पाकिस्तानी सेना पर हमला नहीं करेगा तालिबान
१२ फ़रवरी २०१२शनिवार को पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा पर आतंकवादियों की एक काउंसिल ने पर्चे बांटे. इन पर लिखा है कि लड़ाकों को उस समझौते का पालन करना होगा जिसके तहत उत्तरी वजीरिस्तान में पाकिस्तान सुरक्षा बलों पर हमला न करने का फैसला लिया गया है. आतंकवादियों से कहा गया है कि वह पाकिस्तानी सेना को निशाना न बनाएं. पाकिस्तानी तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के नेताओं को इस काउंसिल का हिस्सा माना जाता है.
तालिबान और अल कायदा लम्बे समय से घुसपैठ के लिए उत्तरी वजीरिस्तान के कबायली इलाकों का इस्तेमाल करते आए हैं. अफगानिस्तान में मौजूद अमेरिकी सेनाओं पर हमला करने के लिए भी इस जगह को तालिबान और अल कायदा ने अपना अड्डा बनाया हुआ है. अमेरिका इस सिलसिले में पाकिस्तान की मदद भी मांगता आया है. लेकिन पाकिस्तान उत्तरी वजीरिस्तान में आतंकवादियों के खिलाफ मुहिम चलाने से साफ इनकार करता रहा है.
पाकिस्तान के रुख को देखते हुए अमेरिकी अधिकारियों ने पाकिस्तान सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई पर आतंकवादियों का साथ देने के आरोप लगाए हैं. हालांकि पाकिस्तान तालिबान से रिश्तों से इनकार करता आया है. लेकिन अब इन पर्चों से फिर पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी के रुख पर सवाल खड़े हो रहे हैं.
कुछ ही दिन पहले आई नाटो की रिपोर्ट में कहा गया था कि पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियां अफगानिस्तान में तालिबान की सहायता कर रही हैं. रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि इस्लामाबाद को तालिबान के वरिष्ठ नेताओं के ठिकानों की भी खबर है. हालांकि पाकिस्तान ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया और रिपोर्ट को हास्यास्पद बताया. लेकिन अब सेना पर हमला न करने के तालिबान का आदेश कुछ और ही बयां कर रहा है. पाकिस्तानी सेना और तालिबान के बीच एक बेहतरीन सहयोग दिखाई पड़ रहा है, जो अमेरिका और अफगानिस्तान की मुश्किलें बढ़ा सकता है.
वैसे भी पिछले एक साल से अमेरिका और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है. बिना सूचित किए ओसामा बिन लादेन पर की गई अमेरिकी कार्रवाई पाकिस्तान को रास नहीं आई. तो अमेरिका भी यह मानने को तैयार नहीं कि पाकिस्तान को बिन लादेन के ठिकाने की जानकारी नहीं थी. पिछले हफ्ते आई नाटो की रिपोर्ट में भी यह बात कही गई है कि पाक सेना के सहयोग के बिना तालिबान और अल कायदा अपनी कार्रवाई नहीं कर सकते. रिपोर्ट पकड़े गए तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के आतंकवादियों से पूछताछ के आधार पर बनाई गई है.
रिपोर्ट: एएफपी/ईशा भाटिया
संपादन: ओ सिंह