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पाकिस्तान को भारत का दोस्ती भरा हाथ

१७ जून २००९

कुछ कड़े शब्दों के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ एक बार फिर शांति और दोस्ती का हाथ बढ़ाया है. लेकिन यह भी साफ कर दिया है कि उसे भारत के ख़िलाफ़ आतंकवाद ख़त्म करने के लिए 'कड़े और उपयोगी कदम' उठाने होंगे.

एक बार फिर बढ़ाया दोस्ती का हाथतस्वीर: AP

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रूस की यात्रा से लौटते हुए विशेष विमान पर मीडिया से कहा कि पाकिस्तान को आतंकवाद के ख़िलाफ़ वैसे ही कदम उठाने होंगे जैसे उसने तालिबान से निपटने के लिए उठाए. ब्रिक देशों के सम्मेलन के बाद भारत लौटते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि अगर पाकिस्तान, 'साहस, प्रतिबद्धता और शांति के लिए राजनीतिक कुशलता' दिखता है तो भारत आधी से ज़्यादा दूरी तय करने को तैयार है.

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंगलवार को पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली ज़रदारी से रूस के येकातेरिबर्ग शहर में मुलाकात के दौरान कड़े लफ्ज़ों में कहा था कि पाकिस्तान की धरती से आतंकवाद ख़त्म किया जाना ज़रूरी है.

प्रधानमंत्री सिंह ने बताया कि राष्ट्रपति ज़रदारी ने उनसे कहा है कि पाकिस्तान आतंकवाद से लड़ने के प्रति संजीदा है लेकिन उसकी सरकार को इस राह में कड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है और इसलिए उन्हें 'थोड़ा वक्त' चाहिए.

मनमोहन सिंह ने कहा, ''मैं उपमहाद्वीप में सहयोग और यहां के लोगों के शांतिपूर्ण हितों के बारे में पहले भी अपना नज़रिया रख चुका हूं. इसके लिए हमें पाकिस्तान के साथ फिर से शांति बनानी होगी लेकिन यह भी ज़रूरी है कि पाकिस्तान शांति के दुश्मनों के ख़िलाफ़ कड़े और प्रभावी कदम उठाए.''

दो दिनों की यात्रा के बाद भारत लौट रहे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि राष्ट्रपति ज़रदारी के साथ उन्होंने भारत पाकिस्तान रिश्ते पर बातचीत की, जो फिलहाल 'तनाव में हैं और इसकी प्रमुख वजह भारत के ख़िलाफ़ पाकिस्तान की ज़मीन से आतंकवादी हमले हैं.'

प्रधानमंत्री सिंह ने बताया कि पाकिस्तान को यह संदेश दे दिया है कि भारत सरकार यह अपेक्षा रखती है कि पाकिस्तान अपनी ज़मीन से भारत के ख़िलाफ़ आतंकवादी हमले रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाएगा और मुंबई के आतंकवादी हमलों सहित पहले के हमलों के दोषियों को सज़ा देगा.

रिपोर्टः पीटीआई/ओ सिंह

संपादनः ए जमाल

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