रूस और पाकिस्तान पहली बार संयुक्त युद्धाभ्यास करने जा रहे हैं. अमेरिका के साथ रिश्तों में खटपट के बाद पाकिस्तान नया सैनिक साझेदार खोज रहा है.
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पाकिस्तान के अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक दोनों देशों के 200 सैनिक इस साल के अंत में होने वाले युद्धाभ्यास में हिस्सा लेंगे. शीत युद्ध के समय सोवियत संघ और पाकिस्तान एक दूसरे के दुश्मन थे, लेकिन अब हालात बदलते दिख रहे हैं. वॉशिंगटन से रिश्ते बिगड़ने के बाद पाकिस्तान हथियारों के लिए मॉस्को की तरफ देख रहा है.
मॉस्को में तैनात पाकिस्तान के राजदूत काजी खलीलुल्लाह के मुताबिक पहली बार हो रहे युद्धाभ्यास को "फ्रेंडशिप 2016" नाम दिया गया है. रूसी समाचार एजेंसी से बात करते हुए उन्होंने कहा, "इससे साफ पता चलता है कि दोनों पक्ष रक्षा और सैन्य-तकनीकी सहयोग बढ़ाना चाहते हैं."
(ये हैं हथियारों के सबसे बड़े खरीदार)
कौन है हथियारों का सबसे बड़ा खरीदार
स्वीडन के थिंक टैंक सिपरी की रिपोर्ट दिखाती है कि दुनिया में हथियारों का आयात करने वाले देशों में एशिया और मध्यपूर्व के देश सबसे आगे हैं. इनमें भी टॉप पर है भारत जहां पर्याप्त स्वदेशी हथियारों का निर्माण नहीं हो रहा है.
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#1 भारत
दुनिया भर में आयात किए जाने वाले कुल हथियारों का 14 फीसदी केवल भारत में आता है. हथियारों का आयात भारत में चीन और पाकिस्तान से तीन गुना ज्यादा है. सिपरी की रिपोर्ट में इसका कारण “भारत की अपनी आर्म्स इंडस्ट्री में प्रतिस्पर्धी स्वदेशी हथियार डिजाइन कर पाने में असफल रहना” बताया गया है. सबसे ज्यादा हथियार रूस (70%), अमेरिका (14%) और इस्राएल (4.5%) से आते हैं.
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#2 सऊदी अरब
पहले के मुकाबले बीते पांच सालों में सऊदी अरब में हथियारों का इंपोर्ट 275 प्रतिशत बढ़ा. सीरिया और यमन में जारी युद्ध की स्थिति का भी इस बढ़त में हाथ है. सबसे ज्यादा हथियार अमेरिका और ब्रिटेन से आ रहे हैं. सिपरी की रिपोर्ट के अनुसार "तेल के दामों में आई कमी के बावजूद, मध्य पूर्व में हथियारों की बड़ी खेप आना जारी रहेगा क्योंकि बीते पांच सालों में कई अनुबंधों पर हस्ताक्षर हुए हैं."
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#3 चीन
विश्व के कुल आयात में करीब 4.7 फीसदी हिस्सेदारी वाला चीन धीरे धीरे अपने हथियारों की जरूरत खुद पूरी करने की ओर अग्रसर है. 2006-11 के मुकाबले 2011-15 में आयात में 25 फीसदी की कमी दर्ज हुई. 21वीं सदी के शुरुआती सालों में चीन दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक हुआ करता था. अब तीसरे स्थान पर है.
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#4 संयुक्त अरब अमीरात
बीते पांच सालों में उसके पहले के पांच सालों की अपेक्षा पूरे मध्यपूर्व इलाके में हथियारों का आयात 61 फीसदी बढ़ा. इसी दौरान केवल संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में आयात में 35 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज हुई. जबकि कतर में यह 279 फीसदी बढ़ गया. सबसे ज्यादा हथियार अमेरिका (65%) से आते हैं. हाल ही में यूएई ने फ्रांस से 60 नए रफाएल लड़ाकू जेट खरीदने का सौदा किया है.
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#5 ऑस्ट्रेलिया
सरकार हथियारों की खरीद 65 फीसदी तक बढ़ा कर बीते पांच सालों में ऑस्ट्रेलियाई सेना को मजबूत बना रही है. ऑस्ट्रेलिया प्रोजेक्ट कंगारू नाम के एक बड़े प्रोजेक्ट के तहत 12.4 अरब डॉलर की कीमत पर अमेरिका से 72 स्टेल्थ फाइटर जेट एफ-35 खरीदेगा. हालांकि अभी एफ-35 जेटों के निर्माण और विकास की प्रक्रिया में कुछ बाधाएं आती दिख रही हैं. कई सेना विशेषज्ञ इसे रूस के सुखोई सू-35 से कम खूबियों वाला बताते हैं.
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#6 तुर्की
तुर्की विदेशी हथियारों पर अपनी निर्भरता कम करने की ओर प्रयासरत है. दो द्वीपों वाले इस देश में अब ज्यादा से ज्यादा द्विपक्षीय टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की योजनाएं चलाई जा रही हैं. ऑस्ट्रेलिया की ही तरह तुर्की भी नाटो का सदस्य देश है. और उसने भी अमेरिका से एफ-35 जेट विमानों की खरीद की है. तुर्की नाटों के साथ मिलकर अपना खुद का युद्धक टैंक बनाने की कोशिश कर रहा है.
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#7 पाकिस्तान
चीनी हथियारों का सबसे बड़ा खरीदार पाकिस्तान ही है. हाल ही में इस्लामाबाद ने डीजल से चलने वाली आठ चीनी पनडुब्बियां, टाइप 41 युआन, खरीदने का सौदा किया है. इसके अलावा पाकिस्तानी तोपखाने और हवाई बेड़े अभी भी अमेरिका से आयात होते हैं.
केवल पांच सालों में आयातकों की सूची में 43वें स्थान से 8वें पर आने वाले इस कम्युनिस्ट देश में सबसे ज्यादा हथियार रूस से आ रहे हैं. पांच सालों के अंतराल में आयात में करीब 700 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज हुई है. दक्षिण चीन सागर में जारी संघर्ष के कारण वियतनाम अपनी जलसेना और वायुसेना की लड़ाकू क्षमता को और मजबूत करने की कोशिश कर रहा है.
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मई 2011 में पाकिस्तान के एबटाबाद में अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने अल कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को मार गिराया. अमेरिकी अधिकारियों को पूरा शक है कि पाकिस्तानी सेना ने लादेन को छुपाया था. लादेन की मौत के बाद से ही पाकिस्तान और अमेरिका के संबंधों में खटास है. हाल ही में अमेरिकी सांसदों ने पाकिस्तान को अत्याधुनिक एफ-16 लड़ाकू विमान बेचने से मना कर दिया. पाकिस्तान अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन से 8 एफ-16 विमान खरीदना चाहता था. अमेरिका से सौदे से इनकार के बाद इस्लामाबाद जॉर्डन से यह विमान खरीदने की कोशिश कर रहा है.
वॉशिंगटन के कड़े रुख के चलते अब पाकिस्तान अमेरिका विरोधी धड़े रूस की तरफ बढ़ रहा है. दक्षिण एशिया की राजनीति में यह बड़ा बदलाव है. बीते डेढ़ दशकों में भारत और अमेरिका के संबंध नई ऊंचाइयों पर पहुंचे हैं. लंबे अरसे तक सिर्फ रूस से हथियार खरीदने वाला भारत अब अमेरिका, इस्राएल और दूसरे पश्चिमी देशों से भी बड़े पैमाने पर हथियार खरीद रहा है.
(साथ मिलकर क्या क्या करेंगे भारत और अमेरिका)
ऐसा करेंगे भारत और अमेरिका
भारत और अमेरिका के बीच कई बड़े समझौते हुए हैं. एक नजर इन समझौतों पर.
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लाइसेंस फ्री तकनीक
रक्षा संबंधों को नई ऊंचाई देते हुए अमेरिका भारत को कई तकनीकों तक लाइसेंस मुक्त पहुंच देगा. भारत और अमेरिका साझा उपक्रमों के जरिए रक्षा तकनीक का विकास करेंगे. दोनों देश समुद्र, हवा और हथियार सिस्टम का साझा विकास करेंगे.
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अंतरिक्ष में सहयोग
अमेरिकी अतंरिक्ष एजेंसी नासा और भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो भी मिलकर काम करेंगे. मंगल अभियान, स्पेस एजुकेशन और अंतरिक्ष में मानव को भेजने के मिशन के अलावा धरती के सैटेलाइट डाटा को भी साझा करने पर भी समझौता हुआ है.
तस्वीर: NASA
स्वच्छ ऊर्जा
दोनों देशों के बीच जलवायु परिवर्तन को रोकने और स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए विस्तृत सहयोग करने के समझौते हुए हैं. अमेरिका सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भारत में निवेश भी करेगा. अमेरिका जल्द ही भारत में छह परमाणु बिजलीघर बनाने का काम शुरू करेगा.
पेरिस से पठानकोट और ब्रसेल्स से काबुल तक हुए आतंकवादी हमलों की निंदा करते हुए भारत और अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ सहयोग बढ़ाने का एलान किया. अल कायदा, आईएस, जैश ए मोहम्मद, लश्कर ए तैयबा और डी कंपनी व उसके सहयोगियों तथा यूएन की सूची में आने वाले आतंकी संगठनों के खिलाफ दोनों देश मिलकर काम करेंगे.
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ग्लोबल एंट्री प्रोग्राम
साझा कारोबार को बढ़ाने के लिए अमेरिका ने ग्लोबल एंट्री प्रोग्राम में भारत की सदस्यता का समर्थन किया है. इसके तहत दोनों देशों के नागरिकों को वीजा पाने में आसानी भी होगी.
तस्वीर: Reuters
स्वास्थ्य और विज्ञान
बेकाबू हो चुके टीबी के वायरस, एंटी बायोटिक से ज्यादातर ताकवर विषाणु, स्वच्छ पर्यावरण, समुद्र विज्ञान और समुद्रों के टिकाऊ विकास भी सहयोग बढ़ाया जाएगा.
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वैश्विक नेतृत्व
अमेरिका ने भारत की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता और न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप की सदस्यता का समर्थन किया है. एशिया के बाहर अफ्रीका में भी अमेरिका और भारत विकास संबंधी सहयोग करेंगे.
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पीपल टु पीपल कॉन्टैक्ट
भारत सिएटल में नया उच्यायोग खोलेगा. अमेरिका भी भारत में नया उच्चायोग खोलेगा. दोनों देश पर्यावरण वैज्ञानिकों के लिए फुलब्राइट-कलाम फेलोशिप भी शुरू करेंगे. भारत 2017 में अमेरिका का ट्रैवल एंड टूरिज्म पार्टनर देश होगा.
तस्वीर: Haggagovic Historic Mission
वन्य जीव संरक्षण
भारत और अमेरिका साथ मिलकर वन्य जीव संरक्षण पर काम करेंगे. दोनों देशों ने संरक्षण और तस्करी पर नकेल कसने के लिए एमओयू पर दस्तखत किये हैं.
तस्वीर: Reuters/P. Noble
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भारत की विदेश नीति में आते बदलाव का असर पाकिस्तान और रूस की विदेश नीति पर भी दिख रहा है. अगस्त 2015 में रूस और पाकिस्तान ने मॉस्को में एक संधि पर हस्ताक्षर किये, जिसके तहत दोनों देश आपसी सहयोग बढ़ाएंगे. बीते डेढ़ साल में पाकिस्तान की थल, नौ और वायुसेना के प्रमुखों ने रूस का दौरा किया है. दोनों देशों के बीच हो रही उच्च स्तरीय वार्ता में लड़ाकू हेलीकॉप्टर एमआई-35 का सौदा भी हो सकता है. पाकिस्तान रूस से सुखोई एसयू-35 फाइटर जेट भी खरीदना चाहता है.
रूस और पाकिस्तान के रक्षा संबंधों का असर मॉस्को और नई दिल्ली के रिश्तों पर भी दिखाई पड़ेगा. शीत युद्ध के समय अमेरिका और भारत एक दूसरे के विरोधी थे, लेकिन आज वे दोस्त बन गए हैं, वहीं पाकिस्तान और रूस की शत्रुता भी अब मित्रता में बदल रही है. साझेदार भले ही बदल जाएं लेकिन दक्षिण एशिया में हथियार जुटाने की होड़ खत्म नहीं हो रही है.