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मीडिया

अगवा पाकिस्तानी पत्रकार रिहा

२२ जुलाई २०२०

पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में एक पत्रकार के अपहरण और फिर देर रात छोड़ दिए जाने का नाटकीय मामला सामने आया है. पत्रकार मतीउल्लाह जान को सरकार और देश की ताकतवर सेना के एक मुखर आलोचक के रूप में जाना जाता है.

Mati Ullah | Journalist und ehemaliger Moderator
तस्वीर: Privat

51-वर्षीय मतीउल्लाह जान की पत्नी कनीज सुघरा ने रॉयटर्स को बताया, "मेरे पति को मंगलवार सुबह इस्लामाबाद में जिस स्कूल में मैं काम करती हूं उसके बाहर से अगवा कर लिया गया था." उन्होंने बताया कि जान उन्हें लेने स्कूल आए थे और स्कूल के सुरक्षा कैमरे में साफ देखा जा सकता है कि अचानक पांच गाड़ियों ने उन्हें घेर लिया और उनमें से एक में उन्हें जबरदस्ती बिठा कर वहां से चली गईं. सोशल मीडिया पर उपलब्ध कैमरे की इस फुटेज में इस दृश्य को देखा जा सकता है. 

इनमें से तीन गाड़ियों पर पहचान का कोई निशान नहीं था, एक पर पुलिस विभाग की निशानियां थीं और एक एम्बुलेंस थी. लगभग 12 घंटे बंधक बना कर रखने के बाद उन्हें शहर के बाहर छोड़ दिया गया. सेना के जन-संपर्क विभाग ने जान के अपहरण पर टिप्पणी के अनुरोध पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. लेकिन सूचना मंत्री शिब्ली फराज ने कहा था, "यह स्पष्ट है कि उनका अपहरण हुआ है" और यह भी कहा था कि सरकार उन्हें ढूंढने की और इस अपहरण के जिम्मेदार लोगों की पहचान करने का हर प्रयास करेगी.

कमिटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे) ने कहा कि जान उन पत्रकारों में से थे जिन पर सेना ने 2018 में सोशल मीडिया पर सरकार के खिलाफ टिप्पणी साझा करने का आरोप लगाया था. जान उन हजारों पत्रकारों और मीडियाकर्मियों में से थे जिन्हें 2018 के आम चुनावों के पहले एक सुरक्षा संबंधी कार्रवाई के तहत नौकरी से निकाल दिया गया था. उन्होंने पिछले साल रॉयटर्स को बताया था कि उन्होंने जब राजनीति में हस्तक्षेप करने के लिए सेना के जनरलों की आलोचना की थी, उसके बाद उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया था. सेना इन आरोपों का खंडन करती आई है.

2018 में सेना द्वारा हिरासत में लिए गए कुछ पत्रकारों और ब्लॉगरों ने सेना के गुप्त सूचना विभाग आईएसआई पर उन्हें हिरासत में लेने का आरोप लगाया था. वो सभी सेना के आलोचक थे. उनमें से टीकाकार गुल बुखारी को भी इसी तरह अगवा कर बाद में छोड़ दिया गया था. सेना ने बुखारी के अपहरण में उसका हाथ होने से इनकार किया था. बुखारी और जान दोनों ही खुद सैन्य परिवारों से संबंध रखते हैं.

एक ट्विटर पोस्ट में सुप्रीम कोर्ट के जजों की आलोचना करने के लिए जान अदालत की अवमानना के एक मुकदमे का सामना कर रहे थे और उन्हें बुधवार को अदालत में पेश होना था. उनकी पत्नी सुघरा ने बताया, "मेरे पति ने मुझे बताया था कि उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है, लेकिन हमने अपहरण की अपेक्षा नहीं की थी."

पाकिस्तान को पत्रकारों के लिए एक बेहद खतरनाक जगह माना जाता है. रिपोर्टर्स विदाउट बॉडर्स की प्रेस फ्रीडम इंडेक्स 2020 में पाकिस्तान 180 देशों में से 145वें स्थान पर था. संस्था के अनुसार इस साल देश में अभी तक कम से कम दो पत्रकार मारे भी जा चुके हैं. 

सीके/एए (रायटर्स)

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