पाकिस्तान का आतंकवादी संगठनों पर कार्रवाई का एलान
४ मार्च २०१९![Pakistan Konferenz in Quetta](https://static.dw.com/image/36864848_800.webp)
फरवरी के आखिरी हफ्ते में परमाणु हथियारों से लेस भारत और पाकिस्तान ने एक दूसरे की जमीन पर बम गिराए. दोनों देशों की वायुसेनाएं डॉगफाइट में उलझीं. एक मार्च को इस्लामाबाद ने भारतीय वायुसेना के पायलट विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान को रिहा कर बढ़ते तनाव को काफी हद तक ठंडा किया.
ब्रिटेन और अमेरिका ने पायलट को भारत को सौंपने के फैसले का स्वागत किया है. लेकिन साथ ही दोनों देशों ने पाकिस्तान से अपनी जमीन पर सक्रिय आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव भी डाला. दोनों देशों ने साफ किया कि पाकिस्तान को भारत पर हमले करने वाले आतंकवादी संगठनों पर कार्रवाई करनी ही होगी. भारत के खिलाफ ऐसे संगठनों का इस्तेमाल करने से इनकार करता रहा है.
अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस यूएन सिक्योरिटी काउंसिल में जैश ए मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर के खिलाफ फिर से प्रस्ताव ला चुके हैं. प्रस्ताव पर मार्च मध्य में मतदान होना है. इस बार भी सारी नजरें चीन पर होंगी. पाकिस्तान का साझेदार चीन मसूद पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्तावों पर पहले कई बार वीटो कर चुका है. लेकिन इस बार वीटो करना चीन के लिए भी आसान नहीं होगा.
जैश ए मोहम्मद पुलवामा में हुए हमले की जिम्मेदारी ले चुका है. अमेरिकी न्यूज चैनल सीएनएन से बातचीत में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी स्वीकार कर चुके हैं जैश प्रमुख मसूद पाकिस्तान में ही है. हालांकि उन्होंने मसूद की तबियत को खराब बताया.
जैश के हमले के बाद ही 26 फरवरी को भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के भीतर घुसकर बालाकोट में बम गिराए. भारत का दावा है कि उसने जैश ए मोहम्मद के ट्रेनिंग कैंप को निशाना बनाया है. इस्लामाबाद ने ऐसे कैंप से इनकार किया है. पाकिस्तान पत्रकारों को भी उस इलाके में लेकर गया.
बम हमले के पास बसे गांव के लोगों ने कहा कि यहां कोई सक्रिय आतंकवादी संगठन नहीं था. लेकिन ग्रामीणों ने यह जरूर कहा कि यहां जैश ए मोहम्मद द्वारा संचालित एक मदरसा जरूर था. इस जानकारी के बाद पाकिस्तान की सेना ने रॉयटर्स के पत्रकारों को उस मदरसे में जाने से रोक दिया.
इस बीच पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी कहते हैं कि अब सरकार ने ऐसे आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला किया है. चौधरी के मुताबिक कश्मीर में हमले के जैश ए मोहम्मद के दावे से पहले ही नेशनल सिक्योरिटी कमेटी की बैठक में इस पर फैसला किया जा चुका था.
पाकिस्तानी सूचना मंत्री चौधरी कहते हैं, "पूरी रणनीति मौजूद है. अलग अलग गुटों के लिए हमारे पास अलग-अलग रणनीति है, लेकिन मुख्य लक्ष्य है सरकार की आज्ञा को लागू करवाना. अगर हमारी जमीन पर कोई संगठन है तो हमें उनकी सारी सैन्य शक्तियां खत्म करनी होंगी."
एक सूत्र के हवाले से पाकिस्तान के प्रमुख अंग्रेजी अखबार डॉन ने कहा कि उग्रवादी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई बहुत करीब है. डॉन के मुताबिक, "जैसे जैसे बात आगे बढ़ेगी वैसे वैसे कार्रवाई स्पष्ट नजर आने लगेगी."
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, इससे पहले सितंबर 2017 में भी पाकिस्तान की सेना ने उग्रवादी संगठनों की शक्तियां छीनने की कोशिश की थी. तब उग्रवादी संगठनों को राजनीति में आने का न्योता दिया गया. इस दौरान 2008 के मुंबई हमलों के कथित मास्टरमाइंड कहे जाने वाले हाफिज सईद से जुड़ी नई पार्टी भी सामने आई. हालांकि साल भर बाद पार्टी को बैन कर दिया गया.
पाकिस्तान पर ऐसा दबाव पहले भी पड़ चुका है. लेकिन इसके बावजूद भारत विरोधी उग्रवादी संगठनों के नेता पाकिस्तान में आजाद जिंदगी जीते रहे हैं. पाकिस्तान की ताकतवर सेना देश की रक्षा और विदेश नीति तय करती है. भारत से पाकिस्तान के संबंध कैसे होंगे, यह भी सेना ही तय करती है.
(कैसे बार बार बचता गया कश्मीर में हिंसा फैलाने वाला)
ओएसजे/एए (रॉयटर्स)