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पाकिस्तान पर मंडराते आर्थिक संकट के बादल

३ जून २०१२

पाकिस्तान एक नए आर्थिक संकट की ओर बढ़ रहा है. राजनयिकों और विशेषज्ञों का कहना है कि इस हफ्ते बजट के एलान होने के बाद भी देश अपनी आर्थिक समस्याओं से उभर नहीं पाएगा.

तस्वीर: AP

पाकिस्तान के केंद्रीय स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) के मुताबिक बजट घाटा इस वक्त 6.6 प्रतिशत पर है और आने वाले महीनों में यह बढ़ कर सात प्रतिशत तक जा सकता है. सरकार के पास घाटे की भरपाई के लिए पैसा नहीं है. वह कर्ज में डूबी हुई है. निजी क्षेत्र के पास निवेश के लिए बहुत कम पैसे रह गए हैं. आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और रोजाना बम धमाकों से पाकिस्तान वैसे ही परेशानी में है. इन हालात में देश के लिए आर्थिक विकास के आसार न के बराबर हैं और चुनावों से पहले सरकार सुधारों के बारे में बिलकुल नहीं सोच रही है.

2008 में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष आईएमएफ ने पाकिस्तान को 11.3 अरब डॉलर का उधार पैकेज दिया था. ज्यादातर विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान को एक बार फिर यही रास्ता अपनाना होगा, या फिर आर्थिक संकट झेलना होगा.

टैक्स से सरकार की आय बहुत कम है. एशियन विकास बैंक एडीबी के मुताबिक 2010-2011 के वित्तीय वर्ष के दौरान सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी का केवल 9.8 प्रतिशत पैसा टैक्स के जरिए आया. जबकि बिजली की रियायत में सरकार ने जीडीपी की 1.5 फीसदी रकम खर्च दी. आईएमएफ का कहना है कि इस सेक्टर में प्रबंधन को लेकर बहुत परेशानियां हैं. साथ ही, अमेरिका से भी आंतकवाद में साझेदारी वाले कोएलिशन फंड के तहत कुछ किश्तों का पैसा नहीं मिला है. 2002 से लेकर 2011 तक पाकिस्तान को इस फंड के तहत करीब 8.8 अरब डॉलर मिले थे. लेकिन पिछले साल अल कायदा नेता ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद यह मदद बंद सी हो गई है.

तस्वीर: NFFTY

एचएसबीसी बैंक की लिज मार्टिंस का कहना है कि पाकिस्तान में कहीं से भी पैसा नहीं आ रहा. सरकार स्थानीय बैंकों से पैसा मांग कर अपना काम चला रही है और स्थानीय बैंकों को खुद ग्राहक नहीं मिल रहे हैं. इसकी वजह से निजी सेक्टर अपने निवेशों के लिए इन बैंकों से पैसे नहीं ले सकते. केंद्रीय बैंक के मुताबिक पाकिस्तान ने इस वित्तीय साल में 365 अरब पाकिस्तानी रुपये यानी चार अरब डॉलर स्थानीय और एसबीपी से उधार लिए हैं. देश में महंगाई इस वक्त 11 प्रतिशत पर है, मतलब कि अगर इस स्थिति में नोट छापे जाएं, तो महंगाई बेकाबू हो जाएगी. पाकिस्तानी रुपये की कीमत इस वक्त डॉलर के मुकाबले 93.5 है.

आईएमएफ का कहना है कि अपने बजट घाटे को कम करने के लिए पाकिस्तान को टैक्स से कमाई बढ़ानी होगी. लेकिन कुछ ही महीनों में देश में चुनाव होंगे और वित्त मंत्री अब्दुल हफीज शेख से इस बारे में सख्त फैसले की उम्मीद करना सही नहीं होगा. पूर्व वित्त मंत्री सरताज अजीज का कहना है कि सरकार आईएमएफ के नए उधार की शर्तें नहीं मानेगी. अजीज कहते हैं कि आने वाले चुनावों के एलान के बाद सरकार अर्थव्यवस्था को संभालने की जिम्मेदारी अंतरिम सरकार पर डाल देगी. पाकिस्तान में चुनावों के एलान होने के बाद अंतरिम सरकार तीन महीनों तक देश को संभालती है. विश्लेषकों का कहना है कि अभी की सरकार इसी वजह से अहम फैसलों से पीछे हट रही है.

एमजी/ओएसजे(एएफपी)

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