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पाकिस्तान का भारत से आयात शुरू करने पर यू-टर्न

२ अप्रैल २०२१

भारत से चीनी और कपास का आयात शुरू करने की घोषणा के एक ही दिन बाद पाकिस्तान ने इस फैसले को टाल दिया है. पाकिस्तान में विपक्षी पार्टियां फैसले का विरोध कर रही थीं.

Screenshot Exklusivinterview mit Imran Khan

पाकिस्तान के केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत से आयात शुरू करने के फैसले को गुरुवार को रद्द कर दिया. बुधवार को ही इस फैसले के ऐलान के बाद देश की आर्थिक मामलों के फैसले लेने की उच्च संस्था इकनॉमिक कोऑर्डिनेशन कमिटी (ईसीसी) ने की थी, लेकिन घोषणा के बाद विपक्षी दलों ने फैसले की आलोचना की थी.

विपक्ष का कहना था कि सरकार ने फैसला बिना संसद की अनुमति के लिया था और कश्मीर मुद्दे को सुलझाए बिना भारत के साथ रिश्ते सामान्य करने की कोशिश की थी. विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने बताया कि प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व में हुई मंत्रिमंडल की एक बैठक में फैसला लिया गया कि भारत के साथ व्यापार तब तक निलंबित रहेगा जब तक भारत सरकार कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे को खत्म कर देने के फैसले को उलट नहीं देती.

बुधवार के फैसले को रद्द करना यह दिखाता है कि खान की सरकार एक नाजुक स्थिति में है और भारत और कश्मीर जैसे बड़े मुद्दों पर पीछे हटने के आरोपों का जोखिम नहीं उठा सकती है. यह बात कुरैशी के बयान में साफ़ दिखाई देती है. उन्होंने कहा कि आयात पर लगाए गए प्रतिबंधों को हटाने की घोषणा से एक गलत संदेश चला गया था कि भारत के साथ रिश्ते सामान्य हो रहे हैं.

2019 में कश्मीर पर भारत के कदमों के विरोध में पाकिस्तान ने भारत से व्यापार पर रोक लगा दी थी.तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Dar Yasin

उन्होंने कहा, "इस विचार पर सर्वसम्मति थी कि जब तक भारत पांच अगस्त, 2019 को लिए गए अपने एकतरफा कदमों पर पुनर्विचार नहीं करता तब तक भारत के साथ रिश्तों को सामान्य करना मुमकिन नहीं होगा. प्रधानमंत्री भी इस सर्वसम्मति का हिस्सा थे."

पाकिस्तान ने दो साल पहले इन्हीं कदमों के विरोध में भारत से व्यापार बंद कर दिया था. दोनों देशों में विवाद इतना बढ़ गया था कि उच्चायुक्तों को भी वापस बुला लिया गया था और कूटनीतिक संबंध भी रोक दिए गए थे. यह सब अभी भी वैसा ही है. हालांकि यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हो पाया कि पाकिस्तान ने फैसला लेने के एक दिन के अंदर ही उसे टाल क्यों दिया.

ईसीसी ने फैसले को हरी झंडी तभी दिखाई थी जब प्रधानमंत्री खान ने प्रस्ताव को देख लिया था और अधिकृत कर दिया था. भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस पर अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है.

सीके/एए (एपी, रॉयटर्स)

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