पाकिस्तान के लाहौर में सामूहिक बलात्कार की शिकार हुई एक महिला को ही उसके बलात्कार के लिए दोषी ठहराने के बाद लाहौर पुलिस के मुखिया के खिलाफ जनता का आक्रोश बढ़ता जा रहा है.
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उन्होंने उस महिला के रात को बिना किसी मर्द को साथ लिए गाड़ी चलाने को गलत ठहराया था. पुलिस के अनुसार घटना बुधवार देर रात शहर के बाहर एक सुरक्षित माने जाने वाले राज्यमार्ग पर हुई थी. महिला गाड़ी में अपने दो बच्चों के साथ कहीं जा रही थी तभी रात डेढ़ बजे के आसपास रास्ते में ही गाड़ी में पेट्रोल खत्म हो गया.
उसने एक रिश्तेदार को फोन किया और फिर राज्यमार्ग पुलिस की एक हेल्पलाइन पर भी फोन किया, लेकिन इससे पहले कि उसे कोई मदद मिल पाती, दो व्यक्ति आए, गाड़ी का शीशा तोड़ा और महिला और दोनों बच्चों को घसीट कर राज्यमार्ग से सटे खेतों में ले गए. वहां उन लोगों ने बच्चों के सामने ही महिला के साथ सामूहिक बलात्कार किया, फिर उसके पैसे और गहने लूट कर वहां से फरार हो गए.
पुलिस ने 15 लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है. लाहौर पुलिस के मुखिया उमर शेख के खिलाफ आक्रोश तब शुरू हुआ जब उन्होंने कहा कि महिला को आधी रात को बिना किसी मर्द को साथ लिए बच्चों के साथ गाड़ी में पेट्रोल चेक किए यात्रा नहीं करनी चाहिए थी. उन्होंने यह टिप्पणी भी की थी कि पाकिस्तानी समाज में कोई भी "अपनी बेटियों और बहनों को इतनी देर रात अकेले सफर नहीं करने देगा." शेख ने यह भी कहा कि महिला को दूसरा रास्ता लेना चाहिए था.
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने सरकार से शेख को बर्खास्त करने की मांग की है. महिला वकीलों और कार्यकर्ताओं के एक समूह वीमेन इन लॉ इनिशिएटिव ने घटना की निंदा करते हुए एक बयान में कहा, "सार्वजनिक स्थलों पर जाने का अधिकार और सुरक्षित तरीके से आवाजाही पाकिस्तान के हर नागरिक का मूल अधिकार है, और इसमें महिलायें भी शामिल हैं.
मानवाधिकार मंत्री शिरीन मजारी ने ट्विट्टर पर लिखा कि शेख का बयान "अस्वीकार्य" है और "बलात्कार के अपराध को किसी भी तरह से सही नहीं ठहराया जा सकता है." प्रधानमंत्री इमरान खान ने ट्विट्टर पर जारी एक बयान में कहा कि वो मामले पर करीब से नजर बनाए हुए हैं और उन्होंने पुलिस को "घटना में शामिल लोगों को जितनी जल्दी हो सके गिरफ्तार कर सजा दिलवाने" के आदेश दिए हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार महिलाओं और बच्चों के खिलाफ बढ़ रहे अपराधों मुकाबला करने वाले कानूनों को और मजबूत करेगी. फरवरी में ही देश के सांसदों ने बच्चों के खिलाफ यौन अपराध और हत्या जैसे अपराधों के दोषी पाए जाने वालों को सार्वजनिक रूप से फांसी पर लटका देने वाला एक कानून पास किया था. हालांकि सरकार ने उसका विरोध किया और वह कानून बन नहीं पाया.
शुक्रवार को शेख की टिप्पणियों के खिलाफ पाकिस्तान के कई शहरों में प्रदर्शन आयोजित किए गए हैं. वकील और महिला अधिकार एक्टिविस्ट खदीजा सिद्दीकी ने एएफपी को बताया की शेख का बयान पाकिस्तान में पीड़िता को ही दोषी ठहराने की दुर्भाग्यपूर्ण लेकिन "काफी तेजी से फैल रही" संस्कृति का हिस्सा है.
2019: पांच तरीके, जो यौन हिंसा के खिलाफ बने विरोध का हथियार
भारत में 2019 को बलात्कार की कई जघन्य घटनाओं के लिए याद किया जाएगा. वहीं दुनियाभर में यह यौन हिंसा के खिलाफ महिलाओं के संघर्ष का साल रहा है. एक नजर उन पांच तरीकों पर, जिनके जरिए महिलाओं ने अपना प्रतिरोध जताया.
अरब देश ट्यूनिशिया में एक स्कूल के बाहर कथित तौर पर हस्तमैथुन कर रहे एक सांसद की फुटेज सामने आने के बाद वहां #MeToo या #EnaZeda आंदोलन शुरू हुआ. बहुत सी महिलाओं ने सोशल मीडिया पर बताया कि कैसे उन्हें यौन उत्पीड़न का सामना पड़ा है. इससे पहले पूरी दुनिया में इस आंदोलन के जरिए कई सफेदपोश लोगों की हकीकत सामने आई.
तस्वीर: picture-alliance/D. Christian
"आपके रास्ते में बलात्कारी"
चिली की महिलावादी कार्यकर्ताओं के गीत "A Rapist in your Path" की गूंज पूरी दुनिया में सुनाई दी. मेक्सिको, फ्रांस और तुर्की जैसे कई देशों में सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस गीत पर परफॉर्म किया. गीत के बोल सरकार और देशों की आलोचना करते हैं कि वे बलात्कार को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा रहे हैं. यौन अपराधों के लिए महिलाओं को जिम्मेदार ठहराने वाली सोच को भी यह गीत खारिज करता है.
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"यहां राजनीति नहीं चलेगी"
स्पेन में धुर दक्षिणपंथी पार्टी वोक्स के एक नेता ने जब महिलाओं के खिलाफ हिंसा की निंदा करने वाले एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया तो प्रदर्शनकारी राजधानी मैड्रिड की सड़कों पर उतर आए और ट्रैफिक जाम कर दिया. सामाजिक कार्यकर्ता नादियो ओटमान ने खावियर ऑर्तेगा स्मिथ का विरोध करते हुए कहा, "लैंगिक हिंसा के साथ आप राजनीति नहीं खेल सकते."
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जापान में नौकरी के बदले सेक्स?
जापान में कुछ प्रोफेसर और यूनिवर्सिटी छात्र मिल कर एक मुहिम चला रहे है जिसका मकसद नौकरी खोजने वाले ग्रेजुएट्स का यौन उत्पीड़न रोकना है. उनका कहना है कि नौकरियां कम हैं और इच्छुक लोग बहुत सारे हैं. ऐसे में नौकरी देने वाले ग्रेजुएट्स की मजबूरी का फायदा उठाने से नहीं हिचकते. बहुत से युवा नौकरी ना मिल पाने के डर से इस बारे में बात भी नहीं करते.
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रूस में सख्त कानून की वकालत
रूस में घरेलू हिंसा के खिलाफ कोई कानून नहीं है. तीन साल पहले एक बिल संसद में लाया गया जो पास नहीं हो पाया. इस साल बिल को फिर से संसद में लाया गया. लेकिन महिला आधिकार कार्यकर्ता इसका विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि बिल में महिलाओं के संरक्षण के लिए पर्याप्त प्रावधान नहीं हैं. वे इससे ज्यादा मजबूत बिल की वकालत कर रहे हैं.
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गंभीर स्थिति
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि दुनिया भर में एक तिहाई से ज्यादा महिलाएं ऐसी हैं जो अपने जीवन में कभी ना कभी यौन हिंसा का शिकार हुई हैं. भारत में 2012 के गैंगरेप कांड के बाद से महिलाओं की सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है. बावजूद इसके बलात्कार की घटनाएं लगातार सुर्खियां बन रही हैं. (स्रोत: ह्यूमन राइट्स वॉच, रॉयटर्स, संयुक्त राष्ट्र, एमनेस्टी इंटरनेशनल)