पाकिस्तान में गरीब हो रहे हैं आम लोग
२४ जुलाई २०१९पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान इन दिनों अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के साथ मुलाकात को लेकर चर्चा में हैं. वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान के अंदर लोगों में खराब आर्थिक हालातों के चलते आक्रोश पैदा हो रहा है. पिछले साल सत्ता में आई इमरान खान सरकार को जुलाई 2019 में एक साल पूरा होने जा रहा है. लेकिन सरकार के सामने अब भी सबसे बड़ी चुनौती खराब आर्थिक हालातों को सुधारने की है. विश्लेषक लंबे वक्त से सरकारों को बिगड़ती आर्थिक स्थिति को लेकर चेतावनी देते रहे हैं.
प्रधानमंत्री इमरान खान अपने चुनाव प्रचार अभियान में लोगों से यही कहते रहे कि वे एक कल्याणकारी इस्लामिक देश को तैयार करेंगे और लोगों को चिंता करने की जरूरत नहीं है. इमरान खान के चुनावी आश्वासनों के बाद से अब तक स्थिति काफी बदल चुकी है. पाकिस्तानी रुपये की कीमत डॉलर के मुकाबले 30 फीसदी तक टूट गई है और इसके चलते महंगाई दर नौ फीसदी तक पहुंच गई है.
पाकिस्तान के शहर कराची में रहने वाली 30 साल की शमा परवीन कहती हैं कि टमाटर की कीमतें आसमान छू रही हैं और अब जिंदगी बड़ी मुश्किल हो गई है. कराची के ही बाजार के एक दुकानदार मोहम्मद अशरफ कहते हैं, "मुझे अपने खर्चों को पूरा करने के लिए रोजाना कम से कम 1000 रुपये कमाने होते हैं." उन्होंने बताया कि अब वह मुश्किल से 500-600 रुपये ही बचा पाते हैं. अशरफ ने कहा, " मैं सोचता हूं कि कभी बीमार हो गया तो कैसे दवा और इलाज का खर्चा होगा. मुझे लगता है कि मैं मर ही जाऊंगा."
विश्लेषक चेतावनी दे रहे हैं कि पाकिस्तान की बढ़ती आबादी के साथ देश की आर्थिक वृद्धि दर सुस्त पड़ जाएगी. विश्लेषकों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा 6 अरब डॉलर के कर्ज को मंजूरी दिए जाने के बाद भी पाकिस्तान को फिलहाल कोई फौरी राहत मिलती नहीं दिखती.
पाकिस्तान और आईएमएफ
पाकिस्तान और आईएमएफ के अब तक के संबंधों को मधुर नहीं कहा जा सकता. हालांकि आईएमएफ ने पहले भी पाकिस्तान को आर्थिक पैकेज दिए हैं. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान आईएमएफ जाने से पहले चीन और सऊदी अरब जैसे अपने मित्र देशों से भी मदद लेने में सफल हुए थे. लेकिन वह मदद काफी नहीं थी जिसके बाद पाकिस्तान ने आईएमएफ का रुख किया.
खराब होते आर्थिक हालातों के बीच आम लोग सरकार से काफी अंसतुष्ट नजर आ रहे हैं. 32 साल के कॉलेज ग्रेजुएट एयाज अहमद मानते हैं कि सरकार पूरी तरह फेल हो चुकी है. उन्होंने कहा, "सरकार पूरी तरह नाकाम साबित हुई है. वह हर बीतते दिन के साथ लोगों को और गरीब बना रही है." इमरान खान सरकार के एक साल पूरा होने के मौके पर आम लोग और विरोधी राजनीतिक दल बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं. लोगों में पनपते अंसतोष का असर सोशल मीडिया पर भी नजर आ रहा है. सोशल मीडिया ऐप टिकटॉक पर लोग इमरान खान के वीडियो अपलोड कर रहे हैं.
कराची विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर असगर अली के अनुमान के मुताबिक आने वाले दिनों में करीब 80 लाख लोग गरीबी रेखा से नीचे जा सकते हैं. वहीं रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ इस्लामिक बैंकिंग के चेयरमेन शाहिद हसन सिद्दकी के मुताबिक, "आज की स्थिति 1998 से भी बदतर हो गई है. 1998 में परमाणु परीक्षण के बाद देश पर कई तरह के अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगा दिए गए थे." सिद्दकी मानते हैं कि आज टैक्स एक बहुत बड़ा मुद्दा है.
पाकिस्तान में बमुश्किल एक फीसदी की टैक्स नेट में हैं. इमरान खान सरकार ने टैक्स बेस को बढ़ाने की काफी कोशिशें भी की लेकिन यह पूरी तरह कारगर नहीं हुईं. सिद्दकी मानते हैं, "खान सरकार की नीतियों के तहत अब अमीर अपने काले धन को महज 1.5 फीसदी अधिक टैक्स देकर सफेद करा सकते हैं. लेकिन हर व्यक्ति को अपनी जरूरत की चीजों पर 17 फीसदी अधिक टैक्स भुगतान करना पड़ रहा है." कुछ जानकार टैक्स नीतियों को तो अच्छा बता रहे हैं लेकिन उसके अमल होने की प्रक्रिया पर संदेह व्यक्त करते हैं.
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एए/आईबी (एएफपी)