पाकिस्तान ने कोरोना वायरस के खिलाफ चीन में तैयार टीके के ट्रायल का तीसरा चरण शुरू किया है. पाकिस्तान में दस हजार लोग इस टीके के ट्रायल में हिस्सा लेंगे.
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दुनिया भर में फैली कोरोना महामारी को काबू करने के लिए टीके का बेसब्री से इंतजार हो रहा है. दुनिया की कई दवा कंपनियां जी-जान से टीका तैयार करने में जुटी हैं. चीन की कंपनी कैनसिनो बायोलॉजिक्स भी इनमें शामिल है. उसने जो टीका तैयार किया है, उसके ट्रायल का तीसरा चरण शुरू हो गया है. इस ट्रायल में सात देशों में 40 हजार लोग हिस्सा लेंगे. इनमें दस हजार लोग पाकिस्तान से होंगे.
कैनसीनो कंपनी के बनाए टीके को एडी5-एनसीओवी नाम दिया गया है. इसके तीसरे चरण का ट्रायल शुरू करने की अनुमति पाकिस्तान सरकार ने अगस्त महीने में ही दे दी थी. अब पाकिस्तान के योजना मंत्री असद उमर ने मंगलवार को ट्रायल शुरू होने की घोषण की. पाकिस्तान में कोरोना वायरस को नियंत्रित करने के लिए देश की सेना ने जो मुहिम छेड़ रखी है, उसकी निगरानी और प्रबंधन का काम उमर ही देख रहे हैं. उन्होंने ट्वीट कर बताया कि तीसरे चरण के ट्रायल के शुरुआती नतीजे चार से छह महीने में आने की उम्मीद है.
इस्लामाबाद के जिस अस्पताल में यह ट्रायल शुरू हुआ है, वहां के डॉक्टरों को उम्मीद है कि हर दिन 20 से 25 लोग ट्रायल के लिए आएंगे. आने वाले दिनों में उनकी योजना इसे दूसरे शहरों के अस्पतालों में ले जाने की भी है. ट्रायल का नेतृत्व करने वाले हसन अब्बस जहीर ने बताया, "हमारी टीम पहुंच गई है और उन्होंने हमें बताया कि बहुत सारे लोग ट्रायल में हिस्सा लेने के लिए आगे आए हैं, और यह बहुत ही उत्साहजनक बात है."
वैक्सीन बनाने में कितना वक्त लगता है?
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जिन अन्य देशों में चीनी टीके का ट्रायल हो रहा है उनमें अर्जेंटीना, चिली, चीन और रूस शामिल हैं. पाकिस्तान के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान का कहना है कि टीके के पहले और दूसरे चरण के ट्रायल मई और जून में हुए थे और उनके नतीजे उत्साहजनक हैं.
पाकिस्तान में जून के महीने में कोरोना के सबसे ज्यादा केस सामने आए जब एक दिन में नए मामलों का आंकड़ा छह हजार तक पहुंच गया था. लेकिन तब से नए मामलों में बहुत गिरावट आई है. मंगलवार को सिर्फ 582 नए मामले सामने आए. इस तरह पाकिस्तान में अब कोरोना के मामले 306,886 हो गए हैं जबकि इससे मरने वालों का आंकड़ा 6,424 है.
22 करोड़ की आबादी वाले पाकिस्तान में हर दिन 20 हजार से 36 हजार तक टेस्ट हो रहे हैं. कोरोना वायरस को नियंत्रित करने की पाकिस्तान की कोशिशों को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी सराहा है. हालांकि विश्लेषकों का कहना है कि यह पता लगाया जाना अभी बाकी है कि संक्रमण के मामलों में तेज गिरावट का असल कारण क्या है, क्योंकि पाकिस्तान जैसे देश में लोग एहतियात बरतने पर बहुत ध्यान नहीं देते हैं.
पाकिस्तान में इस महीने से धीरे धीरे स्कूलों को खोला जा रहा है. बहुत से व्यापारिक प्रतिष्ठान पहले ही खोले जा चुके हैं, लेकिन सिनेमा, थिएटर और स्वीमिंग पूल अभी बंद हैं.
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मई से जून के बीच पूरे देश में कराए गए आईसीएमआर के सेरो-सर्वे में सामने आया है कि देश में कोरोना वायरस के संक्रमण के हर सामने आने वाले मामले के मुकाबले 100 ऐसे मामले हैं जिनके बारे में मालूम नहीं किया जा सका.
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असली आंकड़ा
सर्वे के अनुसार मई में ही भारत में 64 लाख से भी ज्यादा कुल मामले थे. उस समय आधिकारिक रूप से घोषित मामले सिर्फ 60 हजार के आस पास थे.
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चुपचाप फैलता कोरोना
सर्वे में पाया गया कि देश में संक्रमण के फैलने की दर 0.73 प्रतिशत है, जो किसी किसी इलाकों में 1.03 प्रतिक्षत तक भी चली जाती है. यह दर संक्रमण के खामोश प्रसार की ओर इशारा करती है.
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महामारी के शुरुआती चरण
शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि संक्रमण की दर इतनी कम होने का मतलब है कि भारत में महामारी उस समय अपने शुरूआती चरण में ही थी और इस वजह से देश में अधिकतर लोगों के लिए संक्रमण का खतरा अभी बना हुआ है.
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100 गुना बड़ी समस्या
आईसीएमआर ने कहा है कि प्रयोगशालाओं में जांच के द्वारा पाए गए हर मामले के मुकाबले देश में 82 से ले कर 130 तक ऐसे मामले हैं जो छिपे हुए हैं. इसका मतलब समस्या जितनी बड़ी दिखती है उस से करीब 100 गुना ज्यादा बड़ी है. यह संख्या अलग अलग स्थानों पर बदल जाती है.
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गलत जांच के नतीजे
जानकारों का मानना है कि बड़ी संख्या में संक्रमण के मामलों का ना पाया जाना जांच की गलत प्रक्रिया की वजह से हो सकता है. कई महीनों से विशेषज्ञ देश में रैपिड जांच में नेगेटिव पाए जाने वालों की आरटीपीसीआर जांच से पुष्टि ना करने को लेकर चिंता जता रहे हैं.
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शून्य मामले वाले जिले
कई जिले जिनमें या तो शून्य या काफी कम संक्रमण के मामले रिपोर्ट हुए हैं, सर्वे में उनमें भी संक्रमण की उंची दर मिली. यह भी गलत जांच की तरफ इशारा करता है.
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नया निर्देश
शायद इसी वजह से केंद्र ने राज्यों को दिए गए नए निर्देश में कहा है कि ऐसे लोग जिनमें संक्रमण के लक्षण थे लेकिन उनकी रैपिड जांच का नतीजा नेगेटिव आया था, उनकी आरटीपीसीआर जांच की जाए.
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मृत्यु दर पर भी संशय
सर्वे में पाया गया कि संक्रमण के मामलों और संक्रमण से मृत्यु का अनुपात मई में 0.0018 से 0.11 प्रतिशत के बीच था. जून में यह अनुपात 0.27 से 0.15 प्रतिशत हो गया था. आधिकारिक तौर पर दर्ज की गई दर 1.7 प्रतिशत है. अमेरिका में यह दर 0.12 प्रतिशत है और स्पेन और ब्राजील में एक प्रतिशत. लेकिन शोधकर्ताओं का कहना है कि भारत के आंकड़े और ज्यादा हो सकते हैं क्योंकि यहां मृत्यु की रिपोर्टिंग बहुत कम होती है.
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देशव्यापी सर्वे
सर्वे 11 मई से चार जून तक हुआ. इसके लिए 21 राज्यों से 28,000 संक्रमित लोगों के खून में एंटीबॉडीज की जांच की गई.
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गांवों में स्थिति खतरनाक
सर्वे के मुताबिक मई और जून तक ही संक्रमण गांवों में फैल चुका था. सेरो-पॉजिटिविटी सबसे ज्यादा (69.4 प्रतिशत) ग्रामीण इलाकों में ही पाई गई. शहरी झुग्गियों में 15.9 प्रतिशत और शहरी झुग्गी से बाहर वाले इलाकों में 14.6 प्रतिशत पाई गई. हालांकि सर्वे अधिकतर ग्रामीण इलाकों में ही किया गया था.