन प्लूटोनियम जमा हो गया है. हज़ारों बम बन सकते हैं. ग़लत हाथों में पड़ने पर अकूत लोग मर सकते हैं.

हिलेरी क्लिंटन और सेर्गेई लावरोवतस्वीर: AP

तो क्या, शिखर सम्मेलन से यह ख़तरा मिट गया? नहीं, केवल नेकनीयति की घोषणा कर देने भर से वह मिट भी नहीं सकता. तब भी, यह भी क्या कम है कि 47 देशों ने उस के बारे में विचारविमर्श किया! कोई बाध्यकारी समझौता संभव नहीं था, इसलिए क्या हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते?

बराक ओबामा ने एक बार फिर दिखाया कि वे जो संभव है, उसी को साधने की कोशिश करते हैं. वे एकदम ख़ाली हाथ भी नहीं रहे. यूक्रेन, कैनडा और मेक्सिको ने वादा किया कि वे उच्च शुद्धता वाले यूरेनियम का परित्याग कर देंगे. रूस और अमेरिका ने कहा कि वे बम बनाने लायक फ़ालतू प्लूटोनियम को ऊर्जा में बदल कर उसे नष्ट कर देंगे. चीन ने भी बिना अगर-मगर के समापन घोषणा पारित होने दी.

मैर्केल और ओबामातस्वीर: AP

अच्छा ही था कि कोई नये नियम-क़ानून बनाने के बदले अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा अधिकरण जैसी संस्थाओं को ही और भी सशक्त बनाने पर बल दिया गया.

भारत, पाकिस्तान और इस्राएल ने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं. ईरान ने हस्ताक्षर किये हैं, तब भी बम बनाने के चक्कर में है. मई में परमाणु अस्त्र निषेध संधि का नया समीक्षा सम्मेलन उतना सुखद नहीं सिद्ध होगा, जितना वॉशिंगटन सम्मेलन था.

ओबामा ने माना कि अमेरिका ने स्वयं इस बात की अब तक विशेष परवाह नहीं की कि परमाणु सामग्रियों के साथ कोई छेड़छाड़ संभव ही न हो. आतंकवाद और आतंकवादियों के डर से अब सभी इस बारे में सोचविचार करने लगे हैं. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल भी यही कहती हैं कि परमाणु सामग्री आतंकवादियों के हाथ से दूर रखना आज के समय की सबसे बड़ी मांग है.

समीक्षा: क्रिस्टीना बेर्गमान/राम यादव

संपादन: महेश झा

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