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समाज

पाकिस्तान में कट्टरपंथियों के गले की फांस बनी एक फिल्म

५ फ़रवरी २०२०

पाकिस्तान में एक फिल्म को लेकर हंगामा हो रहा है. सरकार तय नहीं कर पा रही है कि 'जिंदगी तमाशा' नाम की इस फिल्म पर बैन हटाया जाए या नहीं. कट्टरपंथी ईशनिंदा के आरोप लगाकर इस फिल्म का कड़ा विरोध कर रहे हैं.

Pakistan - Film, Zindagi Tamasha
तस्वीर: KHOOSAT FILMS

पाकिस्तान सरकार ने फिल्म पर लगे बैन को हटाने का फैसला पिछले दिनों टाल दिया. सरकार अभी इस्लामी विद्वानों की उच्च परिषद से सलाह मशविरा कर रही है. पाकिस्तानी निर्देशक शरमद खोसट की यह फिल्म जनवरी के आखिर में रिलीज होनी थी. लेकिन तहरीक ए लब्बैक नाम का एक कट्टरपंथी गुट और उसके अनुयायी फिल्म का कड़ा विरोध कर रहे हैं. वे फिल्म पर ईशनिंदा के आरोप लगा रहे हैं.

इस फिल्म के विरोध ने लोगों का ध्यान फिर पाकिस्तान के विवादित ईशानिंदा कानून की तरफ खींचा है जिसमें इस्लाम का अपमान करने पर मौत की सजा तक का प्रावधान है. लेकिन अकसर इस कानून के दुरुपयोग के आरोप लगते हैं. कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि आपसी रंजिशें निकालने के लिए लोगों को इसमें फंसाया जाता है. अकसर अल्पसंख्यक समुदाय के लोग इसके शिकार बनते हैं.

कट्टरपंथी विरोध

तहरीक ए लब्बैक का कहना है कि फिल्म में ईशनिंदक सामग्री है और यह मुसलमानों के प्रति नफरत को बढ़ावा दे सकती है. पार्टी के नेता खादिम रिजवी ने 24 जनवरी को देश भर में इसके खिलाफ प्रदर्शन करने की धमकी थी. उसी दिन इस फिल्म को रिलीज होना था. अब देश की सबसे बड़ी संवैधानिक धार्मिक संस्था को तय करना है कि इस फिल्म रिलीज होने दिया जाए या नहीं.

फिल्म का ट्रेलर यहां देखिए 

दूसरी तरफ निर्देशक खोसट अपनी फिल्म पर लग रहे ईशनिंदा के आरोपों से इनकार करते हैं. फिल्म की कहानी मोहम्मद राहत ख्वाजा नाम के एक बुजुर्ग किरदार के इर्द गिर्द घूमती है जो बहुत धार्मिक और रुढ़िवादी ख्यालों वाला एक मुसलमान है. लेकिन उसकी जिंदगी तब मुश्किलों में घिर जाती है जब उसका एक वीडियो इंटरनेट पर वायरल हो जाता है. इस वीडियो में वह एक शादी में एक औरत का डांस देख रहा है. उसकी इस हरकत पर उसका परिवार शर्मिंदा होता है. राहत ख्वाजा जहां भी जाता है उसे ताने और खरी खोटी बातें सुनने को मिलती है.

विभाजित समाज

फिल्म को लेकर विवाद पाकिस्तानी समाज में गहराते विभाजन को भी दिखाता है जहां हाल के सालों में कट्टरपंथी पार्टियां बहुत सक्रिय हो गई हैं. 2018 में दसियों हजार लोगों ने राजधानी इस्लामाबाद की तरफ जाने वाली सड़कों को रोक दिया था क्योंकि वह ईसाई महिला आसिया बीबी को ईशनिंदा के आरोपों से बरी किए जाने के खिलाफ थे. देश के दूसरे हिस्सों में भी रैलियां और प्रदर्शन हुए जिनका आयोजन तहरीक ए लब्बैक ने ही किया था. पिछले साल आखिरकार आसिया बीबी को पाकिस्तान छोड़ना पड़ा.

तस्वीर: KHOOSAT FILMS

कुछ पर्यवक्षेकों का कहना है कि फिल्म के विरोधियों और समर्थकों, दोनों की राय फिल्म के दो मिनट के ट्रेलर पर आधारित है, जिसमें दाढ़ी वाला एक छात्र फिल्म के मुख्य किरदार ख्वाजा को पीटने से पहले उसके साथ बहस करता है. तहरीक ए लब्बैक इस बात से भी परेशान है कि फिल्म के एक दृश्य में गुस्साई भीड़ उसका एक लोकप्रिय नारा लगाती है, जिसमें ईशनिंदा कानून का बचाव किया गया है. पार्टी का कहना है कि फिल्म के जरिए उसकी छवि को खराब किया जा रहा है.

पुरस्कृत फिल्मकार

फिल्म के निर्देशक से जब समाचार एजेंसी एपी ने बात करनी चाहिए तो उनका कहना है कि उन्हें जो कुछ कहना था वह पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी, प्रधानमंत्री इमरान खान और सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा को लिखे पत्र में कह चुके हैं. उन्होंने इस पत्र को ट्विटर पर भी शेयर किया. इसमें कहा गया है, "मैंने किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने या फिर किसी की छवि को खराब करने के लिए फिल्म नहीं बनाई है." खोसट ने कहा, "एक कलाकार के तौर पर वह अपनी कला के माध्यम से कभी नफरत और अव्यवस्था नहीं फैलाएंगे. नहीं. कोई कलाकार ऐसा नहीं करता. या कम से कम मैं कभी ऐसा नहीं करूंगा."

पाकिस्तान के राष्ट्रपति को लिखे पत्र में उन्होंने कहा, "फिल्म में ऐसा कुछ नहीं है जो किसी को ठेस पहुंचाए या किसी की छवि खराब करे." उन्होंने कहा कि गड़बड़ी फैलाने वाले कुछ लोग अपने राजनीतिक फायदे के लिए तार्किक और कलात्मक विचारों और अभिव्यक्ति की जगह को सीमित करते जा रहे हैं और इसे रोकना होगा. खोसट को अपने काम के लिए 2017 में पाकिस्तान के राष्ट्रपति की तरफ से 'प्राइड ऑफ परफॉर्मेंस' अवॉर्ड भी मिला है. इससे पहले उन्होंने 'मंटो' जैसी फिल्म का निर्देशन किया और 'मोटरसाइकिल गर्ल' में मुख्य किरदार अदा किया है. उन्होंने टीवी के लिए भी काम किया है.

एके/एमजे (एपी)

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