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पाकिस्तान को ले डूबा बिन लादेन

३० अप्रैल २०१२

दुनिया में सभी धर्मों में मौत को मुक्ति बताया गया है लेकिन ओसामा बिन लादेन की मौत पाकिस्तान के लिए जंजाल साबित हुई. जिस शख्स ने जीते जी दुनिया की नींद उड़ाई उसकी मौत ने पाकिस्तान पर किए गए भरोसे का श्राद्ध कर दिया.

तस्वीर: dapd

ओसामा बिन लादेन का नाम याद करने पर अब वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के भरभराते टावर याद नहीं आते. अब पाकिस्तान के एबटाबाद शहर का तीनमंजिला मकान याद आता है. दो मई 2011 को जब अमेरिकी नौसेना के विशेष दस्ते ने मकान में घुसकर अल कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन के मार गिराया, तो दुनिया हैरान रह गई. सबकी हैरानी लंबी थकान के बाद अचानक मिली बड़ी राहत जैसी थी लेकिन पाकिस्तान के अचंभे में घोर विपत्ति की आशंका थी.

विश्वासघात का आरोप

बिन लादेन की मौत के साथ ही सवाल उठा कि आखिर अल कायदा सरगना पाकिस्तान में क्या कर रहा था. कई महीनों तक चली जांच में पता चला कि बिन लादेन अपने बड़े परिवार के साथ 2005 से ही पाकिस्तान में रह रहा था. इस दौरान वह चार बच्चों का बाप भी बना. दो बच्चे तो अस्पताल में पैदा हुए. एक ऐसे शहर में जहां पाकिस्तानी सेना के पूर्व अधिकारी रहते हैं. खुफिया गतिविधियां हर वक्त हमसाये की तरह चलती हैं, वहां बिन लादेन के छिपे होने का पाकिस्तान को पता ही नहीं था. यह यकीन करने लायक बात नहीं.

पाकिस्तान को लेकर पश्चिमी देश पहले ही आशंकित होने लगे थे. दो साल पहले ही अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने पाकिस्तान जाकर कहा, "मुझे यह भरोसा करने में कठिनाई होती है कि आपकी सरकार को नहीं पता कि अल कायदा के शीर्ष आतंकवादी कहां छुपे हैं."

तस्वीर: picture-alliance/dpa

बिन लादेन की मौत ने इन्हीं शंकाओं को प्रमाण में बदल दिया. एक झटके में पता चल गया कि बिन लादेन पाकिस्तानी सेना और आईएसआई के कुछ अधिकारियों की शह पर एबटाबाद में छिपा था. तब से पाकिस्तान और अमेरिका के संबंध बिगड़े हुए हैं. अमेरिकी नेता समय समय पर पाकिस्तान पर ताने कस रहे हैं. वॉशिंगटन की कूटनीति नई करवट ले रही है.

बिन लादेन का पता बताने में पाकिस्तानी डॉक्टर शकील अफरीदी पाकिस्तान में जेल की सजा भुगत रहे हैं. डॉक्टर अफरीदी पर देशद्रोह का आरोप है. अमेरिकी रक्षा मंत्री लियोन पैनेटा कहते हैं, "वह किसी भी तरह पाकिस्तान के साथ देशद्रोह में नहीं थे. आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान और अमेरिका एक ही मैदान में हैं. आतंकवाद के खिलाफ मदद करने वाले किसी व्यक्ति के खिलाफ इस तरह के कदम उठाना, मुझे लगता है कि यह उनकी बड़ी गलती है."

आईएसआई पर आरोप

बिन लादेन की मौत के बाद पाकिस्तान के एक पत्रकार सलीम शहजाद की हत्या हो गई. शहजाद ने कई आतंकवादियों का इंटरव्यू किया. अपनी किताब में उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी में तालिबान की घुसपैठ हो चुकी है. बिन लादेन की मौत के ठीक 28 दिन बाद 30 मई 2011 को शहजाद का शव झेलम नदी की एक नहर में मिला.

मानवाधिकार संगठनों का आरोप है कि हत्या पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने कराई. अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन भी पाकिस्तान सरकार से शहजाद की हत्या की निष्पक्ष जांच कराने को कह चुकी हैं. लेकिन हत्याकांड में अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है. मानवाधिकार संगठन कहते हैं कि पाकिस्तान में आईएसआई इतनी ताकतवर है कि लोकतांत्रिक सरकार डर के मारे उसके खिलाफ कुछ नहीं कर पा रही है.

तस्वीर: AP

अलग थलग पाकिस्तान

26 नवंबर 2011 को पाकिस्तान और अमेरिका के संबंधों में अभूतपूर्व कड़वाहट आई. नाटो के हवाई हमले में पाकिस्तान के 24 जवानों की मौत हुई. पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने हमले की तीखी निंदा की. बिन लादेन की मौत के वक्त संप्रभुता की बात वापस लेने वाले नेताओं ने इस बार ऊंची आवाज में अखंडता और संप्रभुता की बात छेड़ी. जर्मनी में अफगानिस्तान पर हो रही बॉन कांफ्रेंस का बहिष्कार कर दिया. पाकिस्तान ने अमेरिका से माफी मांगने को कहा. पांच महीने बीत चुके हैं, वॉशिंगटन को हमले का अफसोस जरूर है लेकिन माफी की बात ठहाके के अंदाज में टाल दी जाती है. अमेरिका में इस साल राष्ट्रपति चुनाव होने हैं. राष्ट्रपति बराक ओबामा बिन लादेन को मार गिराने को अपनी बडी़ उपलब्धि बताते हैं, "हमने उसे दबोच ही लिया."

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा उल्टा यह कह चुके हैं कि शक होने पर अमेरिका एबटाबाद जैसी कार्रवाई फिर करेगा. बीते एक साल में पाकिस्तान आतंकवाद की वजह से इतना अलग थलग पड़ चुका है कि अब मित्र देशों को भी उसके प्रति सहानुभूति व्यक्त करने पर घबराहट हो रही है.

ऐसा नहीं है कि पाकिस्तान पूरी तरह चरमपंथ के आगे बेबस हो चुका हो. पाकिस्तान चाहता तो बिन लादेन की मौत के बाद आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करता. इससे साल भर के भीतर दुनिया भर में यह संदेश जाता कि इस्लामाबाद ठोकर खाकर संभल चुका है. लेकिन इसके उलट बिन लादेन की मौत के बाद भी आईएसआई पर लगातार अफगानिस्तान में अस्थिरता फैलाने के आरोप लगे. अफगानिस्तान में आए दिन पाकिस्तान से चल रहा हक्कानी गुट हमले करा रहा है. अविश्वास का आलम यह है कि भारत और अफगानिस्तान जैसे पड़ोसी पाकिस्तान को दोस्त की तरह देख नहीं पाते.

अमेरिकी स्पेशल ऑपरेशन फोर्स के विश्लेषक और सलाहकार सेथ जोंस कहते हैं, "अल कायदा की दुनिया भर में उपस्थिति बढ़ी है. चरमपंथियों के हमलों में बढ़त हुई है. यमन जैसे कुछ इलाकों में उन्होंने अपनी सीमा का विस्तार किया है." मुंबई हमलों के आरोपी हाफिज सईद पर पांच करोड़ रुपये के अमेरिकी इनाम से भी इस बात की पुष्टि हो रही है कि खुद चरमपंथ से जूझता पाकिस्तान अब सबका भरोसा खो चुका है. बिन लादेन एक दिन चंद घंटों की कार्रवाई में मारा गया, लेकिन पाकिस्तान आए दिन मर रहा है. एक ऐसी मौत जिसका अर्थ मुक्ति कतई नहीं है.

रिपोर्ट: ओ सिंह (एपी, डीपीए, एएफपी)

संपादन: ए जमाल

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