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कानून और न्याय

पाकिस्तान में कौमार्य परीक्षण पर बैन

५ जनवरी २०२१

पाकिस्तान में लाहौर हाई कोर्ट ने पंजाब प्रांत में बलात्कार पीड़ितों के कौमार्य परिक्षण पर प्रतिबंध लगा दिया है. एक्टिविस्टों को उम्मीद है की जल्द यह प्रतिबंध पूरे देश में लागू होगा और बलात्कार पीड़ितों को थोड़ी राहत मिलेगी.

Pakistan I Protest gegen Gewalt an Frauen
तस्वीर: Asif Hassan/AFP/Getty Images

बलात्कार पीड़ितों का कौमार्य परीक्षण का इस्तेमाल पाकिस्तान में महिला की तथाकथित प्रतिष्ठा के मूल्यांकन के लिए लंबे समय से होता रहा है. इसमें "दो उंगलियों वाला टेस्ट" भी शामिल है. कौमार्य परीक्षण के आलोचकों ने परीक्षण को बैन करवाने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दी थी.

विश्व स्वास्थ्य संगठन पहले ही कह चुका है कि इस तरह के परीक्षण की कोई वैज्ञानिक उपयोगिता नहीं होती और इससे बलात्कार पीड़ितों के मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है. कौमार्य परीक्षण को अवैध बताते हुए लाहौर हाई कोर्ट ने कहा कि यह, "पीड़िता की व्यक्तिगत मर्यादा को चोट पहुंचाता है और इस वजह से यह जीने के अधिकार और मर्यादा के अधिकार के खिलाफ है."

इस तरह के परीक्षण के पैरोकार दावा करते हैं कि इससे महिला की यौन गतिविधियों के इतिहास का पता लगाया जा सकता है. इस तरह के नतीजों का इस्तेमाल अक्सर बलात्कार पीड़ितों को बदनाम करने के लिए किया जाता है. पाकिस्तानी समाज का अधिकांश हिस्सा प्रतिष्ठा की एक दमनकारी व्यवस्था के तहत काम करता है जिसमें बलात्कार पीड़ितों को सामाजिक लांछनों का सामना करना पड़ता है और बड़ी संख्या में महिलाओं पर हिंसक हमलों की पुलिस से शिकायत भी नहीं की जाती.

एक महिला के सामूहिक बलात्कार के खिलाफ कराची में प्रदर्शन.तस्वीर: Asif Hassan/AFP/Getty Images

जिस याचिका पर अदालत ने यह फैसला दिया उसे दायर करने वाले वकीलों ने एक बयान जारी कर कहा कि यह फैसला, "तहकीकात संबंधी और न्यायिक प्रक्रियाओं को सुधारने और उन्हें यौन हमले और बलात्कार के पीड़ितों के प्रति और न्यायपूर्ण बनाने की दिशा में एक अति-आवश्यक कदम है."

इससे पहले पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने दिसंबर में दो उंगलियों वाले टेस्ट पर बैन लगा दिया था. यह कदम एक नए बलात्कार विरोधी कानून के तहत उठाया गया था. इस पर तो इस नए कानून के तहत प्रतिबंध लग गया है लेकिन योनिच्छद या हाइमन में खरोंचें और चोट के निशानों की दृश्य जांच की अनुमति अब भी है.

लाहौर हाई कोर्ट के फैसले से पंजाब प्रांत में हर तरह का कौमार्य परीक्षण प्रतिबंधित हो गया है और यह पाकिस्तान में इस तरह का पहला आदेश है. इसी तरह के एक और मामले पर सिंध हाई कोर्ट में भी सुनवाई चल रही है और महिला अधिकार एक्टिविस्टों को उम्मीद है कि लाहौर हाई कोर्ट का फैसला देशव्यापी प्रतिबंध के लिए मिसाल बनेगा. भारत में दो उंगलियों वाली जांच को 2013 में ही और बांग्लादेश में 2018 में बैन कर दिया गया था.

सीके/एए (एएफपी)

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