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पाकिस्तान में आग से 250 से ज्यादा मरे

१२ सितम्बर २०१२

पाकिस्तान में आग लगने की दो अलग अलग घटनाओं में 250 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है. पहली दुर्घटना लाहौर की जूता फैक्टरी में हुई तो दूसरी कराची की कपड़ा फैक्टरी में. काम की जगह पर सुरक्षा को लेकर उठे सवाल.

तस्वीर: Getty Images

कराची की कपड़ा फैक्टरी में आग कैसे लगी इसका पता नहीं चल सका है. कुछ लोगों की मौत फैक्टरी से कूद कर भागने के कारण भी हुई है. इस भयानक हादसे में कम से कम 236 लोगों के जलकर मरने की खबर है.

कहा जा रहा है कि मरने वालों की तादाद बढ़ भी सकती है. जिस फैक्ट्री में आग लगी है वो कराची के बड़लिया इलाके में मौजूद है. आग लगने के बाद से ही फैक्ट्री का मालिक फरार है. उसे पकड़ने के लिए पुलिस छापेमारी कर रही है.

कराची के दमकल विभाग के प्रमुख एहतेशाम सलीम का कहना है कि ज्यादातर शव फैक्ट्री के बेसमेंट में पाए गए. ये बुरी तरह से जले हुए थे. जान बचाकर खिड़की से कूदने के चक्कर में 65 लोगों की हड्डियां टूट गईं. सलीम के मुताबिक, "कपड़ा फैक्ट्री बंद बक्से की तरह बनाई गई थी. इसमें अपातकालीन निकास की कोई व्यवस्था नहीं है. बहुत सारे लोगों की मौत तो दम घुटने की वजह से हो गई. बाद में उनका शरीर जल गया थ. यहां तक कि फैक्ट्री की दीवार भी बहुत कमजोर थी. इसमें कई जगह से दरारें पड़ गई हैं जिससे राहत और बचाव के काम में दिक्कत हो रही है."

तस्वीर: Reuters

कपड़ा फैक्ट्री में काम करने वालों का कहना है कि फैक्ट्री में अंडरवियर और घरेलू इस्तेमाल में आने वाले प्लास्टिक के सामान बनाए जाते थे. बताया गया है कि पिछले एक दशक में कराची में आग लगने की ये सबसे भीषण घटना है.

आग लगने की दूसरी घटना लाहौर की जूता फैक्ट्री में हुई. इसमें कम से कम 21 लोगों की मौत हो गई है जबकि 14 दूसरे घायल हो गए हैं. तारिक जमान नाम के एक सरकारी अधिकारी का कहना है कि जूता फैक्ट्री में आग जनरेटर की खराबी की वजह से लगी.

आलोचकों का कहना है कि पाकिस्तान की सरकार भ्रष्टाचार में डूबी हुई है और काम करने में अक्षम है. देश की बुनियादी समस्याओं की और उसका ध्यान ही नहीं है.

तस्वीर: AP

पाकिस्तान के सेंट्रल बैंक के मुताबिक कपड़ा उद्योग पाकिस्तान की जीडीपी में काफी अहम योगदान देता है. साल 2011 में ये 7.4 प्रतिशत था. कराची की एनईडी इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी के नोमन अहमद कहते हैं, "कुछ ही फैक्ट्रियां ऐसी हैं जो सुरक्षा उपायों पर ध्यान देती हैं. बाकी तो ठीक से जांच पड़ताल न होने की वजह से सुरक्षा उपायों पर ध्यान ही नहीं देतीं."

वीडी/एनआर (एएफपी, डीपीए)

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