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पाकिस्तान में तेंदुओं को बचाने की कोशिश

२२ सितम्बर २०१०

तेंदुआ भी उन जीवों में शामिल है जिनके विलुप्त होने का खतरा बराबर बना हुआ है. जंगलों की कटाई के कारण इंसानों से उनका टकराव बढ़ रहा है. लेकिन पाकिस्तान में तेंदुओं के संरक्षण के लिए खास कोशिश हो रही है.

तस्वीर: WWF/Michael-Evers

पाकिस्तान के अलग अलग हिस्सों में भारत ही की तरह विभिन्नता दिखाई देती है. कहीं हरे भरे जंगल हैं, कहीं पहाड़, कहीं समुद्र तो कहीं रेगिस्तान. इसलिए यहां अलग अलग तरह के जीव जंतु भी मिलते हैं. लेकिन तेजी से बढ़ती आबादी के कारण ये जैव विविधता खतरे में पड़ रही है. जंगलों का क्षेत्र घटने के कारण जंगली जानवरों और मनुष्यों का टकराव भी बढ़ रहा है. लेकिन खत्म होते जीव जंतुओं को बचाने के लिए पाकिस्तान की सरकार ने पहल की है जिसके तहत नेचरपार्क और इसके संरक्षण के लिए कानून बनाया जाएगा.

राजधानी इस्लामाबाद से सिर्फ 80 किलोमीटर दूर तीन हज़ार तीन सौ वर्ग किलोमीटर के इलाके में अयिउबिया नेशनल पार्क फैला है. इसे खत्म होते तेंदुए को बचाने के लिए बनाया गया है. पाकिस्तान के प्रकृति वन्य जीव कोष के मोहम्मद वासिम बताते हैं, "2005 में यहां एक तेंदुआ आदमखोर हो गया था. वह छह औरतों को खा गया. पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था. प्रकृति संरक्षण के लिए जिम्मेदार विभाग ने उसे तुरंत पकड़ा और मार दिया. लेकिन इसके बावजूद लोग दूसरे तेंदुओं को मारने लगे. इस कारण यहां बाहर से तेंदुए आए जो यहां के तेंदुओं की तुलना में बहुत आक्रामक थे और लोगों पर तेंदुओं के हमले संख्या बढ़ती रही."

तस्वीर: AP

जब किसी तेंदुए से सामना हो जाए तो इंसानों को क्या करना चाहिए, इस बारे में मोहम्मद वसीम कहते हैं, "पहले बड़े बूढ़े जानते थे कि तेंदुए को जाने देना चाहिए और खड़े रहना चाहिए. लेकिन लोग डर जाते हैं और भागने की कोशिश करते हैं, इसलिए तेंदुए भी मनुष्यों का शिकार करने लगे क्योंकि उन्हें शायद यह शिकार बहुत अच्छा लगता होगा. इसी समय वन्य जीव संरक्षण कोष का एक प्रोजेक्ट शुरू हुआ जिसमें तेंदुए और इसानों के टकराव को कम करने पर जोर दिया गया."

मोहम्मद वसीम कई गांवों और स्कूलों में भी जाते हैं. वह लोगों को समझाते हैं कि तेंदुए का बचना कितना जरूरी है और उसके सामने आने पर क्या करना चाहिए. उनका कहना है कि लकड़ियां इकट्ठा करने महिलाएं सूरज उगने से पहले जंगल न ही जाएं तो अच्छा है क्योंकि इस समय तेंदुए का आमना सामना होने का सबसे ज्यादा खतरा होता है. दिन में जानवर बाहर कम ही दिखाई पड़ते हैं. जहां तेंदुए के बच्चे हों वहां जाने से बचें, क्योंकि बच्चों के पास किसी को आता देख तेंदुआ हमला करने में देर नहीं करता. लेकिन यह सलाह सुनते हुए मोहम्मद अली की शंका खत्म नहीं होती. वह कहते हैं, "मैंने तेंदुआ आमने सामने देखा है और मुझे सच में बहुत डर लगा था. कुछ लोग उसे मारना चाहते हैं. लेकिन अगर आप किसी तेंदुएं को मार दें तो वन अधिकारी आपको दंड देते हैं. कई बार जेल जाना पड़ता है."

लोगों और तेंदुए का टकराव कम करने के लिए अयिउबिया राष्ट्रीय उद्यान में तेंदुए की रक्षा के लिए अभियान चलाया गया है. लेकिन इसमें मुश्किलें तब आती हैं जब किसी के पालतू पशु को तेंदुआ खा जाता. इसके लिए कोई हर्जाना नहीं मिलता था, इसलिए तेंदुओं का शिकार होता था. बहुत पहले हर्जाना मिलता था. अब डबल्यू डबल्यू एफ यह फिर से शुरू किया.

डबल्यूडबल्यूएफ के शोध में सामने आया है कि अगर मनुष्य तेंदुए को मारना छोड़ दें और उसके सामने पड़ने पर भागे न, तो हमलों की आशंका को कम किया जा सकता है. मनुष्यों और तेंदुए के टकराव को बचाने के लिए जो कार्यक्रम शुरू किया गया है उसमें कोशिश की गई है कि गांवों के लोगों और पालतू जानवरों पर तेंदुओं के हमले किस तरह से कम किए जा सकते हैं. इस कार्यक्रम को शुरू करने के बाद हमलों की संख्या कम हुई है. इस इलाके में तेंदुओं को बचाने के अभियान के लिए ये बहुत अच्छा नतीजा है.

तस्वीर: AP

पाकिस्तान के कई हिस्सों में पहले तेंदुए मिलते थे, लेकिन अब उनकी संख्या बहुत कम हो गई है. यह जानवर को अब सिर्फ पाकिस्तान के अयिउबिया नेशनल पार्क में ही मिलते हैं. तेंदुओं को बचाने की कोशिशों में शुरुआती सफलता से डबल्यू डबल्यू एफ को उम्मीद है विलुप्त होने के कगार पर खड़ा यह जानवर न जाने बच ही जाए.

रिपोर्टः डीडब्ल्यू/आभा एम

संपादनः ए कुमार

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