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परेशान कर रहा है रुपया

२५ जून २०१३

डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार लुढ़क रहा है. इसका असर देश की अर्थव्यवस्था पर तो हो रही रहा है, साथ ही यह मध्यम वर्गीय परिवारों की कमर तोड़ रहा है.

तस्वीर: AP

उद्योग मंडल एसोचैम की एक रिपोर्ट के अनुसार डॉलर के चढ़ाव ने मध्यमवर्गीय परिवारों के बजट को बिगाड़ के रख दिया है. एसोचैम की मंजू नेगी ने डॉयचे वेले बात करते हुए कहा कि वैसे तो रूपये के अवमूल्यन से देश की अर्थव्यवस्था में कई तरह के प्रभाव पड़े हैं, लेकिन खासतौर पर इसने महंगाई में वृद्धि की है. उनका कहना है, "रूपये में आई ताजा गिरावट ने मध्यमवर्गीय परिवारों के बजट को लगभग 33 प्रतिशत बढ़ा दिया है."

एसोचैम के असद वासी कहते हैं कि कच्चे तेल के लिए भारत दूसरे देशों पर निर्भर है. तेल आयात की यह मजबूरी भारत की अर्थव्यवस्था के लिए किसी बोझ से कम नहीं. उनका कहना है कि डॉलर के मुकाबले रूपये में गिरावट का सीधा असर इन आयात को और महंगा कर देता है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय व्यापार डॉलर में होता है. 

भारत में सोने का आयात भी बड़े पैमाने पर किया जाता है जिसके लिए भी डॉलर की जरूरत होती है. असद वासी के अनुसार "जब बाजार में तेल की कीमतें बढ़ती हैं तो उसका व्यापार घाटा भी उसी अनुपात में ऊपर चला जाता है."

गिरावट का कारण
इस साल के आखिर तक मौद्रिक राहत योजना की धीरे-धीरे समाप्ति का अमेरिका के फेडरल रिजर्व के संकेत ने रूपये की मौजूदा गिरावट को और तेज कर दिया है. पिछले दिनों फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष बेन बर्नान्के ने कहा कि इस साल के अंत तक वह मौद्रिक प्रोत्साहन उपायों को धीरे धीरे पीछे खींचेंगे. भारत सहित ब्राजील, अर्जेंटीना, जापान, ऑस्ट्रेलिया और इस्राएल जैसे दुनिया के उभरते बाजारों में इसका नकारात्मक असर पड़ा है. बम्बई शेयर बाजार में भी इसकी तीखी प्रतिक्रिया देखी गई.
भारत के वित्त मंत्री पी चिदंबरम का मानना है कि बेन बर्नान्के के राहत संबंधी हाल के बयान का गलत अर्थ लगाने की वजह से डॉलर अन्य कई मुद्राओं के मुकाबले तेजी से मजबूत हुआ है.

(ब्रिटेन की मंदी को झटका)

सरकार है सजग

रूपये में आयी गिरावट से घबराए निवेशकों को सरकार ने आश्वस्त किया है. निवेशकों को आश्वासन देते हुये सरकार ने कहा है कि रूपये की कमजोरी से डरने की कोई बात नहीं है. आगे होने वाले नकारात्मक प्रभावों से निपटने के लिये सरकार पूरी तरह तैयार हैं. वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार रघुराम राजन ने कहा कि सरकार, रिजर्व बैंक और सेबी ताजा घटनाक्रम को लेकर सजग हैं और जैसी भी जरूरत होगी उसके मुताबिक कदम उठाया जायेगा. उन्होंने कहा ‘‘हमारे पास उपायों की कमी नहीं है.''

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मुद्रा बाजार की अस्थिरता पर वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा है कि हाल में रुपये में हुए अवमूल्यन से घबराने की जरूरत नहीं है और भारतीय रिजर्व बैंक इसे रोकने के लिए कदम उठाएगा.
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ इकोनॉमिक्स के अध्यक्ष वीके श्रीनिवासन सरकार के रवैये और तर्कों से सहमत नहीं हैं. उनका कहना है कि रूपये में इस तरह के उतार चढ़ाव को रोकने के लिए बेहतर प्रणाली विकसित करनी चाहिए. वीके श्रीनिवासन ने डॉयचे वेले से कहा “भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए पेट्रोलियम पदार्थों के लिए निर्यात पर निर्भरता कम होनी चाहिए.''

डॉलर ने किया परेशान

महंगे डॉलर ने पेट्रोल की कीमत बढ़ा दी है और बढ़े हुए पेट्रोल ने मंहगाई में आग लगाने का काम किया है. इसके अलावा रुपये की कमजोरी ने ट्रैवल सेक्टर को भी प्रभावित किया है. डॉलर के मुकाबले रूपये के टूटने से विदेश जाना और वहां घूमना-फिरना महंगा हो गया है. आमतौर पर गर्मी की छुट्टियों में भारत से सैलानी स्विट्जरलैंड, इटली, फ्रांस, अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में घूमने के लिए जाना पसंद करते हैं, लेकिन इस बार रुपये की कमजोरी के चलते सैलानियों ने यूरोप या अमेरिका की बजाय थाईलैंड और सिंगापुर जैसे देशों देशों का रूख किया.

महंगे होते डॉलर ने उन अभिभावकों की चिंता बढ़ा दी है जिनके बच्चे विदेशों में पढ़ रहे हैं. विदेश में पढाई के इच्छुक कई छात्रों को अपने सपने से समझौता करना पड़ रहा है.

इस गिरावट के चलते आयात करने वाले सेक्टर जहां परेशान हैं वहीँ आईटी और फार्मा कंपनियों को इससे फायदा हो रहा है. आईटी के बाद फार्मा ही सबसे बड़ा निर्यातक है.

आगे भी है चुनौती
विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपया गिरकर 60 के करीब पहुंच गया है, हालांकि पिछले हफ्ते यह अपने निम्नतम से थोड़ा ऊपर ही था.

वैश्विक वित्तीय सेवा कंपनी स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक ने इस साल के अंत तक डॉलर के मुकाबले रुपए की विनियम दर के बारे में अपना अनुमान घटाकर 60.5 रुपए कर दिया है. पहले उसने इसके 53 रुपए प्रति डॉलर रहने का अनुमान लगाया था. हाल के दिनों में डॉलर की लगातार मजबूती के बाद  भारतीय बाजार से धन की निकासी और लुढकते रुपए को रोकने के लिए सख्त उपाय की संभावना कम होने के कारण स्टैंडर्ड चार्टर्ड ने अपने अनुमान में इस तरह का परिवर्तन किया है.

रिपोर्ट: विश्वरत्न श्रीवास्तव, मुंबई

संपादन: महेश झा

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