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पाइरेसी से परेशान म्यूजिक इंडस्ट्री

२१ जनवरी २०११

इंटरनेट के आज के दौर में कॉपीराइट की समस्या एक नई चुनौती बन कर सामने आई है- खासकर संगीत के मामले में. फ्रांस के फिल्म महोत्सव के नगर कान में इस समस्या पर म्यूजिक इंडस्ट्री के प्रतिनिधि मिल रहे हैं.

तस्वीर: AP

हर साल होने वाले व्यापार मेले के अंतर्गत म्यूजिक इंडस्ट्री के हजारों प्रतिनिधियों को यहां मिलने का मौका मिल रहा है. रविवार को शुरू होने वाले मिडेम म्यूजिक ट्रेड शो में इस शाखा के सात हजार प्रतिनिधि आने वाले हैं. इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ फोनोग्राफिक इंडस्ट्री, आईएफपीआई के चीफ एक्जीक्युटिव फ्रांसेस मूर ने अपने संगठन की वार्षिक रिपोर्ट में ध्यान दिलाया है कि लाइसेंसशुदा म्युजिक का इतना व्यापक आयाम पहले कभी देखने को नहीं मिला था. उपभोक्ताओं की लाइफस्टाइल पर उनका गहरा असर पड़ा है.

लेकिन आईएफपीआई के आंकड़ों से यह तथ्य भी सामने आया है कि बढ़ती हुई पाइरेसी का पूंजीनिवेश पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है और खासकर नए कलाकारों को बाजार में अपनी जगह बनाने में परेशानी हो रही है. ग्लोबल टॉप 50 एलबम चार्ट में पहली बार अपना म्यूजिक प्रस्तुत करने वाले कलाकारों की बिक्री सन 2003 के मुकाबले सिर्फ एक-चौथाई रह गई है. जर्मनी के जैज संगीतकार रोजर सिसेरो का कहना है कि इंटरनेट पर दसियों लाख ऐसे साइट्स हैं, जिनसे अवैध रूप से म्यूजिक डाउनलोड किया जा सकता है.

इंटरनेट पर 400 से अधिक लाइसेंसशुदा ऑनलाइन म्यूजिक सर्विस हैं, जिनकी वजह से पिछले साल भी डिजीटल बिक्री में 6% की वृद्धि हुई है. अब यह लगभग साढ़े तीन अरब यूरो, यानी दो खरब रुपए से उपर तक पहुंच चुका है.

इस साल के मेले में लगातार विकसित हो रही टेक्नोलॉजी के मद्देनजर म्यूजिक की डिजीटल बिक्री से आमदनी बढ़ाने पर विशेष रूप से जोर दिया जाएगा. मेले के दौरान एनआरजे म्यूजिक एवार्डस् दिए जाएंगे, जिसके कार्यक्रम में विल-इ-यम, जेम्स ब्लंट, शकीरा, जैर्मेन जैकसन व माइलीन फार्मर जैसे कलाकार भाग लेंगे.

रिपोर्ट: एजेंसियां/उ भट्टाचार्य

संपादन: एम जी

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