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पाकिस्तान और अमेरिका में चूहे बिल्ली का खेल

१८ मार्च २०११

रेमंड डेविस सीआईए में थे, पाक सरकार को यह पता नहीं था. आईएसआई अधिकारियों को लगता है कि सीआईए ने पाकिस्तान में अपना अलग खुफिया जाल बिछा रखा है. क्या डेविस के बाद सीआईए पाकिस्तान में अपनी गतिविधियां कम करेगा.

डेविस बने नया मुद्दातस्वीर: picture alliance/dpa

27 जनवरी को रेमंड डेविस ने लाहौर में दो लोगों को मार डाला. डेविस के मुताबिक उन्हें लगा कि ये लोग डकैत थे. डेविस की गिरफ्तारी के बाद जब पता चला कि वह अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए का ठेकेदार है, तो इससे पाकिस्तानी सरकार और खास कर आईएसआई के कान खड़े हो गए. उनके अपने देश में सीआईए के ठेकेदार घूम रहे हैं, वो भी बंदूकों के साथ, यह बात उन्हें चुभ गई.

सुरक्षा विश्लेषक आएशा सिद्दीकी कहती हैं, "जाहिर है आईएसआई इससे नाराज है क्योंकि ऐसा लगता है कि सीआईए ने अपना लग खुफिया नेटवर्क बना कर रखा था." कहती हैं कि आईएसआई अब अमेरिकी खुफिया एजेंसी पर और कड़ी नजर रखना चाहती है. हो सकता है एक समझौता भी हो, "अगर आपको इन लोगों पर जानकारी चाहिए, तो हम आपको दे सकते हैं." सरकार की नीतियों के जानकारों का कहना है कि रेमंड डेविस को छुड़ाने के बाद सीआईए अफगानिस्तान में पाकिस्तान की भूमिका को ज्यादा अहमियत देना चाहता है और पाकिस्तान में अमेरिकी जासूसी को कम कर सकता है. साथ ही पाकिस्तानी अधिकारियों को सीआईए कार्रवाई की पूरी जानकारी दी जाएगी. हालांकि वॉशिंगटन में एक वरिष्ठ सीआईए अधिकारी ने इस विकल्प को पूरी तरह खारिज किया है. लेकिन दोनों सरकारों के बीच बातचीत हो रही है.

चूहे बिल्ली का खेल

तस्वीर: DPA

पाकिस्तान और उसके आसपास के इलाकों में नियंत्रण के लिए वॉशिंगटन और इस्लामाबाद के बीच चूहे बिल्ली का खेल चल रहा है. यह संघर्ष डेविस मामले में भी झलकता है. पहले तो अमेरिका कहता रहा कि डेविस राजनयिक है और इस वजह से उस पर कानूनी कार्रवाई नहीं हो सकती. लेकिन अपनी चाल चलते हुए पाकिस्तान ने डेविस को गिरफ्तार किया और उस पर कानूनी कार्रवाई शुरू की. बड़े दिनों तक ब्लड मनी या मुआवजे की बात चलती रही और मारे गए व्यक्तियों में से एक की पत्नी ने खुदकुशी भी की. कुछ वक्त के लिए ऐसा लग रहा था कि इस बार पाकिस्तान में कानून की जीत होगी. लेकिन एन वक्त पर मुआवजा तय हुआ, दोनों व्यक्तियों के परिवार मान गए, सुनवाई के दिन मारे हुए व्यक्तियों के वकील को जेल में बंद कर दिया गया और पैसा दे कर डेविस अमेरिका रवाना हो गए.

असमंजस में पाकिस्तानी सरकार

इन सब के बीच अमेरिका अब भी लोकतंत्र और न्याय, नीति, कानून के नगाड़े बजाता हुआ दिखता है. अमेरिकी अधिकारी ब्लड मनी से साफ मना कर रहे हैं और एक भ्रष्ट और प्रभावहीन पाकिस्तानी सरकार पर और लांछन डालने से पीछे नहीं हट रहे. उनका कहना है कि पाकिस्तान की सरकार ने मुआवजा दिया है. लेकिन सरकार अपने देश में एक सीआईए जासूस या ठेकेदार को बचाने की कोशिश क्यों करे, खास कर कि जब वह इस बात से नाराज है कि सीआईए उसके पीठ पीछे और शायद उसी की जासूसी कर रहा था.

डेविस की रिहाई से पाकिस्तानी सरकार को कम से कम अपने देश में जनता और वहां की धार्मिक पार्टियों को जवाब देना होगा. डेविस की रिहाई के बाद विरोधी प्रदर्शनों में उतना जोश नहीं दिखा है जितने की आशंका की जा रही थी. कुछ लोगों का कहना है कि डेविस की रिहाई और मुआवजे के लिए प्रदर्शन करना किसी रोग के लक्षण से लड़ने वाली बात होगी. रोग तो पाकिस्तानी सरकार की नीतियों में और अमेरिका के साथ असमानी संबंधों में है.

रिपोर्टः एजेंसियां/एमजी

संपादनः ओ सिंह

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