1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

पश्चिम बंगाल में बेहद हिंसक रूप ले चुकी है राजनीति

प्रभाकर मणि तिवारी
१३ जुलाई २०२०

पश्चिम बंगाल में बीजेपी विधायक देवेंद्र नाथ राय का शव घर से कुछ दूरी पर बाजार में रस्सी से लटकता मिला है. इसके बाद अब आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है.

Symbolbild Mann mit Messer
तस्वीर: gebphotography - Fotolia.com

कोरोना के लगातार बढ़ते कहर के बीच ही पश्चिम बंगाल में चुनावी हिंसा तेज होने लगी है. लॉकडाउन के अनलॉक होते ही सत्ता के दोनों दावेदारों यानी तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी की निगाहें अब अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों पर टिक गई हैं. बीजेपी नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपनी वर्चुअल रैली के जरिए राज्य में पार्टी के चुनाव अभियान शुरू कर दिया है. दूसरी ओर, मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी भी 21 जुलाई को होने वाली पार्टी की सालाना शहीद रैली के जरिए पार्टी का अभियान शुरू करेंगी. यह रैली भी पहली बार वर्चुअल ही होगी.

औपचारिक रूप से चुनाव अभियान शुरू होने से पहले ही दोनों दलों ने राज्य में जहां जिसकी लाठी उसकी भैंस की कहावत चरितार्थ करते हुए जोर-आजमाइश शुरू कर दी है. इस हिंसा में बीते पंद्रह दिनों के दौरान कम से कम सात लोग मारे जा चुके हैं. सबसे ताजा मामला उत्तर दिनाजपुर जिले के बीजेपी विधायक देवेंद्र नाथ राय का है.

उनका शव घर से कुछ दूरी पर सोमवार सुबह रस्सी से लटकता मिला है. इसके बाद अब आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है. राय ने वर्ष 2016 का चुनाव सीपीएम के टिकट पर जीता था. वे बीते साल ही सीपीएम से बीजेपी में शामिल हुए थे. बीजेपी ने आरोप लगाया है कि इस हत्या के पीछे तृणमूल कांग्रेस का हाथ है. राय के परिजनों का दावा है कि कुछ लोग रात में लगभग एक बजे उनको घर से बुलाकर ले गए थे. सुबह स्थानीय लोगों ने उनका लटकता हुआ शव देखा और पुलिस को सूचना दी.

तेज हो रही है राजनीतिक हिंसा

पश्चिम बंगाल में बीते महीने लॉकडाउन में ढील देने के बाद ही विभिन्न इलाकों में हिंसा की घटनाएं तेज हो रही हैं. बीते सप्ताह कोलकाता से सटे दक्षिण 24-परगना जिले में वामपंथी संगठन एसयूसीआई और तृणमूल कांग्रेस के बीच हुई हिंसक झड़पों में दोनों दलों के एक-एक नेता की हत्या कर दी गई और दर्जनों घर जला दिए गए. उससे पहले इस महीने के पहले सप्ताह के दौरान एक ही दिन पांच लोगों की मौत हुई. इनमें से मुर्शिदाबाद जिले में दो लोगों की मौत देसी बम बनाते समय विस्फोट की वजह से हुई. इनसे साफ है कि तमाम दल तैयारियों में जुट गए हैं.

हिंसक झड़पें तेज होने के साथ अब आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी तेज हो रहा है. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पार्टी विधायक की हत्या के लिए ममता बनर्जी सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है. वह कहते हैं, "विधायक की हत्या से साफ है कि राज्य में कानून व व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह ढह चुकी है.” नड्डा ने इससे पहले बीते सप्ताह कोलकाता में अपनी एक वर्चुअल रैली में कहा था कि राज्य में हिंसा और राजनीति का अपराधीकरण असहनीय स्तर तक पहुंच गया है.

वहीं, राज्यपाल जदगीप धनखड़ कहते हैं, "राजनीतिक हिंसा और बदले की राजनीति लगातार तेज हो रही है. सरकार को विधायक की हत्या के मामले की गंभीरता से जांच करानी चाहिए.” विधायक के परिजनों के अलावा बीजेपी ने भी इस मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की है. बीजेपी नेता राहुल सिन्हा ने तृणमूल कांग्रेस पर हत्या का आरोल लगाते हुए सीबीआई जांच की मांग की है. लेकिन तृणमूल कांग्रेस ने इन आरोपों को निराधार बताया है. पार्टी के एक प्रवक्ता ने कहा, "देवेंद्र नाथ राय सीपीएम के वधायक थे और बाद में बीजेपी में शामिल हो गए. उनसे हमारी पार्टी का कोई लेना-देना नहीं रहा है.”

लगातार तेज हो रही है हिंसा

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि तमाम राजनीतिक दल अगले साल के अहम चुनावों को ध्यान में रखते हुए इलाकों पर कब्जे के लिए उकसावामूलक राजनीति कर रहे हैं. इसी वजह से तमाम इलाकों में हिंसा लगातार तेज हो रही है. प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष ने हाल में पश्चिम मेदिनीपुर में पार्टी के एक कार्यकर्ता की हत्या के बाद एक विवादित बयान में कहा था, "अगर अब पार्टी के किसा कार्यकर्ता पर आंच भी आई, तो हम पुलिस स्टेशन जला देंगे.” घोष कहते हैं कि तृणमूल कांग्रेस के लोगों को उन्हीं की भाषा में जवाब दिया जाएगा, "हिंसा का जवाब सिर्फ हिंसा से ही दिया जा सकता है."

दूसरी ओर, तृणमूल कांग्रेस ने बीजेपी की तुलना जैश-ए-मोहम्मद से करते हुए उसे आतंकवादी करार दिया है. कोलकाता के मेयर रहे शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम कहते हैं, "बीजेपी एक आंतकवदी पार्टी है. लोग चुनावों में उसे मुंहतोड़ जवाब देंगे. घोष की टिप्पणी से हिंसा बढ़ने का अंदेशा है. यह पार्टी बंगाल को बर्बाद कर देगी.” लगातार बढ़ती हिंसा पर चिंता जताते हुए सीपीएम नेता सुजन चक्रवर्ती कहते हैं, "ममता बनर्जी बदले की राजनीति नहीं करने के वादे के साथ सत्ता में आई थीं. लेकिन वे ठीक इसका उल्टा कर रही हैं. पहले तृणमूल में रहते हुए हिंसा भड़काने वाले लोग बीजेपी में शामिल हो गए हैं. हालात बेहद चिंताजनक हैं.”

राजनीतिक पर्यवेक्षक विश्वनाथ चक्रवर्ती इस बारे में कहते हैं, "तमाम जोर-आजमाइश का लक्ष्य अगले साल के विधानसभा चुनाव हैं. बीजेपी खासकर ग्रामीण और कस्बाई इलाकों में अपने पांव जमाने का प्रयास कर रही है. यही वजह है कि लॉकडाउन में ढील के बाद ऐसी घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं. आगे इसमें और वृद्धि का अंदेशा है.”

__________________________

हमसे जुड़ें: Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay | AppStore

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें
डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें