लाहौर के एक चार महीने के बच्चे को नए जीवन का आशीर्वाद मिला. दिल्ली से सटे नोएडा में डॉक्टरों ने एक दुर्लभ हृदय रोग का सफलतापूर्वक इलाज कर उसे नई जिंदगी दी.
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रोहान महज पांच दिन का था जब डॉक्टरों ने उसके दिल में एक बीमारी का पता लगाया. रोहान को हाइपोप्लास्टिक लेफ्ट हार्ट सिंड्रोम (एचएलएचएस) था. यह ऐसी बीमारी है जो भ्रूण के विकसित होने के साथ साथ दिल में बढ़ती रहती है और सामान्य रक्त प्रवाह को प्रभावित करती है. रोहान के माता पिता ने इलाज कराने के लिए ट्विटर पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से संपर्क किया और चिकित्सा वीजा के लिए मंजूरी मांगी.
बच्चा सिर्फ एक महीने का था, जब उसे नोएडा के जेपी अस्पताल में लाया गया. उस समय उसका वजन सिर्फ 2.1 किलोग्राम था. जेपी अस्पताल के बाल चिकित्सा कार्डियोलॉजी विभाग के निदेशक राजेश शर्मा ने एक बयान में कहा, "रोहन दुर्लभ जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित था. उसकी जान खतरे में थी क्योंकि उसके दिल का बायां हिस्सा अविकसित था." शर्मा ने कहा, "उसके फेफड़ों में दबाव बहुत तेजी से ऊपर जा रहा था. शुरू से ही रोहान लंबी लंबी सांसें ले रहा था और उसका वजन बढ़ नहीं रहा था."
कहां पैदा हुए कितने बच्चे
साल के पहले दिन दुनिया भर में 3 लाख 86 हजार बच्चे पैदा हुए. इनमें भारत में पैदा होने वाले बच्चों की संख्या सबसे ज्यादा है. यूनिसेफ के मुताबित आधे से ज्यादा बच्चों का जन्म इन नौ देशों में हुआ.
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1. भारत
69,070 बच्चे
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2. चीन
44,760 बच्चे
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3. नाइजीरिया
20,210 बच्चे
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4. पाकिस्तान
14,910 बच्चे
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5. इंडोनेशिया
13,370 बच्चे
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6. अमेरिका
11,280 बच्चे
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7. कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य
9,400 बच्चे
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8. इथियोपिया
9,020 बच्चे
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9. बांग्लादेश
8,370 बच्चे
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इस अस्पताल में डॉक्टरों ने बच्चे की सर्जरी की जो 10 घंटे चली. इसके बाद उसे आईसीयू में शिफ्ट कर दिया, जहां कुछ घंटों के बाद धड़कन धीमी हो गई और ब्लड प्रेशर भी बिगड़ने लगा. लेकिन डॉक्टरों ने अपना इलाज जारी रखा. डॉक्टर शर्मा ने बताया, "बच्चे को पांच दिन के बाद ईसीएमओ से हटा दिया गया और उसके दिल ने विश्लेषण के अनुसार बेहतर काम करना शुरू कर दिया." 15 दिन बाद बच्चे को आईसीयू से हटाया गया. डॉक्टर शर्मा के अनुसार, "एक हजार बच्चों में से एक को ऐसा गंभीर हृदय रोग होता है, जिससे रोहान पीड़ित था. वह केवल एक महीने का था जब हमने उसका इलाज शुरू किया लेकिन सर्जरी में पांच से 10 प्रतिशत का खतरा था." डॉक्टरों ने बताया कि रोहान की हालत अब बेहतर है और इस महीने के अंत तक वह वापस पाकिस्तान जा सकेगा.
आईबी/एके (आईएएनएस)
ये है आज का मोगली
पशुओं और इंसानों के बीच मोहब्बत, प्रेम और लगाव की तमाम कहानियां सुनने में आती है. ऐसी ही एक कहानी है लंगूर और चार साल के बच्चे समर्थ की. बंदरों के साथ इसकी सहजता देख इसे आज का "मोगली" कहना गलत नहीं होगा.
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लंगूर बने दोस्त
बेंगलूरु से 400 किमी दूर स्थित गांव अलापुर में रहने वाला समर्थ आज चर्चा का विषय बना हुआ है. कारण है समर्थ के लंगूर दोस्त. जो रोजाना उससे मिलने आते हैं. अगर वह सो रहा होता है तो उसे नींद से उठा दते हैं और उसके साथ खूब खेलते हैं.
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गहरा है याराना
समर्थ की उम्र महज चार साल है और वह ठीक से बोल भी नहीं पाता लेकिन बंदरों के साथ इसका याराना बेहद ही गहरा है. लोगों को बंदर के साथ इसे देखकर डर लगता था लेकिन इस बच्चे के चेहरे पर कभी कोई शिकन नहीं दिखती.
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आपसी सहजता
बच्चे के चाचा बरामा रेड्डी कहते हैं, "पहले हम सभी गांववालों को डर लगता था कि कही ये बंदर, समर्थ के माता-पिता की गैरमौजूदगी में उस पर हमला न कर दें." लेकिन जल्द वे समझ गए कि बंदर और समर्थ एक दूसरे के साथ आपस में बेहद ही सहज हैं.
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लोगों को होती हैरानी
हालांकि न केवल बच्चे का बल्कि बंदरों का भी समर्थ के साथ इस तरह का व्यवहार आसपास के लोगों के लिए हैरानी का विषय बना हुआ है. लोग अब देखने आते हैं कि कैसे समर्थ और लंगूरों की टोली आपस में व्यवहार करती हैं.
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साथ मिलकर खाना
यहां तक कि यह दो साल का बच्चा अपने इन दोस्तों के साथ खाना भी शेयर करता है. परिवार वाले बताते हैं कि ये लंगूर रोजाना आते हैं, और इनका आने का समय भी लगभग तय है. अगर कभी समर्थ घर पर सो रहा होता है तो उसे नींद से जगा देते हैं.
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लंगूरों का गुस्सा
पहले परिवारजनों को लगा की ये लंगूर बच्चों का साथ पसंद करते हैं और इनके आसपास सहज महसूस करते हैं. लेकिन जब अन्य बच्चे लंगूरों के पास गए तो लंगूरों की टोली थोड़ा उग्र हो गई, जैसे कि उन्हें गुस्सा आ गया हो.
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खास रिश्ता
अब सभी मानते हैं कि समर्थ और इन लंगूरों के बीच कोई खास रिश्ता है. हालांकि बच्चा अभी बोल नहीं पाता लेकिन परिजनों और अन्य लोगों को लगता है कि समर्थ का हां-हूं में कुछ कहना बंदरों को समझ आता है. इसलिए यह रिश्ता वक्त के साथ और गहरा होता जा रहा है.
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मोगली की याद
समर्थ का व्यवहार सभी को रुडयार्ड किपलिंग की किताब, "द जंगल बुक" की याद दिला देता है. इस किताब का मुख्य पात्र मोगली भी जंगलों में वन्य जीवों के बीच पलता है. ये किताब इंसानों और पशुओं के बीच गहरी होती खाई को कम करती है.