परमाणु हथियार शांति के हथियार- काकोदकर
१९ मार्च २०१०अनिल काकोदकर का कहना था कि 1974 और 1998 में "जब भारत ने परमाणु परीक्षण किए तो कई देशों ने हम पर प्रतिबंध लगाए लेकिन इन परीक्षणों से हमारे सामने कई मौक़े खुले और इस दिशा में शोध और विकास में हम बहुत अच्छे स्तर तक पहुंच चुके हैं." काकोदकर ने एक समारोह में कहा, "परमाणु हथियार दार्शनिक दृष्टिकोण से शांति के लिए हो सकते हैं और वे निवारक के तौर पर कार्य करते हैं. इसलिए मैं उन्हें शांति के हथियार कहता हूं."
काकोदकर का कहना था कि भाभा परमाणु शोध संस्थान के निदेशक के तौर पर 1998 में पोखरण टू परीक्षण "मेरे लिए तकनीकी और प्रबंधन की बड़ी चुनौती था. यह मेरे काम और मेरे परिवार के लिए बहुत कठिन समय था."
उपयोग किए गए ईंधन के बारे में जवाब देते हुए काकोदकर ने कहा कि "ख़र्च ईंधन की फिर से प्रोसेसिंग की जाती है और उसे फिर से इस्तमाल किया जा सकता है फिर वे पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाते."
काकोदकर का कहना था कि परमाणु ऊर्जा क्षेत्र जितना चाहिए था उतने स्तर तक नहीं पहुंच सका क्योंकि बहुत सारे प्रतिबंध लगाए गए थे.
रिपोर्टः पीटीआई/आभा मोंढे