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पहले से ज्यादा मांस खा रहे हैं भारतीय

१५ जुलाई २०११

बदलते वक्त के साथ भारत में खाने में मांस का इस्तेमाल भी बढ़ा है. पहले जहां लोग भैंस या गाय का मांस नहीं खाते थे वहीं अब शौक के लिए भी लोग खा रहे हैं. बड़े रेस्तरां में सूअर और गोमांस मिलने लगा है.

तस्वीर: picture-alliance/ dpa

धार्मिक मनाही और शाकाहारी संस्कृति के बावजूद भारतीय पहले से अधिक मांस का इस्तेमाल करने लगे हैं. आहार के बदलाव और हाइजीन प्रक्रिया उन्नत होने से ऐसे बदलाव हो रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र की खाद्य और कृषि संगठन यानि एफएओ कहती है कि भारत में मांस की प्रति व्यक्ति खपत 5 से लेकर 5.5 किलोग्राम सालाना हो गई है.

रिकॉर्ड संकलन शुरू होने के बाद से यह सबसे उच्चतम है. इससे पता चलता है कि विकासशील देशों में प्रोटीन युक्त आहार की तरफ लोगों का झुकाव हो रहा है.जानकार कहते हैं कि आर्थिक विकास की वजह से तेजी से अमीर हो रहे लोग, देश विदेश यात्रा कर चुके लोगों के कारण से मांस के इस्तेमाल में तेजी आ रही है. मांस के ज्यादा उपयोग होने से रेस्तरां और सुपरमार्केट के पास उपभोक्ताओं को देने के लिए विभिन्न प्रकार के उत्पाद हैं.

तस्वीर: AP

वक्त के साथ स्वाद बदला

मुंबई के एक मशहूर विदेशी व्यंजन रेस्तरां के जयदीप मुखर्जी कहते हैं, "संकोच को हटाकर भारतीय अब ज्यादा साहसिक हो रहे हैं. भैंसों और सूअर के मांस का टिक्का लोग पसंद कर रहे हैं." अब यह रेस्तरां ऐसे सप्लायर की तलाश में हैं जो इसके फिनिक्स मिल शॉपिंग मॉल में स्थित रेस्तरां के लिए तीतर, बटेर और बतख का मांस दे सके.

फूड चेन नेचर्स बास्केट के मैनेजिंग डायरेक्टर मोहित खट्टर कहते हैं, "जहां पहले मांस के उपयोग के लिए माता पिता की मंजूरी चाहिए होती थी, अब पश्चिमी देशों का प्रभाव और उदार दृष्टिकोण की वजह से लोग मांस खाने लगे हैं." खट्टर के मुताबिक मांसाहारी होना अब भोग विलास नहीं रहा. घरेलू मांस उत्पादन में सुधार हुआ है और अब हाइजीन प्रक्रिया होने की वजह से ग्राहकों का विश्वास भी बढ़ा है. एफएओ के मुताबिक भारत में सालाना 1.06 करोड़ टन मांस और मछली का उत्पादन होता है, लेकिन देश में अभी भी शाकाहारी लोगों की संख्या कहीं अधिक है.

गाय और सुअर के मांस का चलन बढ़ा

देश में कितने शाकाहारी हैं इसका कोई सरकारी आंकड़ा नहीं है. लेकिन 2006 में द हिंदू अखबार ने देशभर में एक सर्वे कराया. सर्वे से पता चला कि देश की 40 फीसदी आबादी डेयरी उत्पादों और अंडों का इस्तेमाल करती हैं लेकिन मांस का इस्तेमाल नहीं करती. भारत में हिंदू धर्म में गाय की पूजा होती है. इस वजह से भारत के कई राज्यों में गाय के वध पर पाबंदी है. फास्ट फूड विक्रेता मैकडोनाल्ड भारत में बीफ बर्गर नहीं बेचता है.

तस्वीर: AP

यहां तक की हाउसिंग सोसाइटी उन लोगों को मकान किराये पर या नहीं बेचती हैं जो मांसाहारी होते हैं. अमेरिका स्थित खाद्य और कृषि नीति अनुसंधान संस्थान के मुताबिक भारत में दस पहले जहां ब्रॉयलर चिकन की प्रति व्यक्ति खपत करीब 1 किलोग्राम थी वही अब बढ़कर 2.26 किलोग्राम हो गई है. मांस का बड़े पैमाने में मिलना अजय मुखोपाध्याय जैसे लोगों के लिए वारदान साबित हो रहा है. 39 वर्षीय मुखोपाध्याय को बीफ करी बेहद पसंद है.

मुखोपाध्याय कहते हैं, "मुझे भुना हुआ गोमांस पसंद है. वह रसदार और लजीज होता है." एशिया के मुकाबले भारत में प्रति व्यक्ति मांस की खपत औसतन कम है. एशिया में औसतन 27 किलोग्राम प्रति व्यक्ति खपत होती है. एफएओ के मुताबिक बाकी दुनिया में हर साल 38 किलोग्राम प्रति व्यक्ति खपत होती है.

रिपोर्ट:एएफपी/आमिर अंसारी

संपादन:एस गौड़

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