पाकिस्तान के युवाओं को लग चुका है क्रिस्टल मेथ का घुन
सत्तार खान
३० अप्रैल २०२१
पाकिस्तान में समृद्ध छात्रों और युवाओं में अत्यधिक नशे की लत वाली क्रिस्टल मेथ या 'आइस' का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है. परिवारवाले नशे से जुड़ी बातें सार्वजनिक नहीं करना चाहते. ऐसे में इलाज भी कठिन हो जाता है.
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पाकिस्तान में क्रिस्टल मेथामफेटामाइन का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. नशे की लत से छुटकारा दिलाने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि इस ड्रग की ओर आकर्षित होने वालों में सबसे ज्यादा संख्या शिक्षित और उच्च वर्ग के लोगों और छात्रों की है. देश की एंटी नारकोटिक्स फोर्स के मुताबिक, पाकिस्तान में करीब दो करोड़ 70 लाख लोगों को नशे की लत है.
हाल के समय में संभ्रात परिवार के सदस्यों और छात्रों के बीच मेथ के बढ़ते इस्तेमाल को विशेषज्ञ खतरे की घंटी बता रहे हैं क्योंकि नशे की इस लत से जुड़े उपचार के डेटा कम हैं. पाकिस्तान में ऐसे परिवारों की संख्या काफी अधिक है जो ड्रग के इस्तेमाल से जुड़ी बातों को छिपाए रखना चाहते हैं. हालांकि, कई लोग अपनी कहानी साझा करने के लिए तैयार हैं.
रावलपिंडी के रहने वाले 25 वर्षीय सूफियान अली ने अपने पिता के साथ काम किया और परिवार की मदद की. पिछले साल नवंबर महीने में अली क्रिस्टल मेथ की ओर आकर्षित हुए. अली की पार्टी में आने वाले एक शख्स ने ही उन्हें मेथ बारे में बताया. अली ने बताया कि शुरू में उन्होंने अपने चार दोस्तों के साथ यह ड्रग लिया था.
इन चीजों का नशा आपकी जिंदगी को कर सकता है बर्बाद
नशा सिर्फ चरस या गांजे जैसे नशीले पदार्थों का नहीं, काम या खेल का भी हो सकता है. लेकिन लत किसी भी चीज की हो, नुकसान ही पहुंचाती है..
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नशे की गोलियां
अक्सर नींद ना आने पर डॉक्टर नींद की गोली लिखते हैं, लेकिन अगर इनकी आदत लग जाए तो यह शरीर के लिए अच्छा नहीं. कई दूसरे तरह के नशीले पदार्थ भी गोलियों के रूप में आते हैं जैसे एलएसडी.
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कोकीन
कोका पौधे से प्राप्त होने वाला कोकीन कुछ खतरनाक नशों में शामिल है. शरीर में इसकी ज्यादा मात्रा पहुंच जाने से दिल काम करना बंद कर सकता है और मौत हो सकती है.
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शराब
शराब से शरीर को होने वाले नुकसान के बारे में हम हमेशा से सुनते आए हैं. लत लग जाने पर शरीर पर इसका बुरा असर धीरे धीरे दिखाई देता है. ज्यादा शराब से जिगर खराब होने का खतरा रहता है.
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सिगरेट
सिगरेट से फेफड़ों को सीधा नुकसान पहुंचता है. सिगरेट के कारण कैंसर से होने वाली मौतों की तादाद लगातार बढ़ रही है.
भांग का इस्तेमाल कई बार चिकित्सीय कारणों से भी होता है. एक नए कानून के साथ उरुग्वे दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया है जहां चरस खरीदना या उगाना अपराध नहीं माना जाएगा.
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हेरोइन
हेरोइन को डायमॉर्फीन के नाम से भी जाना जाता है. इसका इस्तेमाल दर्द निवारक दवाओं में होता है. लेकिन गैर कानूनी तरीके से नशे के लिए इस्तेमाल होने की स्थिति में यह हेरोइन कही जाती है.
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जुआ
जुए का मतलब हमेशा जीत नहीं, कई बार हार भी है. जुए की लत में कई बार लोग इतना कुछ दांव पर लगा देते हैं कि पीछे लौटना मुश्किल हो जाता है.
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कंप्यूटर
आधुनिक युग में एक और बहुत आम नशा कंप्यूटर है. दिन के कई घंटे ईमेल, फेसबुक और गेम खेलने पर खर्च हो जाते हैं.
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बीमार और हिंसक हो रहे हैं लोग
क्रिस्टल मेथ का सीधे सेवन किया जा सकता है, सिगरेट के साथ या सूंघकर भी लिया जा सकता है. इसके अलावा इसे इंजेक्ट किया जा सकता है. इसे लेने के बाद सेक्स ड्राइव बढ़ जाता है और भूख घटती है, लेकिन जल्द ही इसकी लत लग जाती है.
अली ने डॉयचे वेले को बताया, "शुरुआत में तो मुझे मजा आ रहा था, लेकिन बाद में मैं चिड़चिड़ा और बीमार हो गया. यह मेरी जिंदगी बर्बाद कर रहा था और मेरे परिवार का नाम खराब कर रहा था.”
अली के परिवार को जब इसके बारे में जानकारी मिली तो उसे इस्लामाबाद स्थित पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराया गया. अली कहते हैं, "मैं यहां तीन महीने से ज्यादा समय से हूं. इस लत से छुटकारा पाने और काम के लिए, अब विदेश जाने की योजना बना रहा हूं. हालांकि, मैं अपने उन दोस्तों के लिए चिंतित हूं जो लत से छुटकारा पाने के लिए इलाज नहीं करवा रहे हैं और अब भी इसका इस्तेमाल कर रहे हैं.”
लाहौर की रहने वाली क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट नैला अजीज ने डॉयचे वेले को बताया, "क्रिस्टल मेथ का लगातार इस्तेमाल करने पर, दूसरे नशे की तुलना में इसकी लत ज्यादा बढ़ सकती है. इसका इस्तेमाल खतरनाक है. इस्तेमाल करने वाले हिंसक हो जाते हैं. उन्हें गुस्सा काफी ज्यादा आता है. धीरे-धीरे वे लड़ाकू स्वभाव के हो जाते हैं.”
नैला ड्रग की लत वालों का इलाज करती हैं. वह कहती हैं, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि शिक्षित समाज के बीच इसका इस्तेमाल ज्यादा हो रहा है. साथ काम करने वालों और दोस्तों का दबाव, इसके इस्तेमाल का एक बड़ा कारण है. यह देश के मध्यम और उच्च वर्ग के सदस्यों के लिए बड़ी चिंता का विषय बन गया है.”
आधिकारिक आंकड़ों का हवाला देते हुए नैला कहती हैं कि 2018 में नारकोटिक्स फोर्स ने सबसे ज्यादा क्रिस्टल मेथ शैक्षणिक संस्थानों से जब्त किया था. इस्लामाबाद में रहने वालीं साइकोलॉजिस्ट लुबना साजिद कहती हैं कि मेथ डीलरों का नेटवर्क बहुत तेज और घना है. कुछ डीलर शैक्षणिक संस्थानों में नामांकन कराने वाले ड्रग एडिक्ट से मिलते हैं, ताकि वे दूसरे छात्रों के बीच ड्रग के इस्तेमाल को बढ़ा सकें.
अगर कोई व्यक्ति 100 ग्राम या उससे कम क्रिस्टल मेथ के साथ पकड़ा जाता है, तो उसे सजा के तौर पर दो साल की जेल या भारी जुर्माना हो सकता है. जितना ज्यादा मेथ पकड़ा जाता है उतने ज्यादा समय के लिए जेल की सजा हो सकती है. कराची के एक पुलिस अधिकारी जावेद इकबाल ने डॉयचे वेले को बताया कि काफी कम मात्रा में मेथ के साथ पकड़े जाने पर दी जाने वाली सजा की दर कम है. यह सजा, इलाका और पकड़ने वाले अधिकारी पर निर्भर करता है.
पाकिस्तान में भांग की खेती
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इलाज कराने वालोंसे जुड़े आंकड़ों की कमी
नैला कहती हैं कि क्रिस्टल मेथ का इस्तेमाल करने वालों की संख्या का पूरी तरह अनुमान लगाना मुश्किल है. उन्हें डर है कि यह संख्या जल्दी से बढ़ रही है, लेकिन नशे की लत को छिपाने की वजह से सटीक संख्या का पता लगाना मुश्किल है.
फैसलाबाद में नशा मुक्ति केंद्र चलाने वाले मलिक नजीर कहते हैं कि ड्रग का इस्तेमाल करने वालों का आंकड़ा कम है क्योंकि माता-पिता और परिवार के सदस्यों को लगता है कि यह जानकारी सार्वजनिक करने पर समाज में उनकी बदनामी होगी. नजीर का मानना है कि मेथ का इस्तेमाल करने वालों की संख्या दसियों हजारों में हो सकती है.
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महिलाएं भी कर रही हैं मेथ का इस्तेमाल
आंकड़े बताते हैं कि पुरुष ही नहीं, बल्कि महिलाएं भी मेथ का इस्तेमाल करती हैं. हालांकि, पाकिस्तान में रूढ़िवादी क्षेत्रों में महिलाओं के लिए नशे से छुटकारा पाने का इलाज कराना काफी मुश्किल है.
खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में पुनर्वास केंद्र चलाने वाले साजिद उल्लाह खान ने डॉयचे वेले को बताया कि हर दिन उनके पास ऐसे माता-पिता के फोन आते हैं जो पूछते हैं कि क्या उनके पुनर्वास केंद्र में नशे की शिकार महिलाओं का इलाज होता है. खान कहते हैं कि वे महिलाओं के इलाज के लिए इस्लामाबाद जाने की सलाह देते हैं क्योंकि खैबर पख्तूनख्वा रूढ़िवादी इलाका है.
इस इलाके में नशे की शिकार महिलाओं का इलाज करना मुश्किल काम है. जिस तरह से पाकिस्तान के युवा नशे का शिकार हो रहे हैं और परिवार के सदस्य उसे छिपा रहे हैं, यह पाकिस्तान के समाज के लिए खतरे की घंटी है.
भांग के 10 फायदे
भांग, चरस या गांजे की लत शरीर को नुकसान पहुंचाती है. लेकिन इसकी सही डोज कई बीमारियों से बचा सकती है. इसकी पुष्टि विज्ञान भी कर चुका है. एक नजर इसके फायदों पर.
तस्वीर: Novartis Vaccine
चक्कर से बचाव
2013 में वर्जीनिया की कॉमनवेल्थ यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने यह साबित किया कि गांजे में मिलने वाले तत्व एपिलेप्सी अटैक को टाल सकते हैं. यह शोध साइंस पत्रिका में भी छपा. रिपोर्ट के मुताबिक कैनाबिनॉएड्स कंपाउंड इंसान को शांति का अहसास देने वाले मस्तिष्क के हिस्से की कोशिकाओं को जोड़ते हैं.
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ग्लूकोमा में राहत
अमेरिका के नेशनल आई इंस्टीट्यूट के मुताबिक भांग ग्लूकोमा के लक्षण खत्म करती है. इस बीमारी में आंख का तारा बड़ा हो जाता है और दृष्टि से जुड़ी तंत्रिकाओं को दबाने लगता है. इससे नजर की समस्या आती है. गांजा ऑप्टिक नर्व से दबाव हटाता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Leukert
अल्जाइमर के खिलाफ
अल्जाइमर से जुड़ी पत्रिका में छपे शोध के मुताबिक भांग के पौधे में मिलने वाले टेट्राहाइड्रोकैनाबिनॉल की छोटी खुराक एमिलॉयड के विकास को धीमा करती है. एमिलॉयड मस्तिष्क की कोशिकाओं को मारता है और अल्जाइमर के लिए जिम्मेदार होता है. रिसर्च के दौरान भांग का तेल इस्तेमाल किया गया.
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कैंसर पर असर
2015 में आखिरकार अमेरिकी सरकार ने माना कि भांग कैंसर से लड़ने में सक्षम है. अमेरिका की सरकारी वेबसाइट cancer.org के मुताबिक कैनाबिनॉएड्स तत्व कैंसर कोशिकाओं को मारने में सक्षम हैं. यह ट्यूमर के विकास के लिए जरूरी रक्त कोशिकाओं को रोक देते हैं. कैनाबिनॉएड्स से कोलन कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर और लिवर कैंसर का सफल इलाज होता है.
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कीमोथैरेपी में कारगर
कई शोधों में यह साफ हो चुका है कि भांग के सही इस्तेमाल से कीमथोरैपी के साइड इफेक्ट्स जैसे, नाक बहना, उल्टी और भूख न लगना दूर होते हैं. अमेरिका में दवाओं को मंजूरी देने वाली एजेंसी एफडीए ने कई साल पहले ही कीमोथैरेपी ले रहे कैंसर के मरीजों को कैनाबिनॉएड्स वाली दवाएं देने की मंजूरी दे दी है.
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प्रतिरोधी तंत्र की बीमारियों से राहत
कभी कभार हमारा प्रतिरोधी तंत्र रोगों से लड़ते हुए स्वस्थ कोशिकाओं को भी मारने लगता है. इससे अंगों में इंफेक्शन फैल जाता है. इसे ऑटोएम्यून बीमारी कहते हैं. 2014 में साउथ कैरोलाइना यूनिवर्सिटी ने यह साबित किया कि भांग में मिलने वाला टीएचसी, संक्रमण फैलाने के लिए जिम्मेदार मॉलिक्यूल का डीएनए बदल देता है. तब से ऑटोएम्यून के मरीजों को भांग की खुराक दी जाती है.
तस्वीर: bzga
दिमाग की रक्षा
नॉटिंघम यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने साबित किया है कि भांग स्ट्रोक की स्थिति में मस्तिष्क को नुकसान से बचाती है. भांग स्ट्रोक के असर को दिमाग के कुछ ही हिस्सों में सीमित कर देती है.
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एमएस से बचाव
मल्टीपल स्क्लेरोसिस भी प्रतिरोधी तंत्र की गड़बड़ी से होने वाली बीमारी है. फिलहाल यह असाध्य है. इसके मरीजों में नसों को सुरक्षा देने वाली फैटी लेयर क्षतिग्रस्त हो जाती है. धीरे धीरे नसें कड़ी होने लगती हैं और बेतहाशा दर्द होने लगता है. कनाडा की मेडिकल एसोसिएशन के मुताबिक भांग एमएस के रोगियों को गश खाने से बचा सकती है.
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दर्द निवारक
शुगर से पीड़ित ज्यादातर लोगों के हाथ या पैरों की तंत्रिकाएं नुकसान झेलती हैं. इससे बदन के कुछ हिस्से में जलन का अनुभव होता है. कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी की रिसर्च में पता चला कि इससे नर्व डैमेज होने से उठने वाले दर्द में भांग आराम देती है. हालांकि अमेरिका के एफडीए ने शुगर के रोगियों को अभी तक भांग थेरेपी की इजाजत नहीं दी है.
हैपेटाइटिस सी के साइड इफेक्ट से आराम
थकान, नाक बहना, मांसपेशियों में दर्द, भूख न लगना और अवसाद, ये हैपेटाइटिस सी के इलाज में सामने आने वाले साइड इफेक्ट हैं. यूरोपियन जरनल ऑफ गैस्ट्रोलॉजी एंड हेपाटोलॉजी के मुताबिक भांग की मदद से 86 फीसदी मरीज हैपेटाइटिस सी का इलाज पूरा करवा सके. माना गया कि भांग ने साइड इफेक्ट्स को कम किया.