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पाकिस्तान और अमेरिका की खुफिया एजेंसियों की बैठक

२९ जुलाई २०१२

अमेरिका और पाकिस्तान के रूखे सूखे रिश्तों में सालभर से जमी खुरचन को उतारने का एक हल्का सा इशारा नजर आ रहा है. आईएसआई और सीआईए की अगले महीने बैठक होने जा रही है.

तस्वीर: dapd

पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी आईएसआई और अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के प्रमुखों के बीच अगस्त के पहले तीन दिनों में मुलाकात हो रही है. इस मुलाकात में उन सभी मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है जो अब तक रिश्तों में दरारें पैदा करते रहे हैं. इनमें ड्रोन हमलों पर ज्यादा तवज्जो रह सकती है.

अमेरिका और पाकिस्तान के बीच पिछले साल मई से ही अनबन रही है जो आतंकी सरगना ओसामा बिन लादेन के इस्लामाबाद के नजदीक पाए और मार दिए जाने के बाद से पैदा हुई. तब से पहली बार आईएसआई प्रमुख अमेरिका दौरे पर जा रहे हैं. एक बयान जारी कर बताया गया है कि मार्च में आईएसआई के प्रमुख पद पर तैनात किए गए लेफ्टिनेंट जनरल जहीर उल इस्लाम "1-3 अगस्त तक अमेरिका की यात्रा करेंगे. वह अमेरिका में सीआईए के निदेशक जनरल डेविड पैट्रियस से मुलाकात करेंगे."

सरकारी बयान में और कोई जानकारी नहीं दी गई है लेकिन पाकिस्तान के एक सुरक्षा अधिकारी ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया है कि इस मुलाकात में आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई में सहयोग और खुफिया जानकारियों की साझेदारी पर बातचीत होगी. अधिकारी ने कहा कि जहीर उल इस्लाम तालिबान और अल कायदा पर अमेरिकी ड्रोन हमले रोकने की मांग रखेंगे. वह ड्रोन हमलों के बजाय पाकिस्तानी सेना की ओर से हमले करने के लिए संसाधनों की मांग करेंगे.

उल इस्लाम की इस यात्रा की उम्मीद जुलाई महीने में ही की जा रही थी. ऐसा क्यों नहीं हो पाया, इसकी वजह साफ नहीं की गई है. पाकिस्तान में ड्रोन हमलों का विरोध बढ़ता जा रहा है. पहले नेता इन हमलों को मौन स्वीकृति दे रहे थे लेकिन अब वे भी खुलकर बोलने लगे हैं कि ड्रोन हमले पाकिस्तान की संप्रभुता पर हमला हैं.

ऐसा माना जा रहा है कि अमेरिकी अधिकारी इन हमलों को बेहद अहम मानते हैं और छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं. हालांकि जब से पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्तों में खराश आई है, तब से ड्रोन हमलों में भी कमी हुई है. लेकिन इस वक्त दोनों देशों के रिश्ते पिछले एक दशक में अपने सबसे निचले स्तर पर है.

3 जुलाई को इस रिश्ते की गर्माहट बढ़ने के संकेत मिले जब इस्लामाबाद नाटो सप्लाई पर लगी बंदिशें हटाने को तैयार हो गया. अफगानिस्तान में तालिबान सेनाओं के खिलाफ लड़ रही नाटो सेनाओं के लिए सप्लाई पाकिस्तान के रास्ते से जाती है. पिछले साल नवंबर में नाटो के हवाई हमलों में 24 पाकिस्तानी सैनिकों की मौत के बाद पाक सरकार ने नाटो को रास्ता देने से इनकार कर दिया था. उसके बाद से यह गतिरोध बना हुआ था.

आईबी/एनआर (पीटीआई)

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