भारत में परिवार नियोजन के बजट का पचासी प्रतिशत हिस्सा महिलाओं में नसबंदी करने और इसे बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल होता है. गैर-सरकारी संगठन पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया का मानना है कि सरकार को गर्भनिरोध के अन्य विकल्पों को बढ़ावा देने के लिए ज्यादा खर्च करना चाहिए. संगठन की कार्यकारी निदेशक पूनम मुटरेजा के अनुसार वर्ष 2013-14 के राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम के लिए कुल 4 अरब रुपये के बजट में से 3.4 अरब रुपए महिला नसबंदी पर खर्च किए गए.
जनसंख्या वृद्धि पर लगाम लगाने के लिए भारत के प्रयासों को चीन के बाद सबसे अधिक कठोर माना जाता है. हाल के दशकों में जन्म दर गिरा तो जरूर है, लेकिन जनसंख्या वृद्धि के मामले में भारत अभी भी दुनिया के सबसे तेज वृद्धि वाले देशों में से एक है. महिला नसबंदी के मामले में भारत पहले स्थान पर है. भारत का नसबंदी अभियान पिछले नवंबर में उस वक्त खबरों में आया जब छत्तीसगढ़ के एक नसबंदी शिविर में ऑपरेशन के बाद 15 महिलाओं की मौत हो गई थी और दूसरी कई महिलाओँ को अस्पतालों में भर्ती करना पड़ा था.
जांच में शिविर में व्याप्त गंदगी, गंदे चिकित्सा उपकरणों और मरीजों की देखभाल में समग्र कमी को बिलासपुर के इस हादसे के लिए जिम्मेदार पाया गया. ज्यादातर मरीज गरीब आदिवासी और पिछड़े जाति की महिलाएं थीं. प्रशासन ने सुरक्षित और स्वच्छ सर्जरी के संचालन के लिए अब दिशानिर्देश जारी किए हैं और सही तरीके से नसबंदी के ऑपरेशन करने के लिए स्थानीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है. लेकिन इनाम के साथ लक्ष्यबद्ध नसबंदी अब भी जारी है.
डॉक्टरों, नर्सों और स्वास्थ्यकर्मियों को नसबंदी को बढ़ावा देने और सर्जरी करने के लिए नकद इनाम दिया जाता है. नसबंदी कराने वाले पुरुषों और महिलाओं के लिए भी मुआवजा का प्रावधान है. नकद इनाम और मुआवजे की यह व्यवस्था डॉक्टरों को खतरों को नजरअंदाज करते हुए अधिक से अधिक सर्जरियां करने के लिए प्रेरित करते हैं. अक्सर अशिक्षित महिलाएं नसबंदी से जुड़े खतरों को जाने बगैर ही सर्जरी करवाने के लिए तैयार हो जाती हैं.
पूनम मुटरेजा का मानना है कि भारत को गर्भनिरोध के अन्य उपायों को बढ़ावा देने, बेहतर प्रजनन स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने और गर्भ निरोधकों के विकल्पों को बढ़ाने पर और अधिक निवेश करने की जरुरत है. एक अनुमान के अनुसार 32 लाख भारतीय महिलाएं आधुनिक गर्भनिरोधकों के दायरे से बाहर हैं. ऐसे में गर्भनिरोध के ज्यादा विकल्पों के साथ-साथ स्क्रीनिंग और फॉलो-अप की सुविधाओं से न सिर्फ अनचाहे गर्भधारण की संख्या में कमी आएगी बल्कि मातृ मृत्यु दर में कमी लाने में भी मदद मिलेगी.
एपी/एजे (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन)
भारत में आबादी नियंत्रण के लिए नसबंदी पर जरूरत से ज्यादा जोर दिया जा रहा है. पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने सरकार से गर्भनिरोध के अन्य विकल्पों को बढ़ावा देने के लिए प्रयास बढ़ाने की मांग की है.
तस्वीर: imago/Science Photo Libraryमां बनना हर महिला का सपना होता है. समाज के विकास के लिए भी यह जरूरी है. ज्यादा आबादी वाले देशों में आबादी कम करने के लिए परिवार नियोजन का विचार पैदा हुआ था, लेकिन कम बच्चे वाले देशों में भी अब आबादी बढ़ाने के लिए परिवार नियोजन का महत्व बढ़ता जा रहा है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/F. Heyderभारत में आबादी नियंत्रण के लिए गर्भ रोकने के दूसरे विकल्पों से ज्यादा महिलाओं की नसबंदी पर जोर दिया जाता है. इसके लिए चिकित्सा कर्माचारियों के अलावा महिलाओं को भी इनाम दिया जाता है. लेकिन अकसर बड़े पैमाने पर होने वाली नसंबंदी में दुर्घटनाएं भी होती हैं.
तस्वीर: Reuters/M. Mukherjeeपोलैंड जैसे जिन देशों में धार्मिक कारणों से गर्भपात कराना संभव नहीं है, वहां की महिलाएं गर्भपात कराने के लिए जर्मनी या ऑस्ट्रिया जैसे देशों का रुख करती हैं जहां कुछ क्लीनिक तो ग्राहकों के लिए दुभाषिए की सुविधा भी उपलब्ध कराती हैं.
तस्वीर: Gynmed Ambulatoriumबहुत से देशों में सुरक्षित सेक्स के बदले किशोरों को यौन संबंध न करने की सलाह दी जाती है. इसकी वजह से थाइलैंड जैसे देशों में गर्भवती किशोरियों की संख्या बढ़ रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि इसे रोकने के लिए किशोरों को गर्भनिरोधकों की जानकारी देना जरूरी है.
तस्वीर: NICOLAS ASFOURI/AFP/Getty Imagesबहुत से समाजों में शादी से पहले लड़के लड़कियों के रिश्ते को स्वीकार नहीं किया जाता. सेक्स शिक्षा के अभाव में बहुत से किशोरों को जोखिम का पता नहीं होता. लड़कियां अनचाहे गर्भवती हो जाती हैं. साथी और परिवार के समर्थन के बिना आखिरी सहारा डॉक्टर का होता है.
तस्वीर: Zsolnai Gergely/Fotoliaयूरोप में 1960 के दशक में ही गर्भनिरोधक गोलियां बाजार में आ गयी थी. इस पिल ने महिलाओं को अपने शरीर को नियंत्रण में लेने, आत्मनिर्भर बनने और परिवार के भरनपोषण में जिम्मेदारी उठाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.
तस्वीर: picture alliance/Everett Collectionगलती से गर्भवती होने का डर अब खत्म हो गया है. कई सालों से ऐसी ऐसे टैबलेट भी बाजार में है जो एहतियाती तौर पर संबंध बनने के बाद लिए जा सकते हैं. हालांकि कम जानकारी के चलते कई बार कम उम्र की लड़कियां इन्हें ज्यादा मात्रा में ले लेती हैं, जिससे रक्तस्राव भी होने लगता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Reinhardtपोलैंड में गर्भपात आम तौर पर प्रतिबंधित है. लेकिन एक प्रो-च्वाइस ग्रुप इस स्थिति को बदलना चाहती है. महिलाओं में जागरूकता लाने के लिए यह ग्रुप ड्रोन के जरिए गर्भ धारण की संभावना को रोकने वाली टैबलेट महिलाओं तक पहुंचाता है.
तस्वीर: L. Osborne