आबूधाबी के शाही शेख जायेद मस्जिद विश्व की दस सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने पत्रकारों को मोदी की अमीरात के यात्रा के कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए बताया कि प्रधानमंत्री 16 अगस्त को ढाई बजे आबूधाबी पहुंचेंगे. उसके कुछ समय बाद वह मसदर सिटी जाएंगे जहां प्रधानमंत्री को अत्याधुनिक तकनीक से निर्मित स्मार्ट सिटी परियोजना के बारे में जानकारी दी जाएगी. यहां रियल एस्टेट कारोबारियों से संवाद भी होगा.
प्रधानमंत्री शाम को आईसीएडी रेजिडेंशियल सिटी जाएंगे और वहां रहने वाले प्रवासी भारतीय कामगारों के स्वागत समारोह में शिरकत करेंगे. अगले दिन उनकी आबूधाबी के युवराज, यूएई के उपराष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री से मुलाकात होगी और उनके बीच द्विपक्षीय बैठक होगी. वह दुबई रवाना होने के पहले आबूधाबी की सुप्रसिद्ध शाही शेख जायेद मस्जिद जाएंगे. विश्व की सबसे बड़ी दस मस्जिदों में से एक इस मस्जिद को देश का सबसे महत्वपूर्ण वास्तुशिल्प खजाना माना जाता है.
यह संयुक्त अरब अमीरात में सबसे बड़ी और दुनिया की सबसे खूबसूरत मस्जिद है. इसकी डिजाइन और निर्माण में संगमरमर पत्थर, सोना, कीमती पत्थरों, क्रिस्टल और चीनी मिट्टी आदि का इस्तेमाल हुआ है. इसमें एक 6000 वर्ग मीटर हाथ से बना फारसी कालीन है जिस पर नौ हजार लोग एक साथ बैठ कर नमाज अदा कर सकते हैं. मस्जिद में सभी जाति, धर्म और राष्ट्रीयता के लोगों को प्रवेश दिया जाता है.
आईबी/एमजे (वार्ता)
जर्मनी की राजधानी बर्लिन में 80 से ज्यादा मस्जिदें हैं. देखने में वे चाहे पारंपरिक हों या आधुनिक, राजधानी के ये प्रार्थनागृह सामाजिक बहुलता का हिस्सा हैं.
तस्वीर: Max Zanderबर्लिन के विल्मर्सडॉर्फ इलाके में घरों के बीच जर्मनी की सबसे पुरानी मस्जिद है. ताजमहल से प्रेरित अहमदिया मस्जिद जर्मन आर्किटेक्ट कार्ल आउगुस्ट हैरमन ने डिजाइन की थी. यह 1928 में शुरू की गई.
तस्वीर: Max Zanderअहमदिया मस्जिद में समय के निशान देखे जा सकते हैं. दूसरे विश्व युद्ध में इसे काफी नुकसान पहुंचा था. युद्ध के बाद लाहौर में चंदा इकट्ठा कर इसकी मरम्मत करवाई गई. 1993 से यह संरक्षित स्मारक है.
तस्वीर: Max Zanderपूर्वी बर्लिन के हाइनर्सडॉर्फ में एक और अहमदिया मस्जिद है. खदिजा मस्जिद में पश्चिमी और इस्लामी कला का मिश्रण देखा जा सकता है. बाउहाउस संरचना के साथ पारंपरिक गुंबद और 12.5 मीटर ऊंची मीनार भी है.
तस्वीर: Max Zanderनॉयकोएल्न इलाके में सेहितलिच मस्जिद में सांस्कृतिक केंद्र भी है. बर्लिन की इस मस्जिद में एक साथ 1,500 लोग नमाज पढ़ सकते हैं. 2012 में राष्ट्रपति बनने के बाद योआखिम गाउक यहां आए थे.
तस्वीर: Max Zanderसेहितलिच मस्जिद और इसके साथ जुड़ी कब्रिस्तान 1980 के दशक में बनाई गई थी. बाद में इसका विस्तार किया गया. प्रशिया के राजा विलहेल्म प्रथम ने 1866 में ही यह जमीन बर्लिन के तुर्क समुदाय को दी थी.
तस्वीर: Max Zanderसेहितलिक समुदाय गैर इस्लामी लोगों को साथ लेने के लिए तरह तरह के आयोजन और कार्यक्रम करता है.
तस्वीर: Max Zanderपहली नजर में पता ही नहीं चलता कि ये मस्जिद है. उमर इब्न अल खताब नाम की ये मस्जिद बर्लिन के क्रॉएत्सबर्ग में है. ये इस्लामी मशारी केंद्र का हिस्सा हैं. यहां मस्जिद के अलावा दुकानें, कैफे, और ट्रैवल एजेंसी भी हैं.
तस्वीर: Max Zanderशानदार दीवारें और छत माशारी केंद्र के तहखाने का हिस्सा है. यहां महिलाओं और पुरुषों के वुजू के लिए अलग अलग कमरे हैं. नमाज के पहले नमाजी यहां अपने हाथ पैर धोते हैं.
तस्वीर: Max Zanderशानदार झूमर वाले कमरे में एक साथ एक हजार लोग नमाज पढ़ सकते हैं. स्क्रीनों पर अरबी प्रार्थना का जर्मन और तुर्की अनुवाद दिखता है.
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