इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री को अयोग्य करार दिया. कोर्ट ने ख्वाजा आसिफ को चुनाव संहिता का उल्लंघन करने का दोषी करार दिया.
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पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के कद्दावर नेता ख्वाजा आसिफ को इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने गुरुवार को यह झटका दिया. अदालत ने कहा कि आसिफ ने संयुक्त अरब अमीरात के कई वर्क परमिटों की जानकारी न देकर चुनाव संहिता का उल्लंघन किया है. कोर्ट ने कहा, "हम एलान करते हैं कि प्रतिवादी 2013 का आम चुनाव लड़ने के योग्य नहीं था."
फैसले के साथ ही विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ की संसद सदस्यता रद्द हो गई है. रक्षा मंत्रालय के बाद विदेश मंत्रालय संभालने वाले आसिफ को पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का करीबी और पाकिस्तानी सेना का मुखर आलोचक माना जाता है. आसिफ देश की राजनीति में सेना के दखल की कई बार आलोचना कर चुके हैं.
पाकिस्तान में यह दूसरा मामला है जब कोर्ट ने बेहद हाई प्रोफाइल नेता को अयोग्य करार दिया है. इससे पहले जुलाई 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने भ्रष्टाचार के चलते तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को अयोग्य करार दिया था.
नवाज शरीफ और उनके समर्थक अदालत के इन फैसलों को सेना की साजिश बता रहे हैं. ख्वाजा आसिफ पर आए फैसले के बाद टीवी पर अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए नवाज शरीफ ने कहा, "देश के इतिहास में किसी भी प्रधानमंत्री ने आज तक अपना एक कार्यकाल पूरा नहीं किया है, हमें यह जरूर पता करना चाहिए कि ऐसा क्यों है."
पाकिस्तान में प्रधानमंत्री 5 साल नहीं रहते
70 साल में पाकिस्तान ने बहुत वक्त फौजी हुकूमत में बिताया है, वहां जम्हूरियत भी रही है लेकिन विडंबना है कि कोई भी प्रधानमंत्री 5 साल का अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है. कुछ चर्चित प्रधानमंत्रियों को देखिये...
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/K.M. Chaudary
लियाकत अली (अगस्त 1947- सितंबर 1951)
भारत से विभाजन के बाद मुस्लिम लीग के लियाकत अली को गवर्नर जनरल ने पाकिस्तान का पहला प्रधानमंत्री नियुक्त किया था. 1951 में उनकी हत्या कर दी गई.
तस्वीर: OFF/AFP/Getty Images
अयूब खान (अक्टूबर 1958- अक्टूबर 1958)
पाकिस्तान में सैन्य तख्तापलट के बाद कुछ दिनों के लिए अयूब खान ने अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में कुर्सी संभाली. उसके बाद उन्होंने इसकंदर मिर्जा को राष्ट्रपति पद से हटाया और खुद इस कुर्सी पर काबिज हो गये. 1958 से 1971 तक देश में कोई प्रधानमंत्री नहीं था. 1960 की इस तस्वीर में भारत के प्रधानमंत्री और ब्रिटेन की महारानी के साथ.
तस्वीर: public domain
जुल्फिकार अली भुट्टो
(अगस्त 1953-जुलाई 1977)
1973 में नया संविधान लागू होने के बाद राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे कर जुल्फिकार अली भुट्टो प्रधानमंत्री बन गये. देश में संसदीय लोकतंत्र आया लेकिन 1977 में जिया उल हक ने सैन्य तख्तापलट कर सत्ता की चाबी अपने हाथ में ले ली.
बेनजीर भुट्टो देश की पहली महिला थीं, जिन्होंने 1982 में पाकिस्तान के किसी राजनीतिक दल का नेतृत्व संभाला. छह साल बाद वह किसी मुस्लिम देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं. पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की बेनजीर भुट्टो ने 1993 से 1996 के बीच भी ये पद संभाला.
तस्वीर: AP
नवाज शरीफ
(नवंबर 1990- जुलाई 1993, फरवरी 1997- अक्टूबर 1999, जून 2013- जुलाई 2017)
नवाज शरीफ पहली बार 1990 में प्रधानमंत्री बने. 1993 में राष्ट्रपति ने उन्हें बर्खास्त कर दिया लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उसी साल उनकी वापसी हुई हालांकि बाद में उन्होंने इस्तीफा दे दिया. 1997 में फिर नवाज शरीफ देश के प्रधानमंत्री बने लेकिन 1999 में जनरल परवेज मुशर्रफ ने सैन्य तख्तापलट कर उन्हें हटा दिया. 2013 में वह फिर सत्ता में आये और अब भ्रष्टाचार के आरोपो में घिर कर उन्हें जाना पड़ा है.
तस्वीर: Getty Images/S. Gallup
जफरुल्लाह खान जमाली
(नवंबर 2002- जून 2004)
जफरुल्लाह खान जमाली को 2002 में प्रधानमंत्री चुना गया. वह भी लगभग दो साल पद पर रहे और 2004 में उन्होंने इस्तीफा दे दिया. तस्वीर में तत्कालीन अमेरिकी उप विदेश मंत्री रिचर्ड आर्मिटेज के साथ.
तस्वीर: AP
शौकत अजीज
(अगस्त 2004- नवंबर 2007)
शौकत अजीज ने 2004 में प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली और मौजूदा संसद का कार्यकाल पूरा होने पर 2007 में कुर्सी से हट गये. एक तरह से वह पाकिस्तान के इकलौते प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने संसदीय प्रक्रिया के तहत पद छोड़ा.
तस्वीर: AP
युसूफ रजा गिलानी
(मार्च 2008- जून 2012)
गिलानी 2008 में चुनाव जीत कर देश के प्रधानमंत्री बने लेकिन सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का दोषी करार दिये जाने के बाद 2012 में उन्हें भी कुर्सी छोड़नी पड़ी.
तस्वीर: Abdul Sabooh
राजा परवेज अशरफ (जून 2012-मार्च 2013)
युसूफ राजा गिलानी के पद से हटने के बाद राजा परवेज अशरफ प्रधानमंत्री बने हालांकि मार्च 2013 के आम चुनाव में उनकी पार्टी हार गयी और उन्हें पद छोड़ना पड़ा.
तस्वीर: Abdul Sabooh
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14 अगस्त 1947 को ब्रिटिश इंडिया से आजाद होकर नए देश के रूप में सामने आए पाकिस्तान में कुल मिलाकर करीब 35 साल तक सेना ने शासन किया है.
इस्लामाबाद हाई कोर्ट का फैसला 2018 में होने वाले आम चुनावों से पहले आया है. इस साल के अंत में होने वाले चुनावों में पीएमएल-एन का मुख्य मुकाबला पूर्व क्रिकेट कप्तान इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ (पीटीआई) से होने के आसार हैं. पीटीआई ने ख्वाजा आसिफ पर आए फैसले का स्वागत किया है. पार्टी के प्रवक्ता फवाद चौधरी ने कहा, "यह फैसला पीटीआई के लिए एक बड़ी जीत है."
हालांकि पाकिस्तान में हाल में हुए उपचुनावों में नवाज शरीफ की पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन किया. अदालत के फैसले को मैच फिक्सिंग करार देते हुए नवाज शरीफ की बेटी मरियम नवाज शरीफ ने कहा, "याद रखें: अब लोग ख्वाजा आसिफ के लिए भी वोट देंगे."