पाकिस्तान में प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे विपक्ष के एक नेता की गिरफ्तारी के बाद राजनीतिक संकट गहराता हुआ नजर आ रहा है. अर्धसैनिक बलों पर आरोप लगा है कि उन्होंने जबरन नेता की गिरफ्तारी करवाई.
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अब एक प्रांतीय पुलिस अधीक्षक के अपहरण की खबर आ रही है, सेना ने जिसकी जांच के हुक्म दे दिए हैं. सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा को जांच का हुक्म मजबूर हो कर देना पड़ा, जब कुछ स्थानीय नेताओं ने यह आरोप लगाया कि सिंध प्रांत के पुलिस के मुखिया मुश्ताक अहमद महर को अर्धसैनिक बलों ने पहले तो विपक्ष के एक नेता को गिरफ्तार करने पर मजबूर किया और फिर उनका अपहरण कर लिया.
विपक्षी पार्टी पीएमएलएन के नेता मोहम्मद सफ्दर को सिंध की राजधानी कराची में आयोजित हुई एक रैली के बाद गिरफ्तार कर लिया गया था. सफ्दर पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की बेटी मरियम नवाज के पति हैं. पिछले सप्ताह पीएमएलएन ने दूसरी विपक्षी पार्टियों के साथ मिल कर इमरान खान की सरकार के खिलाफ पूरे देश में विरोध प्रदर्शनों की शुरुआत की थी. पुलिस ने सफ्दर को पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्नाह की कब्र पर नारे लगाने के लिए गिरफ्तार किया गया था.
सिंध की सरकार ने कहा था कि उसने सफ्दर की गिरफ्तारी का आदेश नहीं दिया था और सिंध की पुलिस पर दबाव डाल कर उन्हें गिरफ्तार करवाया गया था. सफ्दर की पत्नी मरियम नवाज ने मीडिया से कहा, "पुलिस प्रमुख के फोन जब्त कर लिए गए थे. उन्हें सेक्टर कमांडर के दफ्तर ले जाया गया और गिरफ्तारी के आदेश पर हस्ताक्षर करने को कहा गया." खबरों में कहा गया था कि आदेश पर हस्ताक्षर करने के बाद महर को जाने दिया गया था.
सिंध में पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) की सरकार है जो इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी का विरोध करती है. पीपीपी के नेता बिलावल भुट्टो जरदारी ने सार्वजनिक रूप से सेना और देश की खुफिया सेवा के मुखियाओं से कहा कि मामले की जांच की जाए क्योंकि इस घटना ने सारी हदें पार कर दी हैं.
एक अभूतपूर्व घटना में, महर के कथित अपहरण के विरोध में सिंध के दर्जनों पुलिस अधिकारियों ने छुट्टी की अर्जी दे दी थी. लेकिन सेना प्रमुख द्वारा जांच के आदेश दिए जाने के बाद सिंध पुलिस ने कहा कि महर ने अपनी छुट्टी की अर्जी को टालने का फैसला किया है और अपने अधिकारियों को आदेश दिया है कि वे जांच के नतीजे आने तक अपनी अपनी अर्जियां टाल दें.
पाकिस्तान में अभी तहरीक ए इंसाफ की सरकार है. इमरान खान प्रधानमंत्री हैं. पाकिस्तान में भी बहुपार्टी लोकतांत्रिक व्यवस्था है. भारत की तरह वहां पर भी कई सारी राजनीतिक पार्टियां हैं.
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पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन)
पार्टी के चेयरमैन नवाज शरीफ के भाई शाहबाज शरीफ हैं. 1988 में स्थापित इस पार्टी का चुनाव निशान शेर है.
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पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ
इमरान खान की पार्टी का चुनाव चिन्ह क्रिकेट का बैट है. युवाओं में इमरान बहुत लोकप्रिय हैं.
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पाकिस्तान पीपल्स पार्टी
पाकिस्तान के सिंध प्रांत में बेहद मजबूत समझी जाने वाली पाकिस्तान पीपल्स पार्टी की स्थापना 1967 में जुल्फिकार अली भुट्टो ने की थी. अब उनके नवासे बिलावुल भुट्टो जरदारी पार्टी के प्रमुख हैं. पार्टी का चुनाव चिन्ह तीर है.
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मुत्तेहिदा कौमी मूवमेंट
एमक्यूएम की स्थापना 1984 में अल्ताफ हुसैन ने की थी. पार्टी का चुनाव चिन्ह पतंग है और पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर कराची में उसका बहुत दबदबा माना जाता है. एमक्यूएम को विभाजन के बाद पाकिस्तान में जाकर बसे मुहाजिरों की पार्टी माना जाता है.
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आवामी नेशनल पार्टी
आवामी नेशनल पार्टी पाकिस्तान के खैबर पख्तून ख्वाह में बड़ी ताकत रही थी. पार्टी का चुनाव निशान लाल टोपी है.
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जमीयत उलेमा ए इस्लाम (एफ)
मौलाना फजलुर रहमान के नेतृत्व वाली जमीयत उलेमा ए इस्लाम (एफ) पाकिस्तान की एक सुन्नी देवबंदी राजनीतिक पार्टी है. पार्टी की चुनाव चिन्ह किताब है. यह पार्टी 1988 में जमीयत उलेमा ए इस्लाम में विभाजन के बाद अस्तित्व में आई.
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पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एफ)
यह पार्टी एक सिंधी धार्मिक नेता पीर पगाड़ा से जुड़ी हुई है. पार्टी का चुनाव चिन्ह गुलाब का फूल है. (तस्वीर पाकिस्तानी संसद की है.)
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जमीयत उलेमा ए इस्लाम
इस पार्टी का मकसद पाकिस्तान को एक ऐसे देश में तब्दील करना है जो शरिया के मुताबिक चले. हालांकि जनता के बीच उसका ज्यादा आधार नहीं है. नेशनल असेंबली में उसके अभी सिर्फ चार सदस्य हैं. पार्टी तराजू के निशान पर चुनाव लड़ती है और सिराज उल हक इसके प्रमुख हैं.
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पाकिस्तान मुस्लिम लीग (क्यू)
यह पार्टी नवाज शरीफ की पीएमएल (एन) से टूट कर बनी है. पार्टी के मुखिया शुजात हुसैन सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ के दौर में कुछ समय के लिए देश के प्रधानमंत्री रहे. पार्टी का चुनाव चिन्ह साइकिल है.