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पाकिस्तान में तख्तापलट की आशंका नहीं हैः गिलानी

२९ जनवरी २०१२

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने कहा है कि उनके देश में सैनिक तख्ता पलट की कोई 'आशंका नहीं' है क्योंकि सेना देश में लोकतंत्र और स्थिरता चाहती है. प्रधानमंत्री ने दावोस में पत्रकारों से यह बात कही.

तस्वीर: AP

गिलानी ने कहा, "मुझे नहीं लगता कि पाकिस्तान में कभी कोई तख्तापलट होगा. लोकतंत्र को वहां कोई खतरा नहीं है." गिलानी की मानें तो सेना समेत देश की सभी संस्थाएं या पाकिस्तान के लोगों में कोई ऐसा नहीं है जो तख्तापलट चाहता हो. सारे लोग लोकतंत्र के पक्ष में हैं. प्रधानमंत्री ने साफ कहा कि तख्तापलट की कोई "आशंका नहीं" है. गिलानी का यह बयान पाकिस्तान में चार साल पुरानी सरकार के सामने सबसे बड़े राजनीतिक संकट के संदर्भ में आया है.

सरकार और सेना के बीच कथित मेमो को लेकर ठनी हुई है जिसमें अमेरिका से मदद की गुहार लगाई गई. पाकिस्तान के एबटाबाद में अल कायदा सरगाना ओसामा बिन लादेन की अमेरिकी कार्रवाई में मौत के बाद ये मेमो अमेरिकी सरकार को भेजा गया. इसमें पाकिस्तान में सैन्य तख्तापलट की स्थिति में सैनिक मदद की गुहार लगाई गई.

तस्वीर: AP

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने इसके अलावा कई और मसलों पर भी पत्रकारों से बातचीत की. नाटो के हमले में 24 पाकिस्तानी सैनिकों की मौत के बाद अमेरिका और पाकिस्तान के रिश्तों में आए तनाव पर भी चर्चा हुई. प्रधानमंत्री ने इसे दोनों देशों के संबंधों में 'बदलाव की धुरी' बताया और कहा कि इसने "स्वाद बिगाड़" दिया है. प्रधानमंत्री ने कहा कि नाटो के हमले से पहले भी दोनों मुल्कों के बीच कई ऐसी बातें हुईं जिसने उनके रिश्तों पर असर डाला है.

पाकिस्तान ने नाटो के हमलों के बाद अमेरिके से अपने रिश्तों के लिए नई शर्तें तय करने का फैसला किया है. गिलानी ने कहा कि नाटो के हमले के बाद उन तक रसद पहुंचाने का रास्ता बंद कर दिया गया, शम्सी हवाई अड्डा खाली कराया गया और अफगानिस्तान पर बॉन कांफ्रेंस का बॉयकाट भी इसी हमले का नतीजा था. गिलानी के मुताबिक पाकिस्तान की संसद अमेरिका के साथ अपने रिश्तों की नई शर्तें तैयार कर रही है. उन्होंने उम्मीद जताई कि नई नीति "ज्यादा उपयोगी और लंबे समय के लिए" होगी.

तस्वीर: DW

कबायली इलाकों में अमेरिकी ड्रोन हमले के बारे में पूछे जाने पर गिलानी ने कहा कि पाकिस्तान इस अभियान के खिलाफ है क्योंकि यह, "गैरकानूनी और प्रतिकूल है." गिलानी का कहना है, "(ड्रोन) हमले उन लोगों में पीड़ितों के लिए सहानुभूति पैदा करते हैं जिन्हें हम चमरपंथ से दूर रखना चाहते हैं इसके साथ ही यह आतंकवादी गतिविधियों के खिलाफ सरकार की कार्रवाई में मुश्किलें पैदा करता है."

गिलानी से जब एबटाबाट में बिन लादेन के छुपे होने को पाकिस्तानी सरकार की नाकामी बताते हुए प्रतिक्रिया मांगी गई तो उनका कहना था, "यह दुनिया भर की खुफिया एजेंसियों की नाकामी थी."

भारत के साथ संबंध सुधारने के मामले में पाकिस्तान प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका देश अपने सभी पड़ोसियों के साथ अच्छे रिश्ते रखना चाहता है. उन्होंने कहा कि अगर भारत के पास आतंकवादी गतिविधियों के बारे में कोई जानकारी है तो उसे पाकिस्तान के साथ साझा करना चाहिए. गिलानी ने भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को ऐसा "ईमानदार इंसान" बताया जो पाकिस्तान के साथ सभी मुद्दों को सुलझाना चाहता है इसमें "कश्मीर का प्रमुख मुद्दा भी शामिल" है. यह पूछने पर कि मुंबई जैसा एक और हमला हुआ तो, गिलानी ने जवाब दिया, "अगर और कब से कहानी नहीं बनती हैं. हम पाकिस्तान को इलाके में शांति, स्थिरता और विकास के घटक के रूप में देखते हैं."

रिपोर्टः पीटीआई/एन रंजन

संपादनः ओ सिंह

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