पहले फोटो खींचें और बाद में फोकस
२ मार्च २०१२![](https://static.dw.com/image/15778154_800.webp)
मैनुअल कैमरे के दिन तो बहुत पहले ही लद गए हालांकि 40 साल की उम्र वाले लोगों को अब भी याद होगा कि उस कैमरे में फोकस का ही पूरा खेल होता था. अब तो एक से एक शानदार डिजिटल कैमरे बाजार में है. रील वाले कैमरा संग्रहालय की चीज बनने में ज्यादा देर नहीं. तेजी से और डिजिटल होती जा रही दुनिया में एक नया कैमरा आया है. रेन एनजी का लाइट्रो कैमरा बाजार का नया शाहकार है. इसकी खासियत है कि क्लिक करने बाद अगर आपको लगता है कि फोटो फोकस में नहीं है तो बाद में भी आप इसे फोकस कर सकेंगे. कैलिफोर्निया के स्टैंडफर्ड यूनिवर्सिटी में रेन एनजी ने इसे बनाया.
शानदार तकनीक
टेलीस्कोप जैसे दिखते इस कैमरे में लाइट फील्ड टेक्नोलॉजी इस्तेमाल की जाती है इससे डिजिटल फोटो का फोकल प्वाइंट फोटो क्लिक करने के बाद भी बदला जा सकता है. लाइट्रो इसे शूट नाऊ, फोकस लेटर का नाम देते हैं.
लाइट्रो पिक्चर का कंप्यूटर स्क्रीन पर फोकस बदला जा सकता है. जैसे कि पीछे मौजूद किसी ऑब्जेक्ट को फोकस में लाते हुए आगे के ऑब्जेक्ट को आउट ऑफ फोकस किया जा सकता है.
लाइट्रो कैमेरा इसलिए ऐसा कर सकता है क्योंकि इसमें सामान्य कैमरे से ज्यादा रोशनी जमा करने वाले सेंसर होते हैं.
मलेशिया में पैदा हुए और ऑस्ट्रेलिया में पले बढ़े लाइट्रो के मुख्य कार्यकारी एनजी इस तरह के फोटो को लिविंग पिक्चर कहते हैं क्योंकि आप इनमें बदलाव कर सकते हैं. कैमरे की पहली खेप भेजने के बाद एनजी ने अपने ब्लॉग में लिखा, "हमारी बढ़ती लाइट्रो टीम के लिए यह बहुत ही रोमांचक समय है. अब हम देख सकेंगे कि लाइट्रो कैमरा लिविंग पिक्चर्स कैसे इस्तेमाल और शेयर की जाती हैं."
अगर लाइट्रो पिक्चर ऑन लाइन शेयर की जाएं तो फोटो के साथ लाइट फील्ड इंजिन भी जाएगा इससे कोई भी इनमें अपने लैपटॉप, कंप्यूटर या स्मार्ट फोन पर बदलाव कर सकता है.
नई क्रांति
16 गीगाबाइट वाला यह कैमरा 750 तस्वीरें सेव कर सकता है. आसानी से पैंट की जेब में रखा जा सकता है और इसकी कीमत 499 डॉलर है जबकि आठ जीबी वाला कैमेरा 399 डॉलर का है और इसमें साढ़े तीन सौ तस्वीरें रखी जा सकती हैं.
इस कैमरे को तकनीक के आलोचक पसंद कर रहे हैं. द वॉल स्ट्रीट जरनल के तकनीकी जानकार वॉल्ट मोसबर्ग ने लिखा है, "प्वाइंट एंड शूट कैमरा पुरानी मॉडल या तकनीक में हल्का बदलाव नहीं है बल्कि इसे पूरी तरह फिर से सोचा गया है. मैं इसे कंज्यूमर फोटोग्राफी में एक क्रांति मानता हूं." हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि लाइट्रो की तस्वीरें फिलहाल सिर्फ एप्पल के कंप्यूटर पर ही डाउनलोड की जा सकती हैं. और डाउनलोड की गति बहुत धीमी होती है क्योंकि फाइलें बहुत बड़ी हैं.
लाइट्रो ने कहा है कि माइक्रोसॉफ्ट में इस्तेमाल हो सकने वाला सॉफ्टवेयर भी जल्द ही बाजार में होगा.
न्यूयॉर्क टाइम्स के सैम ग्रोबेर्ट ने कैमरे की बाद में फोकस कर सकने वाली क्षमता को शानदार बताया है. हालांकि उनका कहना था कि इस सिस्टम से लिए गए फोटो, फोटोशॉप में ट्रांसफर नहीं किए जा सकेंगे. ग्रोबेर्ट के मुताबिक अगर लाइट्रो के इंजीनियर लाइट फील्ड फोटोग्राफी को और सस्ता बना सकें और इसे हर स्मार्ट फोन में लगाया जा सके तो यह पूरा गेम ही बदल देगा.
रिपोर्टः एएफपी/आभा एम
संपादनः एन रंजन