पर्यटन को बढ़ावा देगा सपनों का देश
२९ फ़रवरी २०१२चीन और भारत के बीच स्थित छोटा देश भूटान कई दशकों से रोमांच की तलाश में दुनिया भर से यात्रियों को लुभा रहा है. पारो घाटी से दिखने वाली सुंदरता सैलानियों में रोमांच पैदा करती है. अब तक भूटान में बाहरी पर्यटन पर नियंत्रण है. इससे देश की संस्कृति बची रही है और पर्यटकों की भीड़ आम लोगों के जीवन को अस्त व्यस्त भी नहीं कर पाई है.1974 में भूटान देखने सिर्फ 370 पर्यटक पहुंचे थे लेकिन अगले साल तक सरकार देश में एक लाख सैलानी लाना चाहती है.
पर्यटन एक बड़ी चुनौती
भूटान के लिए पर्यटन आमदनी का अहम जरिया है. इसके अलावा वहां की सरकार भारत को हाइड्रोइलैक्ट्रिक बिजली भी बेचती है. लेकिन पर्यटन विश्लेषकों का कहना है कि भविष्य में यात्रियों की भीड़ को संभालना अपने आप में बड़ी चुनौती होगी. पारो में रिसॉर्ट चला रहे त्सेरिंग तोबगे कहते हैं, "अगर आप भारत या नेपाल को देखें, इन देशों में अगर बहुत पर्यटक आएं तो देश का धरोहर और वहां की संस्कृति पर बुरा असर पड़ता है."
सात लाख की आबादी वाले देश में जाहिर है कि लोगों और सरकार, दोनों को अपने हित के बारे में भी सोचना होगा. खासकर जब जनता की खुशी वहां की सरकार की नीतियों को तय करती हो. भूटान में विकास को के स्तर का पता करने के लिए "सकल घरेलू खुशी" मापी जाती है. इसका मतलब है कि देश में विकास का पैमान वहां के पर्यावरण के संरक्षण, संस्कृति और स्थानीय समुदायों के कल्याण पर निर्भर है.
इजाबेल सेबास्तियान भूटान में पर्यटन सलाहकार के तौर पर काम कर रही हैं. डॉयचे वेले से बातचीत में वह कहती हैं, "भूटान के नीति निर्धारक, खासकर प्रधानमंत्री सकल घरेलू खुशी को लेकर बहुत गंभीर हैं और मुझे पक्का विश्वास है कि भूटान में और देशों के मुकाबले चीजें अलग और बेहतर तरीके से आयोजित की जाएंगी. यहां नेपाल और थाइलैंड की तरह पर्यटन की वजह से स्थिति खराब नहीं होगी."
सावधानी की जरूरत
लेकिन भूटान की पर्यटन समिति के प्रमुख थूजी दोरजी नादिक को डर है कि नियंत्रण के बिना मामला बिगड़ सकता है. कहते हैं, "हमारे लिए जरूरी है कि हम जमीनी स्तर पर कुछ कानून तय कर लें और उन्हें कार्यान्वित करें. अब तक हमने काफी आराम से काम किया है. अब पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है इसलिए हमें कानूनों को लेकर और गंभीर होना होगा." नादिक मानते हैं कि पर्यटन को प्राथमिकता देना जरूरी है क्योंकि विदेशी मुद्रा को देश के विकास में लगाया जा सकता है लेकिन पर्यटन से सामाजिक मुद्दे हल नहीं होंगे.
वहीं, संयुक्त राष्ट्र विकास कोष यूएनडीपी ने भी भूटान के सकल घरेलू खुशी की तरकीब अपनाई है. भूटान में संगठन के प्रमुख दोरजी चोदेन कहते हैं कि पर्यटन से आमदनी में अंतर को भी कम किया जा सकेगा. उनका सुझाव है कि राजधानी थिंपू के अलावा और जगहों पर भी पर्यटन पर ध्यान दिया जाना चाहिए. हाल ही में सरकार ने पूर्वी भूटान में हवाई अड्डे बनाए हैं. साथ ही स्थानीय व्यापार को बढ़ाने के लिए वहां का खाना और वहां की चीजें बेची जा रही हैं.
भूटान जाने के लिए हर विदेशी सैलानी को रोजाना 250 डॉलर देना पड़ता है. बहुत से लोग अभी से वहां हो रहे प्रदूषण से चिंतित हैं. भूटान के वित्त मंत्री ल्योनपो खांडू वांगचुक कहते हैं कि सैलानी जब इतने पैसे खर्च करते हैं तो वे एक साफ सुथरा देश भी देखना चाहते हैं. कुछ लोगों ने इस बारे में उनसे शिकायत भी की है.
भूटान की वादियों में अब भी दूर दूर तक शांति संदेश फैलाने वाले रंग बिरंगे झंडे लहराते हैं. टूरिस्ट गाइड ग्येलशेन कहते हैं कि पर्यटकों को यही सब लुभाता है, "भूटान सपनों का देश है और हर कोई जिंदगी में कम से कम एक बार यहां आना चाहता है."
रिपोर्टः रॉन कॉरबेन/एमजी
संपादनः महेश झा