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पाकिस्तान में क्या अब चांद देखे बगैर मनेगी ईद

१४ मई २०१९

पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार इस बात पर विचार कर रही है कि विज्ञान आधारित कैलेंडर को प्रचलन में लाया जाए. रमजान जैसे साल के अहम धार्मिक दिनों की गणना आज भी चांद देख कर होती है और हर साल तारीखों को लेकर विवाद होता है.

Vollmond in Islamabad
तस्वीर: picture-alliance

इस्लाम जगत में नौंवे महीने यानी पवित्र रमजान की शुरूआत से लेकर ईद की छुट्टियां या फिर मातम के महीने मुहर्रम की शुरुआत कब हो इसका फैसला नए चांद को देख कर किया जाता है. पाकिस्तान में इस काम के लिए सरकार की बनाई रोहेते हिलाल कमेटी (चांद देखने वाली कमेटी) है जो यह एलान करती है कि रोजे कब से शुरू होंगे या फिर ईद कब मनाई जाएगी. बीते कई दशकों से उनके फैसलों की सत्यता पर विवाद होता है.

पाकिस्तान के विज्ञान और तकनीक मंत्री फवाद चौधरी का कहना है, "हर साल रमजान, ईद और मुहर्रम के मौके पर चांद दिखने को लेकर विवाद होता है." उन्होंने एक वीडियो भी ट्वीट किया जिसमें बताया गया है कि कमेटी टेलिस्कोप जैसी पुरानी तकनीक का इस्तेमाल कर अपनी गणना करती है. फवाद चौधरी की दलील है, "जब आधुनिक तरीके मौजूद हैं और हम आखिरी तारीख तय कर सकते हैं तो फिर सवाल यही है कि हम इस तकनीक का इस्तेमाल क्यों नहीं करते?"

तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Qureshi

मंत्रालय एक नई कमेटी बनाने जा रही है जिसमें वैज्ञानिक, मौसमविज्ञानी और पाकिस्तान की अंतरिक्ष एजेंसी के लोग होंगे और वो सही तारीखों की गणना करेंगे. तकनीक मंत्री का दावा है कि यह गणना "सौ फीसदी सही होगी." हालांकि इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री की कैबिनेट उसे खारिज कर सकती है.

एक और ट्वीट में उन्होंने चेतावनी दी है कि देश कैसे चलना चाहिए इसका फैसला "मौलाना पर नहीं छोड़ा जा सकता." चौधरी ने लिखा है, "आगे का सफर युवाओं को करना है, मुल्लों को नहीं और सिर्फ तकनीक देश को आगे ले जा सकती है."

तकनीक मंत्री के इन बयानों के बाद देश में विवाद उठ खड़ा हुआ है. रोहेते हिलाल कमेटी के प्रमुख मुफ्ती मुनीब उर रहमान ने चेतावनी दी है कि चौधरी को अपनी हदों में रहना चाहिए. कराची की एक प्रेस कांफ्रेंस में मुफ्ती ने कहा, "मैंने प्रधानमंत्री इमरान खान से अपील की है कि धार्मिक मामलों में सिर्फ संबंधित मंत्रियों को ही बोलना चाहिए. हर मंत्री जो धर्म की संवेदनशीलता को नहीं जानता, नहीं समझता उसे धार्मिक मामलों में बोलने का फ्री लाइसेंस नहीं मिलना चाहिए." मुफ्ती मुनीब उर रहमान का कहना है कि कमेटी में पहले से ही अतंरिक्ष एजेंसी के सदस्य हैं और यह मौसम विभाग के साथ मिल कर काम करती है.

फवाद चौधरी और इमरान खानतस्वीर: AFP/Getty Images

बीते कुछ सालों में कमेटी के सबसे बड़े दुश्मन रहे हैं मौलाना शहाबुद्दीन पोपलजई. उत्तर पश्चिमी सूबे खैबर पख्तूनख्वाह की राजधानी पेशावर में रहने वाले मौलाना काफी प्रभावशाली माने जाते हैं. वो रमजान और ईद के दिन का एलान रोहेते हिलाल कमेटी की तुलना में एक दिन पहले कर देते हैं. आपसी मतभेद को राष्ट्रीय एकता और सामाजिक सौहार्द के लिए बुरा माना जाता है लेकिन पोपलजई के साथ सेंट्रल कमेटी के मतभेद सुलझाने की बीते सालों में हुई कोशिशें नाकाम रही हैं.

फवाद चौधरी के एलान ने अब मामले को और गर्मा दिया है जिसे लेकर पाकिस्तान में बहस तेज हो गई है. सोशल मीडिया पर बहुत से लोगों ने सरकार का शुक्रिया अदा किया है कि वह इस मामले में साफगोई लाने की कोशिश कर रही है. हालांकि ऐसे लोग भी हैं जिन्हें यह सब बुरा लग रहा है. ट्वीटर इस्तेमाल करने वाले मजहर अरशद का कहना है, "यह फैसला देश को और ज्यादा बांट देगा." खुद को एजियो ऑडेसी कहने वाले एक शख्स ने लिखा है, "अज्ञानियों का गैंग सत्ता में आ गया है."

एनआर/एमजे (एएफपी)

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