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पाकिस्तान में दो अहम पदों पर दो बाजवा और दोनों पर सवाल

२७ नवम्बर २०१९

एक ओर सेना प्रमुख तो दूसरी ओर चीन के साथ अरबों डॉलर की विकास योजनाओं के बारे में जवाब तलब करने वाले सबसे बड़े अधिकारी, प्रधानमंत्री इमरान खान की दोनों नियुक्तियों पर सवाल उठे हैं.

Pakistan Armee chef Qamar Javed Bajwa Amtsübergabe
तस्वीर: picture-alliance/AA/ISPR

पाकिस्तानी सेना प्रमुख के पद पर जनरल कमर जावेद बाजवा के कार्यकाल को और तीन सालों के लिए बढ़ाए जाने के सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती मिली है. प्रधानमंत्री इमरान खान के इस फैसले की वैधता पर सवाल हैं. तीन सदस्यों की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है. प्रक्रिया में गड़बड़ी साबित होने पर अदालत बाजवा का कार्यकाल बढ़ाने के निर्णय को रद्द कर सकती है.

इस मामले में सरकार की दलील है कि क्षेत्रीय सुरक्षा और खासकर पड़ोसी देश भारत के मद्देनजर पाकिस्तान को जरूरत है कि जनरल बाजवा पद पर बने रहें. 

इस बीच पाकिस्तान के कानून मंत्री फारोग नसीम ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. बाजवा का कार्यकाल बढ़ाने के फैसले के समय वह ही मंत्री थे और माना जा रहा है कि आधिकारिक आवेदन प्रकिया में हुई किसी चूक के चलते मामला उलझा है. अब वह खुद बाजवा के वकील के तौर पर सुप्रीम कोर्ट में बहस करेंगे. 

सेना वाले एक दूसरे बाजवा

दूसरी ओर चीन की वन बेल्ट वन रोड परियोजना के तहत पाकिस्तान में बुनियादी ढांचे के निर्माण की परियोजना का काम देखने वाली चीन पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर एथॉरिटी, सीपीईसीए के प्रमुख के तौर पर एक और बाजवा की नियुक्ति हुई है. इमरान खान की सरकार ने सेना के एक रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल आसिम सलीम बाजवा को इस पद पर नियुक्त किया है. पाकिस्तान की विपक्षी पार्टियां इसकी आलोचना करते हुए कह रही हैं कि इस नियुक्ति से संसदीय समिति के प्रस्तावों की अवहेलना हुई है और चीन-प्रायोजित विकास योजनाओं के मामले में सेना के हाथ में जरूरत से ज्यादा शक्तियां दी जा रही हैं.

रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल आसिम सलीम बाजवातस्वीर: picture alliance/AP Photo/A. Naveed

माना जाता है कि इमरान खान को सेना का पूरा सहयोग मिला हुआ है. ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद से ही पाकिस्तान की राजनीति में सेना का काफी दखल रहा है. 1947 से लेकर अब तक के आधे से ज्यादा वक्त में देश का शासन सीधे तौर पर सेना के हाथ में रहा है. 

आसिम बाजवा रिटायर होने से पहले सदर्न कमांड के प्रमुख रह चुके हैं. सन 2012 से 2016 के बीच वह इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस के महानिदेशक के पद पर रहे. इसी साल अक्टूबर में सरकार ने एक अध्यादेश लाकर सीपीईसीए की स्थापना कर दी. इस प्राधिकरण को इतनी शक्तियां दी गई हैं कि सीपीईसी की किसी भी गतिविधि से जुड़ी जानकारी मांग सके और मुहैया ना कराए जाने पर संबंधित लोगों पर जुर्माना लगा सके. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 2015 में अपनी पाकिस्तान यात्रा के दौरान सीपीईसी की शुरुआत की थी. इस योजना के तहत पाकिस्तान के तमाम हिस्सों में चीन 60 अरब से भी ज्यादा का निवेश विकास परियोजनाओं पर करने वाला है.

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