अफगानिस्तान के लाल, रसीले अनारों का मौसम शुरू हो गया है लेकिन इस साल हजारों टन अनार पाकिस्तान की सीमा पर सड़ रहे हैं. सीमा पर अनारों के ट्रकों को रोक दिया गया है, जिस वजह से हजारों लोगों का रोजगार भी छिन गया है.
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सुर्ख लाल रंग के बीज और चमड़े जैसे लाल रंग के छिलके वाले अफगानी अनार को पूरी दुनिया में स्वास्थ्य के लिए उसके फायदों की वजह से जाना जाता है. यह दक्षिणी अफगानिस्तान की सबसे महत्वपूर्ण फसलों में से है. देश पर तालिबान के कब्जे के दो महीने पूरे होने को हैं जिसकी वजह से चल रहे कई संकटों के बीच ये अनार भी अब पक रहे हैं.
कंधार में फ्रेश फ्रूट्स यूनियन के मुखिया हाजी नानी आगा कहते हैं, "इस इलाके में ऐसे 15,000 कृषि मजदूर हैं जिनकी व्यापार के बंद होने की वजह से नौकरी चली गई है, और अब फल भी सड़ रहे हैं." अनार की झाड़ियों की छांव में खरबूजों के आकार के इन अनारों से भरे बोरों और पेटियों को ट्रकों पर लादा जा रहा है.
सख्त प्रतिबंध
ये ट्रक जल्द ही स्पिन बोल्दाक में अफगानिस्तान-पाकिस्तान की सीमा की तरफ रवाना हो जाएंगे. लेकिन इनसे पहले गए कई ट्रकों की यात्रा वहां जा कर खत्म हो गई. पाकिस्तान ने अपने पड़ोसी देश से व्यापार को बढ़ावा देने के लिए आयातित फलों पर बिक्री कर हटा दिया है, लेकिन सीमा पार करने की कोशिश कर रहे आम अफगानियों के लिए प्रतिबंधों को और सख्त कर दिया है.
पाकिस्तान अवैध रूप से लोगों के सीमा पार करने को रोकना चाह रहा है. इससे पाकिस्तानी अधिकारियों और अफगानिस्तान के नए शासकों के बीच एक तरह की रस्साकशी शुरू हो गई है. विरोध में तालिबान ने कई बार सीमा को बंद कर दिया है.
अपना उत्पाद बेचने की उम्मीद कर रहे निर्यातक कई बार यहां तपती गर्मी में दिनों, हफ्तों तक फंसे रह गए. आगा बताते हैं, "यह पूरे अफगानिस्तान के लिए एक आपदा है, क्योंकि पूरे अफगानिस्तान का व्यापार इसी सीमा के रास्ते होता है." सामान्य रूप से 40,000 से 50,000 टन उत्पाद इसी सीमा से होते हुए पाकिस्तान निर्यात किए जाते हैं.
अफीम की खेती का विकल्प
लेकिन कंधार के चैंबर ऑफ कॉमर्स के सदस्य अब्दुल बकी बीना ने बताया कि अभी तक सिर्फ 4,490 टन सामान देश से बाहर गया है. वो कहते हैं, "ये सामान बिकने का इंतजार कर रहा है लेकिन इसमें जितनी देर होगी उतना इनकी गुणवत्ता खराब होगी और उतना ही इनका मूल्य नीचे गिरेगा."
अफगानिस्तान का कृषि क्षेत्र दो महीने पहले हुए सत्ता के नाटकीय परिवर्तन के पहले से सूखे और कई प्रांतों में चल रही लड़ाई की वजह से नुकसान झेल रहा था. सालों तक पश्चिमी समर्थन प्राप्त पिछली अफगान सरकारों और अंतरराष्ट्रीय अनुदान देने वालों ने किसानों को मना कर अवैध अफीम की खेती की जगह फल उगाने के लिए तैयार किया था. अनार उन्हीं फलों में से था.
सीके/एए (एएफपी)
तालिबान राज में कुछ ऐसी है आम जिंदगी
अफगानिस्तान में तालिबान सरकार की स्थापना के बाद लोगों को कट्टरपंथी मिलिशिया के तहत जीवन में वापस लौटना पड़ा है. लोगों के लिए बहुत कुछ बदल गया है, खासकर महिलाओं के लिए.
तस्वीर: Bernat Armangue/AP Photo/picture alliance
बुर्के में जिंदगी
अभी तक महिलाओं के लिए बुर्का पहनना अनिवार्य नहीं है, लेकिन कई महिलाएं कार्रवाई के डर से ऐसा करती हैं. इस तस्वीर में दो महिलाएं अपने बच्चों के साथ बाजार में पुराने कपड़े खरीद रही हैं. देश छोड़कर भागे हजारों लोग अपने पुराने कपड़े पीछे छोड़ गए हैं, जो अब ऐसे बाजारों में बिक रहे हैं.
तस्वीर: Felipe Dana/AP Photo/picture alliance
गलियों और बाजारों में तालिबानी लड़ाके
पुराने शहर के बाजारों में चहल-पहल है, लेकिन सड़कों पर तालिबान लड़ाकों का भी दबदबा है. वे गलियों में सब कुछ नियंत्रित करते हैं और उनके विचारों या नियमों के खिलाफ कुछ होने पर तुरंत दखल देते हैं.
तस्वीर: Bernat Armangue/AP Photo/picture alliance
दाढ़ी बनाने पर रोक
तालिबान ने नाइयों को दाढ़ी काटने और शेव करने से मना किया है. यह आदेश अभी हाल ही में हेलमंद प्रांत में लागू किया गया है. यह अभी साफ नहीं है कि इसे देश भर में लागू किया जाएगा या नहीं. 1996 से 2001 तक पिछले तालिबान शासन के दौरान पुरुषों की दाढ़ी काटने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था.
तस्वीर: APTN
महिलाओं के चेहरे मिटाए जा रहे
ब्यूटी पार्लर के बाहर तस्वीरें हों या विज्ञापन तालिबान महिलाओं की ऐसी तस्वीरों को बिल्कुल भी स्वीकार नहीं करता है. ऐसी तस्वीरें हटा दी गईं या फिर उन्हें छुपा दिया गया.
तस्वीर: Bernat Armangue/AP Photo/picture alliance
लड़कियों को अपनी शिक्षा का डर
तालिबान ने लड़कियों को प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने की इजाजत दी है, लेकिन लड़कियों ने अभी तक माध्यमिक विद्यालयों में जाना शुरू नहीं किया है. यूनिवर्सिटी में लड़के और लड़कियों को अलग-अलग बैठने को कहा गया है.
तस्वीर: Felipe Dana/AP Photo/picture alliance
क्रिकेट का खेल
क्रिकेट खेलने के लिए काबुल के चमन-ए-होजरी पार्क में युवकों का एक समूह इकट्ठा हुआ है. जबकि महिलाओं को अब कोई खेल खेलने की इजाजत नहीं है. क्रिकेट अफगानिस्तान में सबसे लोकप्रिय खेलों में से एक है.
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बढ़ती बेरोजगारी
अफगानिस्तान गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. विदेशी सहायता रुकने से वित्त संकट खड़ा हो गया है. इस तस्वीर में ये दिहाड़ी मजदूर बेकार बैठे हैं.
तस्वीर: Bernat Armangue/AP Photo/picture alliance
नमाज भी जरूरी
जुमे की नमाज के लिए लोग इकट्ठा हुए हैं. मुसलमानों के लिए शुक्रवार का दिन अहम होता है और जुमे की नमाज का भी खास महत्व होता है. इस तस्वीर में एक लड़की भी दिख रही है जो जूते पॉलिश कर रोजी-रोटी कमाती है.
तस्वीर: Bernat Armangue/AP Photo/picture alliance
आम नागरिक परेशान, तालिबान खुश
अफगान नागरिक एक अजीब संघर्ष में जिंदगी बिता रहे हैं, लेकिन तालिबान अक्सर इसका आनंद लेते दिखते हैं. इस तस्वीर में तालिबान के लड़ाके स्पीडबोट की सवारी का मजा ले रहे हैं.