पाकिस्तान में बलात्कारियों को केमिकल कास्ट्रेशन यानी दवाओं से अंडकोष को निष्क्रिय करने की सजा मिलेगी. इसके लिए प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार एक अध्यादेश लाने की तैयारी कर रही है.
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पाकिस्तानी मीडिया में आई खबरों में दावा किया जा रहा है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल की एक बैठक में विधि मंत्रालय ने नए अध्यादेश का मसौदा पेश किया जिसे प्रधानमंत्री ने सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दे दी. इस बारे में आधिकारिक घोषणा अभी तक नहीं की गई है.
विधि और न्याय मंत्री फरोग नसीम ने मंगलवार को अध्यादेश लाने की सरकार की कोशिशों की पुष्टि की. उन्होंने बताया कि चूंकि संसद का सत्र अभी चल नहीं रहा है इसलिए सरकार यह अध्यादेश जल्द ही जारी करेगी. उनके अनुसार इसमें बलात्कारियों के लिए केमिकल कास्ट्रेशन के अलावा आजीवन कारावास और मृत्युदंड का भी प्रावधान है.
खुद इमरान खान पहले ही इस तरह की कड़ी सजा लाए जाने की वकालत कर चुके हैं. सितंबर में उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा था कि बढ़ते हुए यौन अपराधों को कम करने के लिए बलात्कारियों को या तो सार्वजनिक रूप से फांसी दे दी जानी चाहिए या उनका केमिकल कास्ट्रेशन कर देना चाहिए.
पाकिस्तान में बलात्कार के बढ़ते मामले देश में एक बड़ी समस्या बन गए हैं और पिछले कुछ महीनों में कुछ सनसनीखेज मामलों के सामने आने के बाद जनता में बलात्कार को ले कर काफी आक्रोश पैदा हो गया है. यह आक्रोश कहीं सरकार के लिए मुसीबत ना बन जाए इसलिए इमरान खान ने जनता के बीच एक कड़ा रुख अपना लिया है और सख्त सजा की वकालत कर रहे हैं.
लेकिन केमिकल कास्ट्रेशन एक अत्यंत विवादास्पद कदम है जिसे लेकर पूरी दुनिया में लेकर अलग अलग राय है. संयुक्त राष्ट्र कई बार कह चुका है कि कास्ट्रेशन या मृत्युदंड जैसी सजा की वजह से बलात्कार होने कम हो गए हों इसका कोई भी प्रमाण आज तक नहीं मिला है.
लेकिन यूरोप के कई देशों के अलावा यह अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, रूस जैसे कई देशों में प्रचलन में है. भारत में भी इस पर पिछले कुछ सालों से चर्चा हो रही है लेकिन अभी तक इसे कानूनन वैध घोषित नहीं किया गया है. 2012 में दिल्ली में हुए सामूहिक बलात्कार के मामले के बाद और सख्त कानून लाने के लिए बनाई गई समिति के अध्यक्ष जेएस वर्मा ने कहा था कि यह असंवैधानिक और अमानवीय होगा.
2019: पांच तरीके, जो यौन हिंसा के खिलाफ बने विरोध का हथियार
भारत में 2019 को बलात्कार की कई जघन्य घटनाओं के लिए याद किया जाएगा. वहीं दुनियाभर में यह यौन हिंसा के खिलाफ महिलाओं के संघर्ष का साल रहा है. एक नजर उन पांच तरीकों पर, जिनके जरिए महिलाओं ने अपना प्रतिरोध जताया.
अरब देश ट्यूनिशिया में एक स्कूल के बाहर कथित तौर पर हस्तमैथुन कर रहे एक सांसद की फुटेज सामने आने के बाद वहां #MeToo या #EnaZeda आंदोलन शुरू हुआ. बहुत सी महिलाओं ने सोशल मीडिया पर बताया कि कैसे उन्हें यौन उत्पीड़न का सामना पड़ा है. इससे पहले पूरी दुनिया में इस आंदोलन के जरिए कई सफेदपोश लोगों की हकीकत सामने आई.
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"आपके रास्ते में बलात्कारी"
चिली की महिलावादी कार्यकर्ताओं के गीत "A Rapist in your Path" की गूंज पूरी दुनिया में सुनाई दी. मेक्सिको, फ्रांस और तुर्की जैसे कई देशों में सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस गीत पर परफॉर्म किया. गीत के बोल सरकार और देशों की आलोचना करते हैं कि वे बलात्कार को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा रहे हैं. यौन अपराधों के लिए महिलाओं को जिम्मेदार ठहराने वाली सोच को भी यह गीत खारिज करता है.
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"यहां राजनीति नहीं चलेगी"
स्पेन में धुर दक्षिणपंथी पार्टी वोक्स के एक नेता ने जब महिलाओं के खिलाफ हिंसा की निंदा करने वाले एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया तो प्रदर्शनकारी राजधानी मैड्रिड की सड़कों पर उतर आए और ट्रैफिक जाम कर दिया. सामाजिक कार्यकर्ता नादियो ओटमान ने खावियर ऑर्तेगा स्मिथ का विरोध करते हुए कहा, "लैंगिक हिंसा के साथ आप राजनीति नहीं खेल सकते."
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जापान में नौकरी के बदले सेक्स?
जापान में कुछ प्रोफेसर और यूनिवर्सिटी छात्र मिल कर एक मुहिम चला रहे है जिसका मकसद नौकरी खोजने वाले ग्रेजुएट्स का यौन उत्पीड़न रोकना है. उनका कहना है कि नौकरियां कम हैं और इच्छुक लोग बहुत सारे हैं. ऐसे में नौकरी देने वाले ग्रेजुएट्स की मजबूरी का फायदा उठाने से नहीं हिचकते. बहुत से युवा नौकरी ना मिल पाने के डर से इस बारे में बात भी नहीं करते.
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रूस में सख्त कानून की वकालत
रूस में घरेलू हिंसा के खिलाफ कोई कानून नहीं है. तीन साल पहले एक बिल संसद में लाया गया जो पास नहीं हो पाया. इस साल बिल को फिर से संसद में लाया गया. लेकिन महिला आधिकार कार्यकर्ता इसका विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि बिल में महिलाओं के संरक्षण के लिए पर्याप्त प्रावधान नहीं हैं. वे इससे ज्यादा मजबूत बिल की वकालत कर रहे हैं.
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गंभीर स्थिति
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि दुनिया भर में एक तिहाई से ज्यादा महिलाएं ऐसी हैं जो अपने जीवन में कभी ना कभी यौन हिंसा का शिकार हुई हैं. भारत में 2012 के गैंगरेप कांड के बाद से महिलाओं की सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है. बावजूद इसके बलात्कार की घटनाएं लगातार सुर्खियां बन रही हैं. (स्रोत: ह्यूमन राइट्स वॉच, रॉयटर्स, संयुक्त राष्ट्र, एमनेस्टी इंटरनेशनल)