अमेरिका में कुछ राज्यों में मतदाता वोट डालने के बाद भी अपना वोट बदल सकते हैं. राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कई मतदाताओं को ऐसा ही करने के लिए कहा है. क्या असर होगा इसका चुनाव के नतीजों पर?
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ट्रंप ने एक ट्वीट में कहा कि उन्हें गूगल पर देख कर पता चला है कि कई लोग जो शुरूआती मतदान की सुविधा का फायदा उठा कर अपना मत डाल चुके हैं वो यह जानना चाह रहे हैं कि क्या वे अपना वोट बदल सकते हैं. ट्रंप ने कहा कि ऐसे लोगों को वो बताना चाहेंगे कि अधिकतर राज्यों में मतदाता बिल्कुल ऐसा कर सकते हैं और उन्हें यह करना ही चाहिए.
समीक्षक राष्ट्रपति की अपील को चुनाव के बाद की स्थिति काफी मुश्किल होने के अंदेशे का एक और संकेत मान रहे हैं. चुनाव अभियान की शुरुआत से यह अंदेशा व्यक्त किया जा रहा है कि अगर ट्रंप चुनाव हार गए तो संभव है कि वो और उनके समर्थक हार को आसानी से स्वीकार ना करें और सत्ता के हस्तांतरण में अवरोध पैदा करें. खुद ट्रंप से इस संभावना के बारे में पूछा गया है लेकिन उन्होंने कभी भी जोर दे कर इस संभावना से इनकार नहीं किया है.
अगर ऐसा हुआ तो वो स्थिति काफी पेचीदा और अप्रिय भी हो सकती है. अभी तक 6.6 करोड़ से भी ज्यादा मतदाता शुरूआती मतदान में अपना वोट डाल चुके हैं, जो कि 2016 के कुल मतदान का लगभग 50 प्रतिशत है. इनमें से 4.4 करोड़ वोट डाक के जरिए डाले गए हैं और 2.2 करोड़ चुनावी कार्यालयों में जा कर. सर्वेक्षणों में यह भी दावा किया जा रहा है कि शुरूआती मतदान के रुझान डेमोक्रेटों के पक्ष में हैं और रिपब्लिकन पीछे हैं.
ऐसे में ट्रंप के ट्वीट के बाद मतदान से जुड़ी अनिश्चितताएं बढ़ गई हैं. हालांकि असलियत यह है कि वोट बदलने की सुविधा सिर्फ कुछ ही राज्यों में है और उन राज्यों में भी अलग अलग काउंटियों में अलग अलग नियम हैं. विस्कॉन्सिन में मतदाता तीन बार अपना वोट बदल सकते हैं, जब कि कनेक्टिकट में यह स्थानीय अधिकारियों की अनुमति पर निर्भर करता है.
कुछ राज्यों में वोट एक तय तारीख तक ही बदला जा सकता है, जबकि कुछ दूसरे राज्यों में ऐसा मतदान के दिन तक किया जा सकता है. कई जगह वोट बदलने के कानूनों से संबंधित मामले अदालतों में चल रहे हैं, जहां रिपब्लिकन पार्टी धीरे धीरे अपनी विचारधारा वाले जज भरती जा रही है.
सोमवार को जब ट्रंप द्वारा मनोनीत की हुई जज एमी कोनी बैरेट की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति हुई, उसी दिन अदालत ने एक ऐसे ही मामले में फैसला दिया कि विस्कॉन्सिन में तीन नवंबर को मतदान के बाद प्राप्त होने वाले डाक मतों की गिनती नहीं की जाएगी.
ऐसे में ऐसा लग रहा है कि अगर ट्रंप और बाइडेन में से किसी की भी भारी बहुमत से विजय नहीं हुई, तो नतीजे पेचीदा रहेंगे और मतगणना कई दिनों तक भी चल सकती है.
कैलिफोर्निया से अमेरिकी सांसद कमला हैरिस को डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से उप-राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार चुना गया है. वह कैरिबियाई और भारतीय मूल की हैं इसलिए भारत में उनके नाम और उनकी उपलब्धियों को लेकर बहुत चर्चा है.
अप्रैल 1965 की तस्वीर. हैरिस अपने पिता डॉनल्ड हैरिस की गोद में हैं. डॉनल्ड एक जमैकन-अमेरिकी अर्थशास्त्री हैं और स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में एमेरिटस प्रोफेसर हैं.
यह तस्वीर हैरिस के बचपन की है जिसमें वह कैलिफोर्निया के बर्कले विश्वविद्यालय में अपनी मां श्यामला गोपालन की प्रयोगशाला में दिखाई दे रही हैं. भारतीय तमिल मूल की अमेरिकी नागरिक श्यामला एक कैंसर शोधकर्ता और एक नागरिक अधिकार एक्टिविस्ट थीं. उनका फरवरी 2009 में निधन हो गया था.
जनवरी 1970 की तस्वीर. हैरिस कैलिफोर्निया में अपनी मां श्यामला और बहन माया के साथ अपने घर के बाहर खड़ी दिख रही हैं. यह तस्वीर उनके माता-पिता के अलग होने के बाद की है.
जून 2004 की तस्वीर, जब हैरिस सैन फ्रांसिस्को की डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी थीं.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M. J. Sanchez
सीनेटर बनने की राह पर
फरवरी 2012 में पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ. हैरिस उन दिनों कैलिफोर्निया की अटॉर्नी जनरल थीं और ओबामा और बाइडेन ने सीनेटर पद की उम्मीदवारी के लिए उनके नाम का समर्थन किया था.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/E. Risberg
बड़ा अभियान
जनवरी 2019 में हैरिस राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए अपने अभियान की शुरुआत करते हुए, अपने पति डगलस एमहॉफ के साथ ऑकलैंड, कैलिफोर्निया में. उनकी गोद में उनकी भांजी अमारा अजागु है. डगलस एक अधिवक्ता हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/T. Avelar
परिवार का साथ
राष्ट्रपति पद के अभियान की शुरुआत के मौके पर हैरिस का पूरा परिवार मौजूद था. तस्वीर में उनके पति डगलस एमहॉफ, बेटी एला और बेटा कोल ओकलैंड में मंच पर.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/T. Avelar
बहन का समर्थन
हैरिस की बहन माया हैरिस नवंबर 2019 में राष्ट्रपति पद की दावेदारी के अभियान के बीच एक समारोह में. माया एक अधिवक्ता और राजनीतिक टीकाकार हैं.