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पाकिस्तान में छिपे चीनी आतंकी

१५ मार्च २०१४

अफगानिस्तान से सटी पहाड़ियों में सिर्फ तालिबान ही नहीं, चीन के उइगुर आतंकवादी भी छिपे हैं, जो मौका मिलते ही चीन पर घात लगाना चाहते हैं. उनके नेता का कहना है कि वे अपने साथियों की मौत का बदला लेना चाहते हैं.

तस्वीर: AP

पाकिस्तान के लिए इलाके में चीन इकलौता साथी है. चीन ने बहुत पहले ही पाकिस्तान को इस बात की चेतावनी दी है कि वह शिनजियांग के पड़ोस में आने वाले पाकिस्तानी हिस्से से इन आतंकवादियों को खदेड़े. इस इलाके में अल कायदा और तालिबान के खतरनाक लड़ाकों का अड्डा है.

दो हफ्ते पहले चीनी शहर कुनमिंग में छुरीबाजी की घटना में 29 लोगों की मौत हो गई. इसके बाद से चीन में अल्पसंख्यक उइगुर समुदाय के लोगों पर सख्त रवैया अपनाया जा रहा है. चीन का दावा है कि शिनजियांग प्रांत में रहने वाले ये लोग चीन के अंदर पूर्वी तुर्किस्तान बनाना चाहते हैं.

चीन से संघर्ष

बीजिंग का कहना है कि कुनमिंग हत्याकांड एक आतंकवादी घटना थी और यह काम सीमा पार पाकिस्तान और अफगानिस्तान में छिपे आतंकवादियों का है. इसके बाद तुर्किस्तान इस्लामिक पार्टी के नेता अब्दुल्लाह मंसूर ने एक इंटरव्यू में कहा कि यह उसकी धार्मिक जिम्मेदारी बनती है कि वह चीन के साथ संघर्ष करे.

मंसूर ने एक दुभाषिए के जरिए उइगुर भाषा में कहा, "चीन सिर्फ हमारा दुश्मन ही नहीं है, बल्कि यह सभी मुसलमानों का दुश्मन है. हम चीन पर कई हमलों की योजना बना रहे हैं. हम चीन को संदेश देना चाहते हैं कि पूर्वी तुर्किस्तान और दूसरे मुसलमान जाग गए हैं. वे हमें या इस्लाम को और नहीं दबा सकते हैं. मुसलमान बदला लेंगे."

तस्वीर: AFP/Getty Images

समाचार एजेंसी रॉयटर्स का कहना है कि मंसूर एक अफगान सिम कार्ड वाले मोबाइल से बात कर रहा था और आवाज इतनी खराब थी कि कुनमिंग हत्याकांड के बारे में पूछने का मौका ही नहीं मिला.

चुपचाप कार्रवाई

तुर्किस्तान इस्लामिक पार्टी चुपचाप पाकिस्तान में अपनी जड़ें जमाने की कोशिश कर रही है. तालिबान या अल कायदा की तरह यह अपनी गतिविधियों को इंटरनेट पर नहीं डालती. इसके संख्याबल को लेकर मतभेद है. मंसूर जैसे इक्का दुक्के लोगों के बारे में पता है, जो छोटे छोटे इंटरव्यू देते हैं. पश्तो बोलने वाला कोई शख्स उनके लिए दुभाषिए का काम करता है.

पाकिस्तानी खुफिया विभाग का कहना है कि ऐसे लगभग 400 लड़ाके हैं, जो मीर अली इलाके में हैं. वे वहां दूसरे विदेशी लड़ाकों, खास कर उजबेक लोगों के साथ मिल कर रहते हैं. दोनों एक ही भाषा बोलते हैं. अफगानिस्तान से जारी सुरक्षा रिपोर्टों में कहा गया है कि इस साल काबुल में चीन के होटलों, कंपनियों और दूसरे ठिकानों पर हमला हो सकता है. हालांकि अभी तक ऐसा नहीं हुआ है.

बंदूक नहीं चाकू

अफगान तालिबान के सूत्रों के मुताबिक अफगानिस्तान के नूरिस्तान और कुनार प्रांतों में करीब 250 उइगुर आतंकी हैं. तालिबान के एक कमांडर का कहना है, "वे यहां हमारे साथ ही रहते हैं लेकिन उन्हें हमेशा चीन में अपने लोगों की चिंता रहती है. वे अच्छे लोग हैं, अच्छे मुस्लिम हैं और शानदार लड़ाके हैं." तालिबान कमांडर का कहना है कि आम तौर पर उइगुर लड़ाके बंदूक नहीं, बल्कि छुरी और चाकू का इस्तेमाल करते हैं.

पाकिस्तान के लिए चीनी चेतावनी को गंभीरता से लेना बेहद जरूरी है क्योंकि इलाके में उसके पास ले देकर सिर्फ चीन ही सहयोगी देश है. बाकी के देशों से उसकी अच्छी नहीं पटती. लेकिन पाकिस्तान फिलहाल अपने ही तालिबान लड़ाकों से जूझ रहा है और उसके पास एक और मोर्चा खोलने की शक्ति नहीं है.

पाकिस्तान के पूर्व गृह मंत्री रहमान मलिक का कहना है कि 2008 से 2013 के बीच पाकिस्तान ने 20 उइगुर आतंकवादियों को पकड़ कर चीन के हवाले किया है, "इस बात में कोई शक नहीं कि चीन और पाकिस्तान महान दोस्त हैं. जब मैं गृह मंत्री बना, तो इस विषय पर मैंने चीनी अधिकारियों के साथ खास तौर पर काम किया. मौजूदा सरकार को भी इस बारे में पता है."

लगातार संघर्ष

शिनजियांग इलाका अफगानिस्तान, पाकिस्तान, भारत और पूर्व सोवियत संघ की सीमा पर है. यहां रहने वाले उइगुर समुदाय के लोगों का आरोप है कि चीनी लोग उनकी सभ्यता और धर्म का विरोध करते हैं. चीनी मीडिया के मुताबिक पिछले साल यहां हुई झड़पों में 100 से ज्यादा लोग मारे गए हैं.

करीब पांच साल पहले सैकड़ों उइगुर लोग चीनी कार्रवाई से बचने के लिए पाकिस्तान में चले गए थे. पाकिस्तान के एक तालिबान कमांडर का कहना है, "इस क्षेत्र में रहने वाले चीनी आतंकवादी ज्यादातर धार्मिक नेता और लड़ाके हैं. उनके परिवार यहां हैं और वे अफगानिस्तान पर केंद्रित हैं."

एजेए/एएम (रॉयटर्स)

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