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पर्यटन से दुनिया में शांति

२७ सितम्बर २०११

27 सितंबर विश्व पर्यटन दिवस के तौर पर मनाया जाता है. संयुक्त राष्ट्र का मानना है कि पर्यटन के जरिए दुनिया में शांति और भाईचारा फैलाया जा सकता है, क्योंकि यह दो संस्कृतियों को मिलाता है.

Hochgeladen am 13. Januar 2010 von Frank Wuestefeld This was in Nice / Cote d' Azur, a wonderful place. Everyone is smiling there, as you can see... The purpose was to get a colorful holidays-action-picture of sun and fun, I think this is one. My girlfriend was especially excited about one of the crew there, he looked like Lenny Kravitz :-)
तस्वीर: flickr/Frank Wuestefeld

2010 में दुनिया भर में कुल 94 करोड़ लोग सरहद पार कर दूसरे देश गए, कुछ काम के सिलसिले में तो कुछ घूमने फिरने के लिए.

27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस के मौके पर संयुक्त राष्ट्र की विश्व पर्यटन संस्था डब्ल्यूटीओ का नारा है "पर्यटन संस्कृतियों को जोड़ता है और तालमेल बढ़ाता है." डब्ल्यूटीओ के महासचिव तालिब रिफाइ ने इस अवसर पर डॉयचे वेले से बातचीत में कहा, "आज हर व्यक्ति यात्रा कर सकता है. घूमना एक लोकतांत्रिक क्रिया है, यह मानवाधिकार है, सुख का साधन नहीं. पर्यटन का मतलब ही है कि लोग एक जगह से दूसरी जगह जाएं. हम लोगों को इसके लिए प्रोत्साहित करना चाहते हैं. वे घूमें, लेकिन जिम्मेदारी के साथ."

दुनिया में कई देशों के लिए पर्यटन कमाई का सबसे बड़ा जरिया है. स्विटजरलैंड जैसा विकसित देश हो या फिर नेपाल जैसा गरीब देश - इन सब के लिए पर्यटन की बड़ी एहमियत है. नौकरियों के लिहाज से आज दुनिया में हर बारह में से एक व्यक्ति पर्यटन से जुड़ा हुआ है. डब्ल्यूटीओ के अनुसार 2020 तक 1.6 अरब लोग सालाना घूमने फिरने के लिए अपने देश की सीमा से बाहर जाएंगे. डब्ल्यूटीओ का मानना है कि इस से दुनिया में शांति बढ़ेगी क्योंकि लोग एक दूसरे की संस्कृतियों को बेहतर रूप से समझ पाएंगे.

तस्वीर: picture alliance/Rainer Hackenberg

खत्म होते अविचार

पर्यटन की एहमियत को समझते हुए संयुक्त राष्ट्र अब "ग्लोबल एथिक कोड्स" की बात कर रहा है. इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पर्यटन के कारण देशों को सांस्कृतिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से फायदा मिले. हालांकि अमेरिकी संस्था 'इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट फॉर पीस थ्रू टूरिज्म' (आईआईपीटी) ने 1998 में ही इस एहमियत को समझ लिया था और वेंकूवर में पहली बार "ग्लोबल टूरिज्म कांफ्रेंस" आयोजित की.

इस संस्था के अध्यक्ष लुइ द'अमोर ने डॉयचे वेले से बातचीत में कहा, "लोग नये नये अनुभव करना चाहते हैं. वे जिस जगह जाते हैं वहां के स्थानीय लोगों से मिलकर उनकी संस्कृति और उनके इतिहास के बारे में जानकारी हासिल करते हैं." मशहूर लेखक ऑस्कर वाइल्ड ने कहा था कि "घूमने से आत्मा साफ होती है और दूसरी जगहों के बारे में अविचार खत्म होते हैं." आज डेढ़ सौ साल बाद उनकी कही बातें बिलकुल सही लगती हैं.

तस्वीर: Taipei City

नौजवानों से उम्मीद

बाकी लोगों की तुलना में नौजवान अपने देश से बाहर निकलने में कम हिचकिचाते हैं. अधिकतर पढ़ाई के लिए या फिर नौकरियों की तलाश में लोग देश से बाहर जाते हैं. इस दौरान दूसरे देशों और दूसरी संस्कृतियों में उनकी रुचि और बढ़ जाती है. लुइस द'अमोर इस बारे में कहते हैं, "हर पांच में से एक पर्यटक की उम्र 25 से कम है. ये नौजवान लोग दुनिया भर में घूमते हैं और उन देशों के जवान लोगों से बातचीत करते हैं. भविष्य के लिए हमें इस पीढ़ी से सबसे ज्यादा उम्मीदें हैं. ये ऐसे लोग हैं जिन्हें "ग्लोबल सिटीजंस" यानी वैश्विक नागरिक का नाम दिया जा सकता है."

तालिब रिफाई मानते हैं, "इस बात में कोई शक नहीं कि पर्यटन के कारण सांस्कृतिक बदलाव आते हैं. जब लोग आपके देश आते हैं और आपके देश से लोग दूसरे देश जाते हैं तो संस्कृति का आदान प्रदान होता है और बदलाव आते हैं. हम चाहते हैं कि ये बदलाव कुछ इस तरह से आएं कि लोग एक दूसरे से जुड़ने लगें. लोग समझें कि संस्कृतियां एक दूसरे से अलग हैं और वे इस बात का सम्मान करें."

रिपोर्ट: मिरियम गेर्के/ईशा भाटिया

संपादन: आभा मोंढे

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