पाकिस्तान के साथ रूस की दोस्ती से बढ़ेंगी दिक्कतें: भारत
१२ अक्टूबर २०१६
भारत ने पाकिस्तान के साथ रूस के बढ़ते सैन्य सहयोग पर नाराजगी जताई है. मॉस्को में भारतीय राजदूत ने रूस से कहा है कि इससे मुश्किलें ही बढ़ेंगी.
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भारतीय राजदूत पंकज सरन ने रूस की समाचार एजेंसी रियो नोवोस्ती के साथ एक इंटरव्यू में कहा, "हमने रूसी पक्ष को अपनी राय बता दी है कि पाकिस्तान के साथ सैन्य सहयोग ठीक नहीं है और इससे समस्याएं ही बढ़ेंगी. पाकिस्तान जो कि आंतकवाद का प्रायोजक है और उसे एक नीति के तौर पर इस्तेमाल करता है."
सरन का ये बयान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे से ठीक पहले आया है. पुतिन गोवा में होने वाले ब्रिक्स देशों से सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए शनिवार को भारत जा रहे हैं जहां वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिलेंगे.
रूस के इन हथियारों से सहम जाती है दुनिया
शीत युद्ध के बाद से रूस को सैन्य रूप से कमजोर माना जाने लगा. लेकिन सीरिया के संघर्ष ने साफ कर दिया है कि रूस सैन्य रूप से बहुत ताकतवर है. रूस के पास ऐसे कई हथियार हैं जो मॉस्को को फिर से सुपरपावर बना सकते हैं.
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टी-14 टैंक
यह पांचवीं पीढ़ी का टैंक है. रूस ने इसे 2015 में लॉन्च किया. इस टैंक को रोबोटिक कॉम्बैट व्हीकल में भी बदला जा सकता है. हाल ही में रूस ने इस पर 152 एमएम की तोप लगाने का एलान किया है. रूसी उपप्रधानमंत्री दिमित्रि रोगोजिन के मुताबिक, यह तोप "एक मीटर मोटी स्टील की चादर को भेद सकती है."
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युद्धपोत प्योत्र वेलिकी
अटलांटिक महासागर में रूस के उत्तरी बेड़े का यह सबसे घातक युद्धपोत है. परमाणु ऊर्जा से चलने वाला यह युद्धपोत किरोव क्लास युद्धपोतों का हिस्सा है. नाटो इसे "विमानवाही पोतों का हत्यारा" कहता है. यह बैलेस्टिक मिसाइल को भी नष्ट कर सकता है.
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सुखोई टी-50
रूस का यह लड़ाकू विमान अमेरिका के हर तरह के लड़ाकू विमानों पर भारी पड़ता है. 2010 में पहली उड़ान के बाद रूस और भारत ने इसे साथ बनाने का फैसला किया. रणनीतिक साझीदारी के तौर पर रूस और भारत 2017 से इसे बड़े पैमाने पर बनाएंगे. लेकिन इस योजना पर वित्तीय मतभेद भारी पड़ रहे हैं.
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एस-400 मिसाइल
रफ्तार 17,000 किलोमीटर प्रति घंटा और 400 मीटर के दायरे में किसी भी लक्ष्य को भेदने की क्षमता के चलते पायलट इससे घबराते हैं. सीरिया के उडारान खामेमिम बेस में जब रूस ने इन मिसाइलों को तैनात किया तो अमेरिका को अपने लड़ाकू विमान वहां से हटाने पर मजबूर होना पड़ा. अब रूस एस-400 को और बेहतर कर रहा है.
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सुखोई एसयू-35
रूस का यह लड़ाकू विमान अमेरिका के एफ-16 पर भारी पड़ता है. इसका मुकाबला करने के लिए अमेरिका ने एफ-35 बनाया. लेकिन हाल ही में अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन के मुताबिक एफ-35 भी सुखोई से कमतर है. सुखोई एसयू-35 की तेज रफ्तार और जबरदस्त चपलता को टक्कर देना बहुत मुश्किल है.
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हाइपरसोनिक रॉकेट वाईयू-71
रूस काफी समय से परमाणु हथियारों के लिए हाइपरसोनिक मिसाइल बनाना चाहता था. "प्रोजेक्ट 4204" नाम के सीक्रेट कोड के साथ रूस ने वाईयू-71 बनाया. इसकी रफ्तार 12,000 किलोमीटर प्रतिघंटा है. जैन्स इंटेलिजेंस रिव्यू के मुताबिक यह मिसाइल आराम से नाटो के डिफेंस सिस्टम को भेद सकती है.
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लड़ाकू हेलीकॉप्टर एमआई-28एन
अमेरिकी कंपनी बोइंग के अपाचे लॉन्गबो लड़ाकू हेलीकॉप्टर रफ्तार और हथियारों की क्षमता के मामले में इससे पीछे हैं. रूस का यह हेलीकॉप्टर टैंक, बख्तरबंद गाड़ियों पर हमला कर सकता है. यह रात में भी उड़ता है.
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विमानवाही एडमिरल कुजनेत्सोव
एडमिरल कुजनेत्सोव दुनिया का अकेला विमानवाही पोत है जो कई तरह की एंटी बैलेस्टिक हथियारों और पनडुब्बी से लैस है. 1990 में पेश किया गया यह पोत अमेरिकी विमानवाही पोतों से उलट अकेला समंदर का सफर कर सकता है. वैसे 1991 में सोवियत संघ के विघटन के वक्त यह पोत यूक्रेन के हाथ लगने वाला था.
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Tupolev Tu-160M
टीयू-160एम इस वक्त दुनिया का सबसे बड़ा और भारी बमवर्षक है. रूसी पायलट इसे "सफेद हंस" कहते हैं. 2014 में आधुनिकीकरण के बाद टीयू-160एम की युद्ध क्षमता दोगुनी कर दी गई.
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परमाणु पनडुब्बी यूरी डोग्लोरुकी
बीते दशक में रूस ने बड़ी पनडुब्बियों के बजाए छोटी पनडुब्बियां बनानी शुरू कीं लेकिन यह जानलेवा साबित हुआ. यूरी डोग्लोरुकी के साथ रूस ने इस तकनीकी बाधा को दूर किया. साउंडप्रूफ होने की वजह से समंदर में इसका पता लगाना बहुत ही मुश्किल है. इसमें परमाणु हथियार लगाए जा सकते हैं.
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पिछले महीने रूस ने पहली बार पाकिस्तान के साथ सैन्य अभ्यास किया जिस पर भारत ने अपनी नाखुशी जाहिर की थी. हालांकि रूस ने इस बात को ज्यादा तवज्जो नहीं दी और कहा कि उसने भारत समेत क्षेत्र के अन्य देशों के साथ भी ऐसे ही सैन्य अभ्यास किए हैं.
सरन ने कहा, "आज दुनिया के सामने कई ज्वलंत मुद्दे हैं जिन पर निश्चित रूप से ब्रिक्स सम्मेलन में चर्चा होगी. इनमें आतंकवाद का सवाल और इससे ब्रिक्स समूह के देशों को होने वाले खतरा भी शामिल है."
राजदूत ने कहा कि रूस के साथ भारत के रिश्ते बेहद खास हैं और उनके बीच विशेष रणनीतिक साझेदारी है. उन्होंने कहा, "हम इसमें किसी तरह का बदलाव नहीं देखते हैं. बल्कि ये सभी क्षेत्रों में मजबूत हो रहा है जिसमें सैन्य-तकनीकी सहयोग भी शामिल है." उन्होंने भारत और रूस की साझेदारी को क्षेत्र और पूरी दुनिया में शांति और स्थिरता के लिए अहम बताया.
हथियारों का सबसे बड़ा निर्यातक कौन
स्टॉकहोम इंटरनेशल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) ने अपनी 2016 रिपोर्ट में बताया है कि साल 2011-15 के बीच वैश्विक हथियार व्यापार में 2006-10 के मुकाबले 14 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई. देखिए सबसे बड़े निर्यातक देश कौन हैं.
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1. अमेरिका
दुनिया के 58 देश हथियारों का निर्यात करते हैं जिनमें सबसे आगे है अमेरिका. यूएसए 96 देशों को हथियार भेजता है, जिनमें सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात उसके सबसे बड़े खरीदार हैं. 2015 के अंत में ही अमेरिका ने एफ-35 विमानों की बिक्री के एक बड़े ठेके पर हस्ताक्षर किए.
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2. रूस
दुनिया भर के हथियारों के कुल व्यापार में एक चौथाई हिस्सेदारी रूस की है. भारत, चीन और वियतनाम इसके सबसे बड़े खरीदार हैं. भारत के तो 70 फीसदी हथियार रूस से ही आते हैं. इसके अलावा अपने लड़ाकू विमानों, टैंकों, परमाणु पनडुब्बियों और राइफलों को रूस ने यूक्रेन समेत दुनिया के 50 देशों में भेजा.
पिछले सालों में चीन हथियारों के मामले में ज्यादा आत्मनिर्भर हुआ है और आयात कम कर निर्यात को बढ़ाया है. चीन ने पिछले साल 37 देशों को हथियारों की आपूर्ति की, जिनमें पाकिस्तान (35%), बांग्लादेश (20%) और म्यांमार (16%) इसके सबसे बड़े ग्राहक रहे. 2006-10 और 2011-15 के बीच चीनी हथियारों के निर्यात में 88 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई.
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4. फ्रांस
हालांकि फ्रेंच हथियारों के निर्यात में 2010 के बाद से 9.8% की कमी आई है, फिर भी वह दुनिया में चौथे नंबर का आर्म्स एक्सपोर्टर बना हुआ है. यूरोप में उससे बाद आने वाले जर्मनी से निर्यात कम हुआ है. हाल ही मिले कुछ बड़े ठेकों के कारण फ्रांस के अगले साल भी निर्यातकों के टॉप 5 में शामिल रहने का अनुमान है.
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5. जर्मनी
प्रमुख जर्मन हथियारों के निर्यात में वर्ष 2011-15 के बीच 51 फीसदी की कमी आई. इन सालों में जर्मनी ने अपने खास हथियार 57 देशों को भेजे. इन्हें आयात करने वालों में 29 प्रतिशत तो अन्य यूरोपीय देश ही थे. इसके बाद एशिया, अमेरिका, ओशिनिया को 23 प्रतिशत जबकि इतना ही मध्य पूर्व को बेचा गया. अमेरिका, इजरायल और ग्रीस जर्मन हथियारों के सबसे बड़े उपभोक्ता हैं.
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6. ब्रिटेन
अगर सऊदी अरब (46%), भारत (11%) और इंडोनेशिया (8.7%) जैसे बाजार ना हों तो ब्रिटिश हथियार उद्योग दिवालिया हो जाएगा. साल 2006–10 और 2011–15 के बीच ब्रिटेन से हथियारों का निर्यात करीब 26 प्रतिशत बढ़ा. यूरोप में इसके बाद स्पेन और इटली का स्थान आता है.
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उन्होंने कहा, "रूस के साथ हम नियमित रूप से सैन्य अभ्यास करते रहे हैं. कई सालों से ऐसा हो रहा है और आगे भी होता रहेगा." सरन ने इस इंटरव्यू में असैन्य परमाणु क्षेत्र, व्यापार और निवेश के क्षेत्र में दोनों देशों के सहयोग का भी जिक्र किया.