पर्वतों से टकराए तो तालिबान क्या
२५ जुलाई २०१३पिछले महीने जिस वक्त रोमानियाई पर्वतारोही सोल्ट टोरोक बर्फ से ढकी पाकिस्तान की दूसरी सबसे ऊंची चोटी पर थे, वहां से हजारों मीटर नीचे बेस कैंप में तालिबान लड़ाके दूसरे पर्वतारोहियों पर गोलियां बरसा रहे थे. टोरोक याद करते हैं, "मैंने अपनी बीवी को फोन (सेटेलाइट फोन) किया और उसने बताया कि बेस कैंप में तालिबान आए और सबको मार दिया. मैं हैरान रह गया. हम इसलिए बच गए क्योंकि हमने दूसरा रास्ता चुना था."
उत्साह तो मर गया लेकिन बिना डरे टोरोक और उनके चार दूसरे रोमानियाई पर्वतारोहियों ने अपना सफर पूरा किया और पाकिस्तान में करीब दशक भर से चले आ रहे खूनखराबे के बीच पिछले हफ्ते नंगा पर्बत की चोटी पर पहुंचने वाले पर्वतारोही दल बन गए. पाकिस्तानी तालिबान ने सुबह से पहले हुए इस हमले की जिम्मेदारी ली जिसमें 22 बंदूकधारी पुलिस की वर्दी में 42000 मीटर ऊंचे बेस कैंप पर पहुंचे और 10 विदेशी पर्वतारोहियों के साथ ही एक पाकिस्तानी गाइड को भी मार डाला.
मरने वालों में चीन, लिथुएनिया, नेपाल, स्लोवाकिया और यूक्रेन के पर्वतारोही थे. इनमें एक पर्वतारोही चीन अमेरिका की संयुक्त नागरिकता वाला था. नंगा पर्बत दुनिया की नौंवी सबसे ऊंची चोटी है और पर्वतारोहियों के बीच किलर माउंटेन के नाम से जानी जाती है. पाकिस्तान में कभी पर्वतारोहण बड़ा मशहूर हुआ करता था लेकिन अब सबसे अच्छे मौसम में ही कई अभियान रद्द कर दिए गए हैं.
पिछले हफ्ते अभियान पूरा करने के बाद 40 साल के टोरोक अपने साथियों के साथ वापस लौटे और फिर इस्लामाबाद से अपने देश के लिए रवाना हुए. टोरोक ने बताया कि हमलों ने उन्हें हतोत्साहित कर दिया था लेकिन हथियारों से लैस 10 पाकिस्तानी गार्ड साथ रहने से उनमें सुरक्षा का अहसास बना. यह गार्ड उनके कैम्प की हिफाजत कर रहे थे. टोरोक ने कहा, "वे पर्वतारोही बेकसूर लोग थे, जाहिर है कि आतंकवादियों ने अच्छे से तैयारी की थी, वे हर किसी को हैरान करना चाहते थे."
हिंसा के साल
पाकिस्तान में दूसरे पर्वतों की तरह ही नंगा पर्वत भी बर्फीले ढलानों और तीखी चढ़ाइयों की वजह से कुख्यात है, लेकिन जोखिम भरे खेल के शौकीनों के बीच जबर्दस्त मशहूर भी. पाकिस्तान के प्रतिद्वंद्वी नेपाल में 7000 मीटर से ज्यादा ऊंचाई वाले कई पर्वत हैं. इसमें दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची चोटी के-2 भी है. नंगा पर्बत समेत दुनिया में कुल 14 ऐसे पर्वत हैं जिनकी ऊंचाई 8000 मीटर से ज्यादा है.
पाकिस्तान के लिए यह काफी फायदेमंद उद्योग हो सकता है लेकिन बीते कई सालों से चली आ रही हिंसा इसकी राह में सबसे बड़ी बाधा है. चढ़ाई के अभियानों की तादाद लगातार घट रही है, इस पर गुजारा करने वाले समुदायों और पाकिस्तान की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था को पैसे की जरूरत है जो उसे नहीं मिल रही. इससे पहले 1970 का दशक ऐसा था जब पर्यटन के लिहाज से पाकिस्तान चमका हुआ था. यूरेशिया और पश्चिमी देशों के हिप्पीज के लिए यह बड़ी पसंदीदा जगह थी.
अफगानिस्तान में सोवियत सेनाओं के कदम रकने के साथ ही मध्य और दक्षिण एशिया में ऐसी उथल पुथल मची कि चमकते दौर को अचानक से ही बुझ जाना पड़ा. इसके बाद इस स्याह दौर से यह इलाका कभी बाहर नहीं निकल सका.
रोमानियाई पर्वतारोहियों ने नंगा पर्बत की ऊंचाई नापने के लिए जोखिम भरे रूपल की तरफ से जाने का फैसला किया. करीब 4500 मीटर ऊंचा सीधी दीवार जैसा पर्वत पर हर तरफ से जमा देने वाली हवाओं और बर्फबारी की मार रहती है. तालिबान का हमला पर्वत के दूसरी तरफ हुआ. तोरोक का कहना है कि उनका अनुभव दूसरे पर्वतारोहियों में हिंदुकुश, काराकोरम और पश्चिमी हिमालय के दूसरे ऐसी ऊंचाइंयों पर जाने की दिलचस्पी जगाएगा. तोरोक ने कहा, "हम इसे छोड़ना नहीं चाहते, एक पल के लिए भी नहीं."
एनआर/ एमजी(रॉयटर्स)